लखनऊ :माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) ने नई शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत विद्यालयों के समय में गर्मी की छुट्टी के बाद बड़ा बदलाव कर दिया है. जुलाई से शुरू होने जा रहे नए शैक्षणिक सत्र से अब विद्यालयों का संचालन दिन में पूरे 6 घंटे तक किया जाना है. इससे इससे पहले एडेड विद्यालयों में कुल 5 घंटा 20 मिनट तक की ही पढ़ाई-लिखाई होती रही है. अब इस टाइमिंग को लेकर प्रदेश भर के शिक्षकों में नाराजगी देखने को मिल रही है. शिक्षकों का कहना है कि नए फरमान में प्रत्येक पीरियड करीब 40 मिनट का होगा. ऐसे में शिक्षकों के ऊपर काम का दबाव बढ़ेगा. सरकार शिक्षकों की परेशानी को कम करने की जगह उसे बढ़ाने में लगी है.
प्रदेश में एडेड विद्यालय की बात करें तो इन विद्यालयों में छात्र-शिक्षक का जो अनुपात सरकार की तरफ से तय है, उसकी स्थिति काफी दयनीय है. केवल राजधानी की ही बात की जाए तो यहां पर मौजूद 100 से अधिक सहायता प्राप्त विद्यालयों (एडेड) शिक्षकों के कमी के कारण कक्षा 9 से 12 तक का संचालन नहीं हो पा रहा है. आलम यह है कि इन विद्यालय में केवल कक्षा एक से लेकर आठ तक की पढ़ाई हो रही है.
माध्यमिक शिक्षक संघ एकजुट के सोहनलाल वर्मा ने बताया कि शासन लगातार माध्यमिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में शिक्षण कार्य की गुणवत्ता को सुधारने के लिए बड़े-बड़े दावे करता है, लेकिन शिक्षण कार्य को बेहतर बनाने की जिम्मेदारी जिन शिक्षकों पर है उनके वर्कलोड और उनकी संख्या को लेकर कोई बात नहीं कर रहा है. मौजूदा समय में प्रदेश में करीब 4500 से अधिक ऐडेड विद्यालयों में छात्र-शिक्षक अनुपात बहुत कम है.
इन विद्यालयों में पढ़ने के लिए करीब 80 हजार स्वीकृत पदों के सापेक्ष आज के समय में मात्र 62 हजार शिक्षक ही मौजूद हैं. एक विद्यालय में प्रत्येक विषय में 6 से 10 तक एलटी ग्रेड (सहायक अध्यापक) में दो शिक्षक चाहिए. प्रवक्ता वर्ग में भी प्रत्येक विषय में दो शिक्षक चाहिए. शिक्षक भर्ती के लिए सरकार ने शिक्षक चयन बोर्ड का गठन करने की बात कही थी लेकिन पर बीते 3 साल से यह प्रक्रिया भी अभी तक लंबित है.