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हिमाचल में बाहरी राज्य के लोगों ने रिहायशी मकान के लिए ली थी धारा-118 की मंजूरी और खोल दिए होम स्टे, अब कार्रवाई के मूड में सरकार - Section 118 misuse in Himachal

Section 118 misuse in Himachal: बाहरी राज्य के लोगों की ओर से धारा-118 की अवहेलना कर खोले गए होम स्टे पर सरकार के नियमों का डंडा चल सकता है. इसके लिए 22 जुलाई को शिमला में हिमाचल प्रदेश होम स्टे नियम-2024 के बदलाव को लेकर गठित मंत्रिमंडलीय उप-समिति की बैठक उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान की अध्यक्षता में प्रस्तावित है.

Section 118 misuse in Himachal
हिमाचल में धारा-118 का दुरुपयोग (कॉन्सेप्ट इमेज)

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jul 21, 2024, 7:06 PM IST

शिमला: छोटे खूबसूरत पहाड़ी राज्य में बसने की इच्छा पाले बाहरी राज्यों से आए कई लोग धारा-118 की धज्जियां उड़ा रहे हैं. देश के विभिन्न राज्यों से बड़ी संख्या में लोगों ने धारा-118 की अनुमति लेकर अपने रिहायशी मकान बनाए हैं लेकिन प्रदेश के पर्यटन स्थलों में ऐसे लोगों ने कमाई के चक्कर में धारा-118 में तय नियमों का दुरुपयोग कर होम स्टे खोल दिए हैं.

ऐसे कई मामले सरकार के ध्यान में आए हैं. इस तरह से बाहरी राज्यों के लोगों की ओर से धारा-118 की अवहेलना कर खोले गए होम स्टे पर सरकार के नियमों का डंडा चल सकता है. इसके लिए 22 जुलाई को शिमला में हिमाचल प्रदेश होम स्टे नियम-2024 के बदलाव को लेकर गठित मंत्रिमंडलीय उप-समिति की बैठक उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान की अध्यक्षता में प्रस्तावित है. इसमें धारा-118 की अवहेलना करके खोले गए होम स्टे को बंद करने की सिफारिश की जा सकती है. इसके अलावा होम स्टे में बिजली और पानी की सुविधा कमर्शियल दरों पर दिए जाने को लेकर बड़ा फैसला लिया जा सकता है.

युवाओं को रोजगार देने को शुरू की गई थी योजना

प्रदेश में बेरोजगार युवाओं के लिए सरकार ने रोजगार उपलब्ध कराने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में विकल्प के तौर पर होम स्टे खोलने की योजना शुरू की थी. ग्रामीण क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए साल 2008 में होम स्टे, बेड एंड ब्रेक फास्ट इकाइयां खोले जाने की योजना लागू की गई थी.

इसके बाद बड़ी संख्या में कुल्लू, लाहौल-स्पीति व शिमला में बड़ी संख्या में होम स्टे खुले हैं. प्रदेश भर में कुल 4289 होम स्टे हैं जिसमें कुल 17,222 कमरे हैं. इनकी बेड कैपेसिटी 26,727 है.

कुल्लू में हैं सबसे ज्यादा होम स्टे

वर्तमान में सबसे अधिक होम स्टे कुल्लू में हैं. यहां 1040 होम स्टे हैं. इसके बाद दूसरे नंबर पर शिमला में 805 होम स्टे हैं. इसी तरह से लाहौल-स्पीति में 718 होम स्टे हैं. प्रदेश के सबसे बड़े जिला कांगड़ा में होम स्टे की संख्या 431 है. सोलन में कुल 328 होम स्टे स्थापित हो चुके हैं. चंबा में 322, मंडी 241, किन्नौर 202, सिरमौर 123, बिलासपुर 44, ऊना 18 और हमीरपुर में होम स्टे की संख्या 17 है.हिमाचल के प्रमुख पर्यटन स्थलों पर बाहरी राज्यों के बहुत से लोगों ने सरकार से धारा-118 के तहत रिहायशी मकानों की अनुमति लेकर होम स्टे खोल दिए हैं.

