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हरियाणा में "सांस अभियान" शुरू, निमोनिया पीड़ित बच्चों का किया जाएगा इलाज

हरियाणा में सांस अभियान की शुरुआत हो चुकी है. इस अभियान के जरिए 0-5 साल तक के निमोनिया पीड़ित बच्चों का इलाज किया जाएगा.

SANSA CAMPAIGN STARTED IN HARYANA
हरियाणा में सांस अभियान शुरू (ETV Bharat)

By ETV Bharat Haryana Team

Published : 4 hours ago

करनाल:हरियाणा में निमोनिया से हो रही मौत के आंकड़ों पर कंट्रोल करने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने एक खास अभियान की शुरुआत ही है. हरियाणा में "सांस अभियान" की शुरुआत हो गई है. ये अभियान 12 नवंबर से लेकर 28 फरवरी तक चलाया जाएगा. इस अभियान के तहत स्वास्थ्य कर्मी और आशा घर- घर जाकर सर्दी, खांसी से पीड़ित बच्चों की जांच करेगी. साथ ही बच्चों के मां-पिता को हेल्थ संबंधित परामर्श देगी. जांच के दौरान संदिग्ध पाए गए बच्चों को इलाज के लिए स्वास्थ्य केन्द्र भेजा जाएगा.

5 साल तक के बच्चों का स्क्रीनिंग टेस्ट:करनाल में भी स्वास्थ्य विभाग की ओर से जीरो से 5 साल तक के बच्चों के लिए स्क्रीनिंग टेस्ट किए जाएंगे, जिसमें निमोनिया की जांच होती है. अगर इसमें कोई संदिग्ध केस सामने आता है तो उसको इलाज के लिए स्वास्थ्य केंद्रों पर भेजने का काम स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों द्वारा किया जाएगा. इसमें जीरो से 5 साल तक के बच्चों के स्वास्थ्य की व्यापक जांच की जाती है, जिसमें निमोनिया की जांच के बाद अगर कोई बच्चा संदिग्ध पाया जाता है तो उसकी जांच या इलाज के लिए उसे अस्पताल में भेजा जाता है. निमोनिया के मामले कम करने के लिए जिला स्वास्थ्य विभाग लगातार काम कर रहा है, ताकि निमोनिया पर नियंत्रण किया जा सके और सभी बच्चे स्वस्थ रहे.

हरियाणा में सांस अभियान (ETV Bharat)

12 नवंबर से शुरू हुआ अभियान:इस बारे में ईटीवी भारत ने डॉ नीलिमा से बातचीत की. उन्होंने कहा कि पीसीबी वैक्सीन टीकाकरण साल 2018 में हरियाणा सरकार ने गवर्नमेंट आफ इंडिया से परचेस कर बच्चों को लगाने का अभियान शुरू किया था, जिसके अब सार्थक परिणाम भी सामने आ रहे हैं. हरियाणा में सांस अभियान 12 नवंबर से शुरू हो चुका है. निमोनिया के कारण होने वाली मृत्यु को कम करने के उद्देश्य से प्रदेश सरकार ने इस अभियान को 28 फरवरी 2025 तक चलाया. इस अभियान में आशा वर्कर घर-घर जाकर 0 से 5 साल तक के बच्चों की स्क्रीनिंग करेंगी और निमोनिया के संदिग्ध बच्चों को इलाज और जांच के लिए स्वास्थ्य केन्द्रों में भेजा जाएगा. सभी सरकारी अस्पतालों में निमोनिया के मरीजों की विशेष देखभाल की जाएगी, ताकि बच्चे का समय पर उचित इलाज हो सके.

जीरो से 5 वर्ष तक के बच्चों में निमोनिया के कारण मृत्यु दर लगभग 16 प्रतिशत होती है, जिसकी रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से पीसीवी टीकाकरण किया जा रहा है. निमोनिया रोधक पीसीवी वैक्सीन की पहली डोज डेढ़ माह पर, दूसरी डोज साढ़े तीन माह पर और बूस्टर डोज नौ माह पर लगाया जाता है. इस अभियान में आशा वर्कर घर-घर जाकर पीसीवी टीकाकरण से छूटे बच्चों की सूची तैयार करती है और उनका टीकाकरण किया जाता है. 5 वर्ष तक के बच्चों के अभिभावक सर्दी के मौसम में अपने बच्चों का विशेष ध्यान रखे. निमोनिया रोधक पीसीवी टीकाकरण करवाएं और निमोनिया के लक्षण होने पर तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र से सम्पर्क करे.-डॉ. नीलम शर्मा, डिप्टी सिविल सर्जन

अब तक नहीं हुई निमोनिया से मौत: वर्ष 2022-23 में एक लाख बच्चों का स्क्रीनिंग टेस्ट निमोनिया के लिए किया गया था, जिसमें से 197 बच्चे निमोनिया पीड़ित पाए गए थे. वर्ष 2023-24 में 89 हजार बच्चों का स्क्रीनिंग टेस्ट किया गया था, जिसमें 156 बच्चे निमोनिया से पीड़ित पाए गए थे. इस वर्ष अभी तक करीब 50 हजार बच्चों का स्क्रीन टेस्ट किया जा चुका है, जिसमें चार बच्चे निमोनिया पीड़ित पाए गए थे, लेकिन इस साल निमोनिया के चलते एक भी बच्चे की मौत करनाल जिले में नहीं हुई है.

निमोनिया के लक्षण: बच्चों में निमोनिया होने के कई लक्षण दिखाई देते हैं. अगर समय रहते उनकी जांच हो सके तो उसका उपचार हो सकता है. निमोनिया होने के लक्षणों में खांसी जुकाम, तेजी से सांस लेना, सांस लेते समय पसली चलना या छाती का नीचे धंसना, तेज बुखार आना, झटके आना, सुस्ती या अधिक नींद आना होता है. सर्दियों के मौसम में यह समस्या देखने को मिलती है, जिसके चलते हैं अभियान शुरू किया गया है. इसमें अगर कोई मां अपने बच्चों को दूध पिलाती है तो उससे पहले उसको अच्छे से अपने हाथ तो लेने चाहिए. वहीं, धुएं के कारण भी बच्चों में निमोनिया की समस्या होती है. इसलिए सर्दियों में चूल्हे नहीं जलाना चाहिए. बच्चों को धुएं से दूर रखना चाहिए. ऐसा करके हम बच्चों का बचाव कर सकते हैं.

बता दें कि हरियाणा सरकार ने इस अभियान को साल 2019 में शुरू किया था, क्योंकि उस वक्त निमोनिया से मृत्यु दर अधिक थी. तब से हर साल ये अभियान पूरे प्रदेश में चलाया जा रहा है. करनाल सहित पूरे हरियाणा में 12 नवंबर से 28 फरवरी तक यह अभियान चलाया जाएगा. स्क्रीनिंग के इस अभियान में करीब 1700 स्वास्थ्य विभाग की कर्मचारी काम कर रही है.

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