बीकानेर. चैत्र माह की अष्टमी यानी की शीतलाष्टमी पर्व आज मनाया जा रहा है. मां शीतला की विधिवत पूजा-अर्चना करने के साथ-साथ व्रत रखने का विधान है. इस दिन गर्म भोजन करना निषेध माना जाता है. एक दिन पहले सप्तमी को घरों में विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाए जाते है और अगले दिन अष्टमी को सुबह माता शीतला को इस ठंडे भोजन का भोग लगाया जाता है. इसलिए इस पर्व को बास्योडा पर्व भी कहा जाता है.
इस तरह से करें पूजा :पञ्चांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि शीतलाष्टमी के दिन सुबह उठकर स्नान आदि के बाद मां शीतला की पूजा आराधना से दिन की शुरुआत करनी चाहिए. इस दिन मां शीतला की सवारी गदर्भ यानी गधे की भी पूजा करनी चाहिए. मां शीतला की पूजा आराधना के साथ घरों में नई मटकी या घड़ा बदला जाता है. इस दिन दैनिक दिनचर्या में सुबह उठने के साथ ही चाय कॉफी पीने से परहेज करते हुए मां शीतला को एक दिन पहले घर में बनाए भोजन के साथ ही दही, राबड़ी चावल, हलवे का भोग लगाकर दिन की शुरुआत करनी चाहिए. माता शीतला को कुमकुम, हल्दी और रोली का तिलक जरूर लगाएं. माता को भोग लगाने के बाद एक दिन पहले बनाया व्यंजन ही माता के प्रसाद के रूप में ग्रहण करना चाहिए. पूरे दिन गरम पेय पदार्थ व भोजन ग्रहण कतई भी नहीं करना चाहिए. हालांकि खास परिस्थिति में कुछ लोग अगर ऐसा करते है तो माता शीतला से विनती कर माफी भी मांगनी चाहिए ताकि माता की कृपा बनी रहे.