दुमका : जिले का शिकारीपाड़ा विधानसभा क्षेत्र झारखंड मुक्ति मोर्चा का अभेद किला माना जाता है. इसकी वजह भी स्वाभाविक है क्योंकि पिछले 35 सालों से लगातार यहां से जेएमएम जीतता आ रहा है. बड़ी बात ये है कि सातों बार उम्मीदवार भी ही एक ही रहा है और वो हैं पार्टी के कद्दावर नेता नलिन सोरेन. नलिन सोरेन शिकारीपाड़ा से सात बार विधायक बने. विरोधी कोई भी हो, उन्हें कोई नहीं हरा सका. इस सीट की खास बात ये है कि ये अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीट है. जहां संथाल समुदाय के वोटर करीब 30% हैं. वहीं अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय की बात करें तो इनके वोटरों की संख्या करीब 15% है. जिससे इस सीट पर हमेशा झामुमो के लिए एडवांटेज रहता है.
इस बार नलिन सोरेन नहीं होंगे प्रत्याशी
झारखंड में होने वाले विधानसभा चुनाव 2024 में शिकारीपाड़ा विधानसभा चुनाव कुछ अलग ही नजर आएगा, क्योंकि सात बार के विधायक नलिन सोरेन इस बार चुनावी मैदान में नहीं होंगे. लोकसभा चुनाव 2024 में वे दुमका सीट से जेएमएम के टिकट पर बीजेपी की सीता सोरेन को हराकर लोकसभा पहुंच गए हैं. अब जब सात बार के विधायक नलिन सोरेन विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे तो मुख्य विपक्षी दल बीजेपी के पास शिकारीपाड़ा सीट पर 35 साल का सूखा खत्म करने का बड़ा मौका होगा.
2024 के चुनाव में कड़ी टक्कर की उम्मीद
शिकारीपाड़ा विधानसभा सीट पर इस बार 2024 के चुनाव में कड़ी टक्कर होने की उम्मीद है क्योंकि नलिन सोरेन मैदान में नहीं होंगे. वैसे अब झारखंड मुक्ति मोर्चा के सामने भी बड़ी चुनौती होगी कि पार्टी जिसे टिकट देगी, क्या वो लगातार आठवीं बार पार्टी को जीत दिला पाएगा. इस संबंध में हमने सीधे नलिन सोरेन से बात की जो दुमका के सांसद हैं, साथ ही जेएमएम के केंद्रीय उपाध्यक्ष भी हैं.
नलिन सोरेन ने कहा कि इस बार मैं सांसद बन गया हूं, इसलिए शिकारीपाड़ा सीट पर हमारी पार्टी के दूसरे उम्मीदवार उतरेंगे. उन्होंने दावा किया कि जिस तरह से जेएमएम लगातार सात बार से जीत दर्ज करता आ रहा है. वही स्थिति इस बार विधानसभा चुनाव 2024 में दोहराई जाएगी. पूरी पार्टी तय उम्मीदवार के लिए मेहनत करेगी और हम फिर से तीर-धनुष का झंडा लहराएंगे.
उन्होंने यह भी कहा कि सीएम हेमंत सोरेन ने जनकल्याण के लिए इतना काम किया है, जाहिर है उन्हें जनता का आशीर्वाद मिलेगा. इधर, राजनीतिक गलियारे से मिली जानकारी के अनुसार नलिन सोरेन के बेटे आलोक सोरेन इस बार टिकट के लिए प्रयासरत हैं. नलिन सोरेन से जब आलोक सोरेन के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि आलोक सोरेन निश्चित रूप से पिछले कई वर्षों से झामुमो से जुड़कर सक्रिय राजनीति में हैं और खासकर शिकारीपाड़ा विधानसभा क्षेत्र में वे लोगों की सेवा में काफी सक्रिय हैं. हम भी चाहेंगे कि पार्टी उन्हें टिकट दे. हालांकि, नलिन सोरेन ने इस सीट को इस हद तक अपना बना लिया था कि कोई ऐसा नेता उभरकर सामने नहीं आ पाया जो उम्मीदवार बनने का दावा कर सके.
भाजपा के लिए बड़ा अवसर
दुमका जिले के शिकारीपाड़ा सीट पर पिछले 35 सालों का सूखा खत्म करने का इस बार बीजेपी के पास अच्छा मौका है, क्योंकि इस बार नलिन सोरेन चुनावी मैदान में नहीं होंगे. पिछले 2019 के चुनाव में परितोष सोरेन बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़े थे, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. हालांकि परितोष सोरेन 2009 और 2014 में भी शिकारीपाड़ा से उम्मीदवार थे, लेकिन उन दोनों ही मुकाबलों में वे झारखंड विकास मोर्चा के टिकट पर चुनाव लड़े थे. कुल मिलाकर परितोष सोरेन ने लगातार तीन बार नलिन सोरेन के खिलाफ चुनाव लड़ा और तीनों ही बार नलिन सोरेन मजबूत रहे.