शहडोल (अखिलेश शुक्ला): मध्य प्रदेश का शहडोल जिला एक ऐसा इलाका है, जो छत्तीसगढ़ से लगा हुआ है. इसके अलावा जिले से बांधवगढ़ और संजय गांधी टाइगर रिजर्व भी लगे हुए हैं. यहां प्रकृति की अद्भुत खूबसूरती देखने को मिलती है. शहडोल में जल, जंगल और जमीन भरपूर मात्रा में मौजूद है, वैसे तो यहां तरह-तरह के जंगली जीव जंतु और पशु पक्षी पाए जाते हैं, लेकिन यहां के जंगलों को पिछले कुछ सालों से बाघ और हाथी बहुत ज्यादा पसंद कर रहे हैं.
बाघ और हाथियों का मूवमेंट
शहडोल के कई क्षेत्रों में इन दिनों बाघों का मूवमेंट अक्सर देखा जा रहा है. आए दिन अलग-अलग जगहों से बाघ के दिखाई देने की खबरें और वीडियो सामने आ रहे हैं. हाल ही में बाघ ने विचरण के दौरान एक व्यक्ति पर हमला कर मौत के घाट उतार दिया था. इस घटना के बाद से दहशत फैली हुई है. लोग शाम के बाद जंगल वाले रास्तों से आने-जाने में बचते हैं. वहीं हाथियों का मूवमेंट भी लगातार बना रहता है. वर्तमान में हाथियों का झुंड ब्यौहारी क्षेत्र के जंगल में बना हुआ है.
नदी में पानी पीता हाथियों का झुंड (ETV Bharat) बाघ और हाथियों की पसंदीदा जगह
शहडोल साउथ डीएफओ श्रद्धा प्रेंद्रे बताती हैं कि "शहडोल जिले में बाघ का मूवमेंट तो है ही, इसके अलावा ब्यौहारी क्षेत्र के शहरगढ़ गांव की सीमा लगा हुआ 2000-3000 हेक्टेयर का घना जंगल है. जिसमें अक्सर हाथियों का झुंड रहवास करता है. जंगल में अभी 14 से 20 की संख्या में हाथी मौजूद हैं. इनका पूरा दल वहां विचरण कर रहा है, क्योंकि वहां घना जंगल है. बाघ और हाथियों को तो हमारे जंगल पसंद ही हैं, इसके अलावा तेंदुआ और भालू की भी काफी भरमार है".
क्यों पसंद आ रहे यहां के जंगल?
बाघ और हाथियों को शहडोल के जंगल क्यों पसंद आ रहा है?. इस बारे मेंडीएफओ श्रद्धा पेन्द्रे का कहना है कि "शहडोल जिले में मिश्रित जंगल हैं, यहा जंगल हमेशा हरे भरे होते हैं, सागौन के जो जंगल होते हैं वो पतझड़ में पत्ते छोड़ देते हैं और खुला मैदान जैसा हो जाता है, लेकिन शहडोल के जंगलों में ऐसा नहीं है. जिले में ऐसे वन क्षेत्र मौजूद हैं, जो इन जंगली जीवों के लिए बहुत ही मुफीद जगह है."
जंगल में विचरण करता बाघ (ETV Bharat) जंगल में आगजनी के मामले घटे
"इसके अलावा पिछले कुछ सालों से हम लगातार शक्ति भी बरत रहे हैं. जिससे जंगलों में गर्मियों के सीजन में आगजनी जैसी घटनाएं न हों और पेड़ पौधे नष्ट नहीं हों. अगर इस तरह की घटनाएं नहीं होंगी, तो इससे जंगल घना होगा. पिछले साल यह घटनाएं बहुत कम हुई हैं. साल दर साल जंगल में आगजनी की घटनाएं कम हो रही हैं. हमारी कोशिश यही है कि जंगल में किसी भी कीमत पर आग नहीं लगनी चाहिए."
जानवरों के शिकार पर लगी रोक
डीएफओ श्रद्धा पेन्द्रे ने बताया कि "हमने अपने पूरे स्टाफ को हिदायत दे रखी है कि हमारे जंगलों में वन्य प्राणियों के शिकार के लिए करंट लगाने जैसी घटनाएं न हों, हमारा पूरा स्टाफ भी इसमें कड़ाई से काम कर रहा है. यही वजह भी है कि अब वन्य प्राणियों को करंट से मारने जैसी घटनाएं नहीं हो रही हैं. ऐसी घटनाओं पर अब ब्रेक लग रहा है, इसके लिए हम भी लगातार गश्त कर रहे हैं."
शहडोल क्षेत्र में बढ़ा बाघ का मूवमेंट (ETV Bharat) भोजन पानी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध
"हमारे जिले का जंगल इन वन्य प्राणियों को इसलिए भी पसंद आ रहा है. क्योंकि हमारे क्षेत्र के जानवरों को घना जंगल मिल रहा है. साथ ही जानवरों को आसानी से पर्याप्त मात्रा में भोजन की उपलब्धता है. इसके अलावा आसानी से पीने का पानी भी मिल रहा है और किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं हो रही है. यहां के जगंलों में ये स्वच्छंद होकर घूम पा रहे हैं. इसीलिए वो पूरी तरह से सुरक्षित महसूस कर रहे हैं. इन जंगलों को अपना रहवास बनाने की कोशिश में लगे हुए हैं."