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शारदीय नवरात्र का दूसरा दिन, मां ब्रह्मचारिणी को समर्पित - Shardiya Navratri 2024

देवी की आराधना का महापर्व शारदीय नवरात्र के दूसरे दिन यानि आज शुक्रवार को मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा हो रही है.

नवरात्र का दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा
नवरात्र का दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा (फोटो ईटीवी भारत GFX)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Oct 4, 2024, 7:19 AM IST

बीकानेर. नवरात्र के नौ दिनों में देवी के नौ स्वरूपों की आराधना की जाती है। शारदीय नवरात्र के दूसरे दिन मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप यानी मां ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा होती है. मां ब्रह्मचारिणी तपस्या करने वाली देवी हैं. आज के दिन षोडशोपचार विधि से पूजा करने का विशेष महत्व है. मान्यता है कि पूजा के सफल होने पर साधक को संयम और इंद्रियों पर विजय प्राप्त होती है.

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा उपासना के लिए साधक को कठोर तपस्या करनी पड़ती है. इस कठोर तपस्या से माता को प्रसन्न करते हुए साधक एक तपस्वी बन जाता है और तपस्वी में होने वाले सभी गुण के अनुरूप बल, सदाचार, संयम, संकल्प, त्याग और धैर्य की वृद्धि होती है. पूजा आराधना से मंत्र सिद्धि करते हुए साधक खुद पर विजय पाने में सफल होता है और लोभ, क्रोध, वासना, अहंकार पर नियंत्रण करने में सक्षम हो जाता है.

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तपस्या करते हुए पूजा :पञ्चांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू ने बताया कि भगवती देवी के नौ अलग-अलग स्वरूप की पूजा और अवतार लेने के पीछे भी अपनी वजह है. उन्होंने बताया कि नवरात्र के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है. मां ब्रह्मचारिणी की पूजा तपस्या करते हुए करनी चाहिए. ऐसा करने से ही साधक तपस्वी बनता है.

तपस्विनी रूप में माता का स्वरूप : किराडू कहते हैं कि मां ब्रह्मचारिणी तपस्वी रूप में प्रकट हुईं थी. उनके हाथ में कमंडल माला और पदम था. मां ब्रह्मचारिणी तपस्या में लीन रहने वाली देवी हैं. ऐसे में मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा तपस्या करते हुए ही करनी चाहिए.

षोडशोपचार पूजन का महत्व : पञ्चांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू ने बताया कि सनातन धर्म में नवरात्र देवी की उपासना का महापर्व है. देवी की सिद्धि के लिए नवरात्र में षोडशोपचार पूजन का महत्व शास्त्रों में बताया गया है.

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मालपुआ और खीर का भोग :किराडू कहते हैं कि मां ब्रह्मचारिणी को अर्पित किए जाने वाले भोग को लेकर किराडू ने बताया कि जो तपस्वी होता है, उसके आचरण के मुताबिक उसके सभी प्रकार के नैवेद्य स्वीकार होते हैं. शास्त्रों में पायस यानी खीर और मालपुआ का भोग का विधान है. इसके अलावा मां ब्रह्मचारिणी की पूजा में कनेरी का पुष्प अर्पित करना चाहिए. किराडू कहते हैं कि देवी की आराधना में सब प्रकार के पुष्प अर्पित करने का महत्व शास्त्रों में बताया गया है. पूजन के दौरान मां दुर्गा के 108 नाम या फिर इससे ज्यादा नामों से अर्चन किया जाना चाहिए.

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