श्योपुर:मध्यप्रदेश के विजयपुर की रहने वाली टीचर शिवकुमारी जादौन ने अनूठी मिसाल पेश की है. उन्होंने सेवानिवृत होने के बाद मिलने वाले सरकारी फंड और मृत्यु उपरांत अंग दान करने का ऐलान किया है. इसके लिए उन्होंने एसडीएम अभिषेक मिश्रा को एक आवेदन भी दिया है. बता दें कि शिक्षिका शिवकुमारी जादौन इससे पहले अपनी संपत्ति हनुमान मंदिर में दान दे चुकी हैं.
रिटायरमेंट फंड और अंगों का भी दान
संपत्ति मंदिर में दान करने के बाद शिक्षिका शिवकुमारी जादौन ने शुक्रवार को एक बड़ा फैसला लिया है. उन्होंने विजयपुर एसडीएम अभिषेक मिश्रा को एक आवेदन व दस्तावेज सौंपे हैं, जिनमें उन्होंने रिटायरमेंट पर मिलने वाले फंड को भी भगवान के नाम करने की बात लिखी है. इसके साथ ही आवेदन में टीचर ने मृत्यु के बाद अंगदान करने की बात भी लिखी है. शिवकुमारी जादौन द्वारा लिए गए इन फैसलों को लेकर एसडीएम अभिषेक मिश्रा और तहसीलदार मनीषा मिश्रा ने उन्हें सम्मानित किया.
अंग दान के लिए एसडीएम को सौंपा आवेदन (ETV Bharat) 'भगवान का दिया, भगवान को दिया'
शिक्षिका शिवकुमारी जादौन विजयपुर अंतर्गत खितरपाल गांव के स्कूल में टीचर हैं. उन्होंने अपने मकान सहित 1 करोड़ से अधिक की संपत्ति विजयपुर के प्रसिद्ध छिमछिमा हनुमान मंदिर को दान कर दी थी. जिसकी रजिस्ट्री वो छिमछिमा हनुमान मंदिर के नाम कर चुकी हैं. वहीं, अब उन्होंने रिटायर होने के बाद मिलने वाले फंड सहित अंग दान का ऐलान कर दिया है. दरअसल, टीचर शिवकुमारी जादौन नियमित ड्यूटी करने के साथ भक्ति भाव में रहती हैं. भगवान के प्रति गहरी आस्था के चलते उन्होंने ये फैसला लिया. उन्होंने कहा, " जो प्रभु का था, उसे प्रभु को समर्पित कर दिया. मृत्यु के बाद शरीर के जलने से उसका कोई उपयोग नहीं होता, इसलिए अंग दान से ये किसी के उपयोग में आ सकता है तो अच्छी बात है."
बेटों को उनका हिस्सा दिया, अपना हिस्सा दान किया
शिवकुमारी भगवान की भक्ति में इतनी लीन हो चुकी हैं कि, उन्होंने अपने घर में हर जगह भगवान की प्रतिमाएं स्थापित कर रखी हैं. स्कूल में पढ़ाने के बाद वे सारा समय ईश्वर की सेवा में ही लगी रहती हैं. उन्होंने 2022 में जब अपनी सारी संपत्ति हनुमान मंदिर के नाम कर दी थी तब उन्होंने ईटीवी भारत से कहा था, '' मेरे दो बेटे हैं, मैंने उनको उनका हिस्सा दे दिया और मेरे हिस्से में आने वाली प्रॉपर्टी, मकान, बैंक बैलेंस सहित जो भी मेरी चल-अचल संपत्ति है उसे अपनी मर्जी से छिमछिमा हनुमान मंदिर ट्रस्ट के नाम कर दिया है.''