क्या है धारा 118 ?

हिमाचल प्रदेश किरायेदारी और भूमि सुधार अधिनियम, 1972 (Himachal Pradesh Tenancy and Land Reforms Act 1972) के तहत हिमाचल के लोगों के हितों को सुरक्षित रखने के लिए एक विशेष प्रावधान किया गया है. इस एक्ट में धारा-118 के तहत गैर-कृषकों को जमीन ट्रांसफर करने पर प्रतिबंध है, यानी हिमाचल का गैर-कृषक भी यहां पर जमीन नहीं खरीद सकता है.

हिमाचल में धारा-118 की जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि प्रदेश को साल 1971 में पूर्ण राज्य का दर्जा मिला था. देश के 18वें राज्य के रूप में हिमाचल अस्तित्व में आया तो एक साल बाद ही भूमि सुधार कानून लागू हो गया. कानून की धारा-118 के तहत कोई भी बाहरी व्यक्ति खेती की जमीन निजी उपयोग के लिए नहीं खरीद सकता है फिर लैंड सीलिंग एक्ट में कोई भी व्यक्ति 150 बीघा जमीन से अधिक नहीं रख सकता है.

भौगोलिक दृष्टि से हिमाचल के ज्यादातर क्षेत्र देश के दुर्गम इलाकों में आते हैं. हिमाचल के पास सीमित भूमि है और पहाड़ी पर्यटन राज्य होने के नाते निर्माताओं ने पहले से भविष्य को भांपते हुए हिमाचल के छोटे और सीमांत किसानों के हितों की रक्षा के लिए ये कदम उठाया है.

धारा-118 के तहत प्रदेश का कोई भी जमीन मालिक किसी भी गैर कृषक को किसी भी जरिए (सेल डीड, गिफ्ट, लीज, ट्रांसफर, गिरवी आदि) से जमीन नहीं दे सकता. भूमि सुधार अधिनियम 1972 की धारा 2(2) के मुताबिक जमीन का मालिकाना हक उसका होगा जो हिमाचल प्रदेश में अपनी जमीन पर खेती करता है.

वहीं, रिहायशी मकान बनाने के लिए धारा-118 के तहत ऐसे व्यक्ति को अनुमति दी जाती है, जो 30 सालों से हिमाचल में रह रहा हो. इसी तरह से धारा-118 के तहत उद्योग या पर्यटन जैसी गतिविधियां शुरू करने के लिए गैर हिमाचली को सिंगल विंडो सिस्टम के तहत आवेदन करना होता है जिसके बाद संबंधित विभाग से अनिवार्यता प्रमाण पत्र लेकर ऐसे व्यक्ति को अनुमति दी जाती है. चेंज लैंड यूज भी नहीं किया जा सकता जो व्यक्ति किसान नहीं है और हिमाचल में जमीन खरीदना चाहता है उसे प्रदेश सरकार से अनुमति लेनी पड़ती है.

सरकार से अनुमति लेने पर मालिकाना हक मिल सकता है. उद्योग या पर्यटन विकास से जुड़े मामलों और रिहायशी मकान में ही सरकार हर मसले और जानकारी की पूरी तरह से जांच परख के बाद जमीन पर फैसला लेती है. जमीन का CLU यानी चेंज लैंड यूज भी नहीं किया जा सकता. यानी जमीन जिस उद्देश्य के लिए ली गई है उस पर केवल वही नियम लागू होंगे.

इस पर अन्य व्यावसायिक गतिविधियां नहीं की जा सकती हैं, लेकिन बाहरी राज्यों के लोगों ने हिमाचल में धारा-118 के तहत उद्योग और मकान बनाने की अनुमति लेकर होम स्टे खोल दिए हैं जिसमें बड़ी संख्या में गैर पंजीकृत होम स्टे और बेड एंड ब्रेकफास्ट इकाइयां भी प्रदेश में संचालित हो रही हैं. ऐसे में होम स्टे के साथ बेड एंड ब्रेकफास्ट इकाइयों को भी पर्यटन विभाग की कार्रवाई के दायरे में लाने पर भी विचार-विमर्श किया गया.

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