करनाल:हरियाणा में निमोनिया से हो रही मौत के आंकड़ों पर कंट्रोल करने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने एक खास अभियान की शुरुआत ही है. हरियाणा में "सांस अभियान" की शुरुआत हो गई है. ये अभियान 12 नवंबर से लेकर 28 फरवरी तक चलाया जाएगा. इस अभियान के तहत स्वास्थ्य कर्मी और आशा घर- घर जाकर सर्दी, खांसी से पीड़ित बच्चों की जांच करेगी. साथ ही बच्चों के मां-पिता को हेल्थ संबंधित परामर्श देगी. जांच के दौरान संदिग्ध पाए गए बच्चों को इलाज के लिए स्वास्थ्य केन्द्र भेजा जाएगा.
5 साल तक के बच्चों का स्क्रीनिंग टेस्ट:करनाल में भी स्वास्थ्य विभाग की ओर से जीरो से 5 साल तक के बच्चों के लिए स्क्रीनिंग टेस्ट किए जाएंगे, जिसमें निमोनिया की जांच होती है. अगर इसमें कोई संदिग्ध केस सामने आता है तो उसको इलाज के लिए स्वास्थ्य केंद्रों पर भेजने का काम स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों द्वारा किया जाएगा. इसमें जीरो से 5 साल तक के बच्चों के स्वास्थ्य की व्यापक जांच की जाती है, जिसमें निमोनिया की जांच के बाद अगर कोई बच्चा संदिग्ध पाया जाता है तो उसकी जांच या इलाज के लिए उसे अस्पताल में भेजा जाता है. निमोनिया के मामले कम करने के लिए जिला स्वास्थ्य विभाग लगातार काम कर रहा है, ताकि निमोनिया पर नियंत्रण किया जा सके और सभी बच्चे स्वस्थ रहे.
12 नवंबर से शुरू हुआ अभियान:इस बारे में ईटीवी भारत ने डॉ नीलिमा से बातचीत की. उन्होंने कहा कि पीसीबी वैक्सीन टीकाकरण साल 2018 में हरियाणा सरकार ने गवर्नमेंट आफ इंडिया से परचेस कर बच्चों को लगाने का अभियान शुरू किया था, जिसके अब सार्थक परिणाम भी सामने आ रहे हैं. हरियाणा में सांस अभियान 12 नवंबर से शुरू हो चुका है. निमोनिया के कारण होने वाली मृत्यु को कम करने के उद्देश्य से प्रदेश सरकार ने इस अभियान को 28 फरवरी 2025 तक चलाया. इस अभियान में आशा वर्कर घर-घर जाकर 0 से 5 साल तक के बच्चों की स्क्रीनिंग करेंगी और निमोनिया के संदिग्ध बच्चों को इलाज और जांच के लिए स्वास्थ्य केन्द्रों में भेजा जाएगा. सभी सरकारी अस्पतालों में निमोनिया के मरीजों की विशेष देखभाल की जाएगी, ताकि बच्चे का समय पर उचित इलाज हो सके.
जीरो से 5 वर्ष तक के बच्चों में निमोनिया के कारण मृत्यु दर लगभग 16 प्रतिशत होती है, जिसकी रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से पीसीवी टीकाकरण किया जा रहा है. निमोनिया रोधक पीसीवी वैक्सीन की पहली डोज डेढ़ माह पर, दूसरी डोज साढ़े तीन माह पर और बूस्टर डोज नौ माह पर लगाया जाता है. इस अभियान में आशा वर्कर घर-घर जाकर पीसीवी टीकाकरण से छूटे बच्चों की सूची तैयार करती है और उनका टीकाकरण किया जाता है. 5 वर्ष तक के बच्चों के अभिभावक सर्दी के मौसम में अपने बच्चों का विशेष ध्यान रखे. निमोनिया रोधक पीसीवी टीकाकरण करवाएं और निमोनिया के लक्षण होने पर तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र से सम्पर्क करे.-डॉ. नीलम शर्मा, डिप्टी सिविल सर्जन