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चूड़धार चोटी पर उमड़ा आस्था का सैलाब, 52 सालों बाद शांत महायज्ञ के हजारों श्रद्धालु बने साक्षी

चूड़धार चोटी पर धार्मिक अनुष्ठान के हजारों लोग साक्षी बने. महायज्ञ को लेकर 5 क्विंटल फूलों से मंदिर को सजाया गया था.

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : 4 hours ago

SHANT MAHAYAGYA AT CHURDHAR
चूड़धार चोटी पर शांत महायज्ञ का आयोजन (ETV Bharat)

सिरमौर: हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिला की सबसे ऊंची चोटी चूड़धार में शुक्रवार को आस्था का सैलाब उमड़ा. मौका करीब 52 वर्षों बाद आयोजित हुए शांत महायज्ञ का था. इस धार्मिक अनुष्ठान के हजारों लोग साक्षी बने. इस दौरान चोटी की वादियां शिरगुल महाराज और चूड़ेश्वर महाराज के जयकारों से गूंजती नजर आई.

करीब 27 हजार श्रद्धालु हुए शामिल

दरअसल चूड़धार में करीब 2 दशक बाद शिरगुल महाराज का नया मंदिर बनकर तैयार हुआ है. मंदिर पर कुरूड़ चढ़ाए जाने की परम्परा निभाई गई. इस दौरान करीब 27 हजार श्रद्धालु इस पावन अनुष्ठान के साक्षी बने.

चूड़धार चोटी पर शांत महायज्ञ का आयोजन (ETV Bharat)

चोटी के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ, जब इतने अधिक श्रद्धालु एक साथ चोटी पर पहुंचे. इस दौरान श्रद्धालुओं ने शिरगुल महाराज के चरणों में शीश नवाया और मंगलमय जीवन की कामना की.

शांत महायज्ञ में पहुंचे श्रद्धालु (ETV Bharat)

इस दौरान हजारों लोगों ने लिंबर लगाया. ऐसा माना जाता है कि मंत्रोच्चारण व लिंबर लगाने से देवता की दिव्य शक्ति बहुत अधिक बढ़ जाती है. इससे क्षेत्र में फैली बुरी शक्तियां नष्ट हो जाती हैं.

मंदिर पर कुरूड़ चढ़ाते हुए श्रद्धालु (ETV Bharat)

बता दें कि चौपाल उपमंडल के कालाबाग, संगड़ाह के चाबधार और अन्य स्थानों से श्रद्धालु शुक्रवार को इस अनुष्ठान में शामिल हुए. शांत महायज्ञ शुरू होने से पहले ही बिजट महाराज, शिरगुल देवता, गुड़ियाली माता व डुंडी माता की पालकियों समेत विभिन्न देवी-देवताओं की दर्जनों छड़ियां गुरुवार शाम को ही चूड़धार पहुंच गई थीं.

शांत महायज्ञ में आए हुए देवी-देवता (ETV Bharat)

शिमला और सिरमौर जिला प्रशासन के अधिकारी और कर्मचारी इस दौरान मौजूद रहे. दोनों जिलों के प्रशासन की ओर से सुरक्षा और अन्य व्यवस्थाओं का इंतजाम किया गया. रास्तों पर करीब 200 से अधिक सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए.

धार्मिक अनुष्ठान में हजारों लोगों ने की शिरकत (ETV Bharat)

5 क्विंटल फूलों से सजाया गया था मंदिर

महायज्ञ को लेकर मंदिर को 5 क्विंटल फूलों से सजाया गया. यहां दो हजार से अधिक लोग महायज्ञ की व्यवस्था बनाने में जुटे. बता दें कि शांत महायज्ञ किसी भी मंदिर के निर्माण पूरा होने की अंतिम रस्म है, जिसमें कुरुड़ स्थापित करने की परंपरा है. इसे मंदिर का मुकुट कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी.

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