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एक ऐसा मंदिर जहां दूल्हा- दुल्हन के रूप में विराजमान हैं भगवान शिव और पार्वती - Sawan Special Story

अलवर के पर्यटन स्थल सागर में एक ऐसा शिव मंदिर स्थापित है जहां शिव व पार्वती दूल्हा-दुल्हन के रूप में विराजित है. अलवर के महाराज बख्तावर सिंह ने 209 साल पहले इस मंदिर की स्थापना कराई थी. पेश है खास रिपोर्ट...

Sawan 2024
Sawan 2024 (फोटो ईटीवी भारत अलवर)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Aug 1, 2024, 6:33 AM IST

अलवर के सागर का शिव मंदिर (VIDEO : ETV BHARAT)

अलवर. भारत धर्म और आस्थाओं का देश है. वैसे तो सावन मास में सभी मंदिरों में भगवान शिव की अनेक रूपों में झांकियां सजाई जाती है, लेकिन अलवर शहर के सागर में स्थित प्राचीन 1008 श्री बक्तेश्वर महादेव मंदिर की खासियत इस मंदिर को अपने आप में अलग बनाती है. इस मंदिर में भगवान शिव व पार्वती दूल्हा-दुल्हन के रूप में विराजित है, जिनके दर्शन के लिए देश के अन्य राज्यों से भी भक्त मंदिर परिसर पहुंचते हैं. यह मंदिर पर्यटन स्थल सागर स्थित मूसी महारानी पर स्थापित है. इसके चलते यहां आने वाले पर्यटक भी इस मंदिर में दर्शन करें बिना नहीं लौटते.

मंदिर के महंत विजय सारास्वत ने बताया कि बक्तेश्वर महादेव मंदिर करीब 209 वर्ष पुराना है. इस मंदिर की स्थापना अलवर के तत्कालीन महाराजा बख्तावर सिंह जी द्वारा करवाई गई थी. आज इस मंदिर को पंडित रामदयाल शर्मा की सातवीं पीढ़ी संभाल रही है. इस मंदिर में भगवान शिव व माता पार्वती के साथ दूल्हा-दुल्हन के रूप में राजशी वेश में अपने दोनों पुत्रों गणेश व कार्तिकेय के साथ विराजमान है. उन्होंने बताया कि मंदिर प्रांगण में भगवान शिव के रुद्र अवतार हनुमान जी महाराज की प्रतिमा विराजित है, जो हाल ही के समय में विराजित की गई.

भक्तों ने नहीं देखा ऐसा मंदिर : विजय कुमार सारस्वत ने बताया कि यहां देश के अलग-अलग जगह से भक्त मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं. सागर एक पर्यटन स्थल है, जिसके चलते यहां देसी सहित विदेशी सैलानी भी आते हैं. जो भी पर्यटक यह आता है, वह मंदिर परिसर में बिना दर्शन करें नहीं लौटता. यहां आने वाले पर्यटकों का कहना है कि भगवान शिव व पार्वती का ऐसा मंदिर पूरे देश में शायद ही कहीं दूसरा हो. उन्होंने बताया कि मंदिर में विराजित सभी प्रतिमाएं आदमकद प्रतिमाएं हैं. सारस्वत ने बताया कि मंदिर प्रांगण में गणेश जी का वाहन मूषक, कार्तिकेय जी का वाहन मयूर काले संगमरमर से निर्मित है. साथ ही भगवान शंकर का वाहन नंदी व माता पार्वती का वाहन सिंह श्वेत संगमरमर से निर्मित है. उन्होंने कहा कि भगवान के वाहकों की प्रतिमाओं के पत्थर के बारे में कई लोगों की अलग-अलग राय है.

सावन मास में होते है कई आयोजन : विजय सारस्वत ने बताया कि श्रावण मास में मंदिर में दूल्हे-दुल्हन के रूप में विराजित भगवान शिव व माता पार्वती का अलौकिक श्रृंगार किया जाता है. यहां आने वाले शिव भक्त मंदिर में रुद्राभिषेक करवाकर धर्म लाभ प्राप्त करते हैं. इस मंदिर में भगवान शिव व माता पार्वती की एक ही पाषाण से निर्मित प्रतिमाएं हैं. उन्होंने बताया कि ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव व माता पार्वती के दूल्हा दुल्हन रूप में विराजमान प्रतिमाओं की पूजा करने से विवाह योग कन्याओं को मनवांछित सुंदर वर की प्राप्ति होती है व परिवार में सुख शांति की स्थापना होती है.

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महाराजा बख्तावर सिंह की थी इच्छा : विजय सारस्वत ने बताया महाराजा बख्तावर सिंह ने इच्छा जाहिर कि थी कि उनके देहांत के बाद उनका दाह संस्कार इस मंदिर के सामने ही कराया जाए. इसी के चलते इस मंदिर के सामने महाराजा बख्तावर सिंह की छतरी निर्मित है. महाराजा बख्तावर सिंह के स्वर्गवास के बाद इस छतरी का निर्माण उनके उत्तराधिकारी महाराजा विनय सिंह द्वारा कराया गया.

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