बीकानेर. नवरात्र के नौ दिनों में देवी के नौ स्वरूपों की आराधना की जाती है। शारदीय नवरात्र के दूसरे दिन मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप यानी मां ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा होती है. मां ब्रह्मचारिणी तपस्या करने वाली देवी हैं. आज के दिन षोडशोपचार विधि से पूजा करने का विशेष महत्व है. मान्यता है कि पूजा के सफल होने पर साधक को संयम और इंद्रियों पर विजय प्राप्त होती है.
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा उपासना के लिए साधक को कठोर तपस्या करनी पड़ती है. इस कठोर तपस्या से माता को प्रसन्न करते हुए साधक एक तपस्वी बन जाता है और तपस्वी में होने वाले सभी गुण के अनुरूप बल, सदाचार, संयम, संकल्प, त्याग और धैर्य की वृद्धि होती है. पूजा आराधना से मंत्र सिद्धि करते हुए साधक खुद पर विजय पाने में सफल होता है और लोभ, क्रोध, वासना, अहंकार पर नियंत्रण करने में सक्षम हो जाता है.
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तपस्या करते हुए पूजा :पञ्चांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू ने बताया कि भगवती देवी के नौ अलग-अलग स्वरूप की पूजा और अवतार लेने के पीछे भी अपनी वजह है. उन्होंने बताया कि नवरात्र के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है. मां ब्रह्मचारिणी की पूजा तपस्या करते हुए करनी चाहिए. ऐसा करने से ही साधक तपस्वी बनता है.