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शिमला राम मंदिर में साईं की मूर्ति होने पर भड़के शंकराचार्य, कार्यक्रम का किया बहिष्कार

शिमला राम मंदिर में साईं की मूर्ति होने से नाराज शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने कार्यक्रम का बहिष्कार कर दिया.

शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद
शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद (ETV Bharat)

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : 4 hours ago

शिमला:हिमाचल की राजधानी शिमला के राम मंदिर में आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद पहुंचे. इस दौरान मंदिर में साईं बाबा की मूर्ति देख शंकराचार्य भड़क गए और कार्यक्रम का बहिष्कार किया. वहीं, शंकराचार्य बिना मंदिर में दर्शन के ही लौट गए. इसके बाद शंकराचार्य सीधे शिमला के जाखू मंदिर पहुंचे और यहां पर वीडियो संदेश जारी किया.

बता दें कि शिमला लोअर बाजार में प्रभु श्रीराम का मंदिर है. यहां पर एक तरफ साईं की मूर्ति भी स्थापित की गई है. गुरुवार को शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद शिमला राम मंदिर में कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे थे. लेकिन जब उन्हें पता चला कि यहां पर साईं की मूर्ति भी रखी गई है तो उन्होंने कार्यक्रम का बहिष्कार कर दिया. बता दें कि शंकराचार्य यहां मंदिर में पूजा अर्चना भी करने वाले थे और उसके बाद उनकी प्रेसवार्ता थी. लेकिन वे बिना मंदिर में पूजा किए ही गुस्से में वहां से चले गए.

शिमला पहुंचे शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद (ETV Bharat)

शिमला राम मंदिर से मिली जानकारी के अनुसार शंकराचार्य आज सुबह सबसे पहले शिमला के प्राचीन मंदिर जाखू पहुंचे. यहां उन्होंने गौ ध्वज की स्थापना की. इसी दौरान उन्हें राम मंदिर में साईं की प्रतिमा न हटाने की जानकारी मिली. जिसके बाद उनके स्टाफ ने जाखू मंदिर से ही एक संदेश दिया. जिसमें उन्होंने कहा कि मंदिर में साईं की मूर्ति होने की वजह से शंकराचार्य राम मंदिर नहीं गए, उन्होंने कार्यक्रम का बहिष्कार कर दिया है.

शंकराचार्य के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी शैलेंद्र योगीराज सरकार ने जानकारी दी. शैलेंद्र योगीराज ने कहा, "पहले ही राम मंदिर से साईं की मूर्ति हटाने को कहा गया था, लेकिन नहीं हटाई गई. ऐसे में शंकराचार्य ने जाखू मंदिर से ही गौ ध्वज फहराया और वहीं से वापस देहरादून लौट गए".

शैलेंद्र योगीराज ने कहा, "हिंदू धर्म में पहले ही 33 करोड़ देवी देवता हैं. ऐसे में किसी अन्य धर्म के व्यक्ति की मूर्ति का कोई मतलब नहीं है. शंकराचार्य देशभर में जहां भी मंदिर में साईं की मूर्ति है, वहां पूजा नहीं करते हैं. इसलिए उन्होंने इस कार्यक्रम का बहिष्कार कर दिया है".

गौरतलब है कि अयोध्या राम मंदिर में भी शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद का महत्वपूर्ण योगदान रहा है. उन्होंने शास्त्र और वेदों के माध्यम से अयोध्या में श्रीराम मंदिर बनने वाली भूमि को राम की जन्मभूमि होने का प्रमाण दिया था. फिलहाल उन्होंने गौ माता को पशु की श्रेणी से हटाकर राष्ट्र माता का दर्जा दिलाने के लिए राष्ट्रव्यापी आंदोलन शुरू किया है. 22 सितंबर को अयोध्या में राम मंदिर में गौ ध्वज स्थापना और जयघोष के साथ यह यात्रा शुरू हुई है.

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