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आज है पितरों की विदाई का दिन, अद्भुत योग में अमावस्या के श्राद्ध के साथ शाम को इस तरह करें पितरों को विदा - Sarva Pitru Amavasya 2024 - SARVA PITRU AMAVASYA 2024

आज सर्वपितृ अमावस्या है. हिंदू धर्म में इसे पितृपक्ष का अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण दिन माना जाता है.इस अवधि में लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति और मुक्ति के लिए तर्पण, पिंडदान और अन्य धार्मिक अनुष्ठान करते हैं.

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आज है पितरों की विदाई का दिन (photo credit- Etv Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Oct 2, 2024, 10:36 AM IST

वाराणसी:15 दिनों तक पितरों की आव भगत और तर्पण श्राद्ध करने के बाद आज उनकी विदाई का वक्त है. सर्वपितृ विसर्जन के साथ पितरों को समर्पित पखवारा का समापन आज होगा. लेकिन, इस बार अमावस्या तिथि पर अतिदुर्लभ संयोग बन रहा है. ऐसा शुभ योग कई दशक बाद बन रहा है. इस दिन इस दिन जल तर्पण से पितृ तृप्त होंगे. साथ ही उनके आशीर्वाद से सफलता और समृद्धि के द्वार भी खुलेंगे. ये सुयोग सौ बाधाओं से मुक्ति दिलाने वाला भी है.

ज्योतिषाचार्य पं. ऋषि द्विवेदी ने बताया, कि दो अक्टूबर को आश्विन अमावस्या और हस्त नक्षत्र के संयोग में बनने वाले गजछाया योग से इस बार सर्वपितृ विसर्जन बेहद खास है. गजछाया योग बुधवार को दिन में 12 बजकर 41 मिनट के बाद बन रहा है. इसमें तर्पण आदि करने से पितरों की विशेष कृपा प्राप्त होगी. उन्होंने बताया कि 16 दिन के श्राद्ध होते हैं. भाद्रपद की पूर्णिमा का एक दिन और आश्विन कृष्णपक्ष के 15 दिन को मिलाकर 16 दिन होते हैं.

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श्राद्ध करने से जीवन में मिलती है सुख-समृद्धि:ज्योतिषाचार्य पं. ऋषि द्विवेदी ने बताया,कि आश्विन कृष्णपक्ष की अमावस्या तिथि के दिन सर्वपितरों का विसर्जन किया जाता है. तर्पण आदि पिंडदान करने के लिए सफेद या पीतवर्ण के वस्त्र धारण करने चाहिए, जो व्यक्ति श्राद्ध करने का सामर्थय नहीं रखता हो, उन्हें मात्र जल में काला तिल लेकर दक्षिण दिशा की ओर मुख करके अपने पितरों को याद करके तिलांजलि देनी चाहिए. पितरों का श्राद्ध करने से जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली बनी रहती है. ब्रह्म पुराण के अनुसार जो भी वस्तु उचित काल या स्थान पर पितरों के नाम उचित विधि द्वारा ब्राह्मणों को श्रद्धापूर्वक दिया जाए वह श्राद्ध कहलाता है. श्राद्ध के माध्यम से पितरों को तृप्ति के लिए भोजन पहुंचाया जाता है. पिण्ड रूप में पितरों को दिया गया भोजन श्राद्ध का अहम हिस्सा होता है.

इस तरह करे पितरों को विदा:पंडित ऋषि द्विवेदी ने बताया, कि पितृ अमावस्या के दिन में श्राद्ध कर्म और ब्राह्मण भोजन करवाने के बाद शाम के वक्त सूर्य अस्त होने के बाद अपने घर की दहलीज पर दीपक जलाकर मिट्टी के पात्र में जल और पत्तल में भोजन रखने के साथ जल की धारा देते हुए पितरों को विदा करने का कार्य किया जाता है. इस दौरान, ॐ सर्व पितृ देवताभ्यो नमः मंत्र का जाप करते हुए पितरों को विदा करना चाहिए.

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