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चकौड़ा का छोटा पौधा बीमारियों में राम कवच, खूबियां ऐसी कि घर में लगाए बिना रहा ना जाए - Medicinal Plant Chakoda - MEDICINAL PLANT CHAKODA

चकौड़ा एक ऐसा पौधा है जिसका मेडिसिनल उपयोग किया जाता है. चकौड़ा की पत्तियों से लेकर इसका बीज कई रोगों को दूर करने में काम आता है. कहीं-कहीं इसके कोमल पत्तों की भाजी बनाकर खाई जाती है. ये पूरे भारत में विशेषतया उष्ण प्रदेशों के जंगल झाड़ी, खेत, मैदान, सड़क के किनारे पाया जाता है.

Medicinal Plant Chakoda Know uses
चकौड़ा त्वचा रोगों के लिए रामबाण (ETV Bharat)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Aug 17, 2024, 11:39 AM IST

Updated : Aug 17, 2024, 12:10 PM IST

Medicinal Plant Chakoda:बरसात में पहली बारिश के साथ ही कई ऐसे पौधे उगते हैं जिसे लोग खरपतवार समझते हैं बिना काम का समझते हैं और उसकी देखरेख नहीं करते हैं. लेकिन प्रकृति ने हमें कई ऐसे नायाब तोहफे दिए हैं जिनके बारे में जानकर आप भी दंग रह जाएंगे. उन्हीं में से एक है चाकौड़ा जो इन दिनों विलुप्ति की कगार पर हैं, लेकिन क्या आपको पता है खरपतवार समझे जाने वाले इस चकौड़ा के पौधे का कितना औषधीय महत्व है.

चकौड़ा मेटाबॉलिक डिसऑर्डर में भी उपयोगी (ETV Bharat)

किस-किस नाम से जाना जाता है ?

खरपतवार की तरह पहली बारिश के साथ ही अपने आप हर जगह उग जाने वाले इस पौधे को शहडोल के आदिवासी अंचल में चकौड़ा के नाम से जाना जाता है. संस्कृत में इसे चक्रमर्द बोला जाता है. हिंदी में भी इसके कई नाम है कुछ लोग चकवड़, पंवाड़ के नाम से जानते हैं. अलग अलग क्षेत्रों में इसे अलग अलग नामों से जाना जाता है. शहडोल संभाग में लोकल क्षेत्र में इसे चकौड़ा के नाम से जाना जाता है.

चकौड़ा का पौधा (ETV Bharat)

कैसा होता है इसका पौधा ?

चकौड़ा का पौधा बरसात के सीजन में उष्णकटिबंधीय प्रदेशों में परती भूमि पर, कूड़े करकट, नदी नालों के किनारे समूह में उगे हुए मिलते हैं. कहीं-कहीं इसके कोमल पत्तों की भाजी बनाकर खाई जाती है. शहडोल जिले के आदिवासी अंचल में आज भी इसके कोमल पत्तों को तोड़कर इसकी भाजी बनाकर खाई जाती है. ये पूरे भारत में विशेषतया उष्ण प्रदेशों के जंगल झाड़ी, खेत, मैदान, सड़क के किनारे पाया जाता है. यह एक छोटा सा छुप पौधा होता है, ये पौधा बहुत बड़ा नहीं होता है. इसके बीज मेथी के दानों की तरह होते हैं. जुलाई से सितंबर तक इसमें फ्लॉवरिंग होती है और अगस्त से नवंबर तक फ्रुटिंग होती है.

चकौड़ा के पौधे का इस्तेमाल (ETV Bharat)

त्वचा रोगों के लिए रामबाण

आयुर्वेद डॉक्टर अंकित नामदेव बताते हैं कि "चकौड़ा के पौधे का मेडिसिनल उपयोग किया जाता है, इसका पूरा पंचांग औषधि के काम आता है. चकौड़ा का जो बीज होता है, उसके तेल को पैक करके चक्रमर्द तेल बनाया जाता है, जो की स्किन इन्फेक्शन के लिए, फंगल डिसऑर्डर के लिए बहुत अच्छा काम करता है. हालांकि हरी पत्तियां भी इसकी बड़े काम की होती हैं, अगर इन्हें पीसकर पेस्ट बना करके फंगल डिसऑर्डर पर लोकल एप्लीकेशन किया जाए तो बहुत फायदा मिलता है. इसकी पत्तियों का जो पेस्ट होता है आप उसे डायरेक्टली किसी भी स्किन इन्फेक्शन में लगा सकते हैं, स्किन इन्फेक्शन बहुत जल्द ही ठीक होता है. खास तौर पर बैक्टीरिया या फंगल ओरिजिन जो स्किन इन्फेक्शन होता है उस पर ये बहुत काम करता है. इसके जब बीज हरे होते हैं तब उनका पेस्ट लगाया जा सकता है. जब ये बीज पककर सूख जाते हैं तब इससे जो तेल बनाया जाता है और वो मार्केट में चक्रमर्द तेल के नाम से आता है, इसको भी स्किन इन्फेक्शन में काफी उपयोग किया जाता है.

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मेटाबॉलिक डिसऑर्डर में भी उपयोगी

इसके जो बीज होते हैं, इसके बीज का चूर्ण तैयार किया जाता है और ये मेटाबॉलिक डिसऑर्डर में भी काफी हद तक काम करता है. जैसे कि डायबिटीज हो गया, थायराइड हो गया, पीसीओडी हो गया, स्वाद में ये काफी कड़वा होता है, इसीलिए लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स होने के कारण इसका डीएम में भी डायबिटीज मेलाइटिस में काफी हद तक उपयोग होता है.

पूरा पंचांग उपयोगी

आयुर्वेद डॉक्टर अंकित नामदेव बताते हैं कि चाकौड़ा के पूरे पंचांग का औषधीय इस्तेमाल होता है, जब ये हरा होता है तो इसके पत्ता का इस्तेमाल होता ही है और सूखने के बाद इसके बीज का बहुत ज्यादा उपयोग होता है.

Last Updated : Aug 17, 2024, 12:10 PM IST

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