सावन में खास तरीके से करिए भोले भंडारी की पूजा, बन जाएंगे बिगड़े काम - Sawan somwar Vrat - SAWAN SOMWAR VRAT
सावन सोमवार व्रत के दिन भगवान भोलेनाथ की खास विधि से पूजा अर्चना करनी चाहिए. आप भी भोलेनाथ की कृपा पाना चाहते हैं तो इस खास विधि से भोलेनाथ की पूजा अचर्ना करें.
भोलेनाथ को करना है प्रसन्न तो कर लें ये काम (ETV Bharat)
रायपुर: सावन माह की शुरुआत 22 जुलाई से हो रही है. 19 अगस्त को सावन माह का अंतिम दिन है. इस साल खास बात यह है कि सावन महीने की शुरुआत सोमवार के दिन से हो रही है और इस महीने का समापन भी सोमवार के दिन होगा. इस बार के सावन में पांच सोमवार पड़ रहे हैं. ऐसे में सावन महीने के सोमवार के दिन व्रत उपवास कैसे किया जाए? क्या है पूजन विधि? जानते के लिए ईटीवी भारत ने ज्योतिष पंडित प्रियशरण त्रिपाठी से बातचीत की.
जानिए क्या कहते हैं ज्योतिष: ज्योतिष पंडित प्रियाशरण त्रिपाठी ने बताया, "भगवान भोलेनाथ सरल और सहज हैं. ऐसे में भगवान की पूजा आराधना सहज और सरल तरीके से करनी चाहिए. ऐसे में भगवान रुद्र या शिव की पूजा आराधना सहज और तरीका सरल तरीके से करना चाहिए. वैसे भी भगवान शिव को टेढ़े व्यक्ति पसंद नहीं है. जितने भी राक्षस हैं, उन्होंने शिव की उपासना करके वरदान लिए थे. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि भगवान कितने सहज और सरल हैं. इस बार के सावन में पांच सोमवार पड़ रहे हैं. इन पांचों सोमवार में भक्त सहज और सरल तरीके से भगवान भोलेनाथ की पूजा आराधना और व्रत कर सकते हैं."
सोमवार के व्रत में इन बातों का रखें विशेष ध्यान:
सावन के महीने में सोमवार का व्रत रखने के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान करें.
स्नान के बाद साफ स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
इसके बाद भगवान शिक के मंदिर की साफ सफाई करें.
भगवान की पूजा मंदिर या घर में की जा सकती है.
भगवान शिव की पूजा के लिए बेलपत्र, धतूरा, दूध, जल, फल जैसी चीजों की जरूरत पड़ती है.
मंदिर या घर में विधि-विधान से शिवलिंग की पूजा करने के बाद अभिषेक करना चाहिए.
व्रत रखने वालों को फलाहार करना चाहिए.
इस दौरान अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए.
सावन सोमवार का व्रत रखने वाले जातक को इस दिन शिवलिंग का अभिषेक करना चाहिए.
शिवलिंग का अभिषेक दूध, दही, जल से किया जा सकता है.
शिव पुराण के अनुसार अभिषेक से महादेव अति प्रसन्न होते हैं.
पौराणिक कथाओं के अनुसार समुद्र मंथन के बाद निकले विष का पान करने से भगवान शिव के कंठ नीले पड़ गए थे.
तब विष की उष्णता यानी कि गर्मी को कम करने के लिए देवताओं ने उन्हें जल चढ़ाया था.
इसलिए भगवान शिव को जल अभिषेक जरूर करना चाहिए.
नोट: यहां लिखी सारी बातें पंडित जी द्वारा कही बातें है. ईटीवी भारत इसकी पुष्टि नहीं करता.