प्रयागराज: महाकुंभ नगर में जबरदस्त भीड़ के बीच सेलिब्रिटी हो या राजनेता, हर कोई डुबकी लगाने पहुंच रहा है, लेकिन यहां एक ऐसा शख्स भी है, जिसका कहना है कि वह पिछले करीब 22 सालों से खुद के जिंदा होने का सबूत दे रहा है, लेकिन न तो सरकार, न ही प्रशासन उसकी सुन रहा है. आरोप है कि रिश्तेदारों ने उसकी करीब 12 बीघा जमीन उसे मुर्दा दिखाकर हड़प ली. ये हैं वाराणसी के चौबेपुर में छितौनी गांव के रहने वाले संतोष मूरत सिंह. संतोष कुंभ में पहुंचे हैं और अपने गले में 'तेरहवीं हो गई लेकिन मैं जिंदा हूं' का बोर्ड लगाकर घूम रहे हैं. इस दौरान वह चर्चा का विषय बने हैं. हर कोई उनके साथ तस्वीर ले रहा है और यह भी जानने की कोशिश कर रहा है कि आखिर एक व्यक्ति अपने आप को जिंदा बताने की लड़ाई इतने सालों से क्यों लड़ रहा है.
संतोष ने ईटीवी भारत से बातचीत में अपनी पीड़ा जाहिर की. बताया कि 2003 में सरकारी दस्तावेजों में उनके रिश्तेदारों ने लगभग 12 बीघा से ज्यादा जमीन के लिए उन्हें मृत घोषित कर दिया और सारी जमीन पर कब्जा कर लिया. वर्तमान में जमीन की कीमत 35 से 40 करोड रुपए है. इसी जमीन की खातिर उनको जिंदा मारा गया. बताया कि उनके पिता सेना से रिटायर्ड थे और उनकी मृत्यु हो चुकी थी. 1995 में उनकी मां की भी मौत हो गई. मां-पिता की मौत के बाद नाबालिग के तौर पर उनका नाम ही प्रॉपर्टी में चल रहा था, लेकिन वह बीच में मुंबई चले गए. नाना पाटेकर के यहां कुक का काम करने लगे. इस दौरान 2003 में उनके रिश्तेदारों ने उन्हें मृत घोषित करके उनका मृत्यु प्रमाण पत्र बनवा लिया और सारी जमीन अपने नाम करवा ली.
संतोष का कहना है कि वह जमीन वापस लेने के लिए लगातार संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन उनकी कोई नहीं सुन रहा है. 2013 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और 2019 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी न्याय दिलाने का आश्वासन दिया था, लेकिन अभी तक कुछ हुआ नहीं. सरकारी मशीनरी के आगे लाचार होकर 'मैं जिंदा हूं' का बोर्ड गले में लटका कर घूम रहा हूं. वह कुंभ में हर किसी से अपने लिए मदद की गुहार लगा रहे हैं.