बदायूं: 19 अप्रैल से शुरू होने वाले लोकसभा चुनाव 2024 से पहले, यूपी की बदायूं लोकसभा सीट से शिवपाल सिंह यादव के चुनाव लड़ने से इंकार करने के बाद सियासी घमासान मच गया है. दरअसल, शिवपाल सिंह यादव यहां से अपने बेट को सपा का उम्मीदवार बनाना चाहते है. इसलिए उन्होंने बदायूं सीट लोकसभा चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया है.
सलीम का बड़ा खुलासा
इसी बीच सपा से बदायूं के पांच बार सांसद रह चुके सलीम इकबाल शेरवानी ने बड़ा खुलासा किया है. उन्होंने कहा कि सपा मुस्लिम यादव के अलावा अन्य जातियों के वोटरों का समीकरण नहीं साध पा रही है. इसी वजह से पहले धर्मेंद्र यादव और अब शिवपाल सिंह यादव वहां से चुनाव लड़ने से पीछे हट रहे हैं. उन्होंने कहा कि सपा के कम होते जनाधार की वजह से सपा के दिग्गज नेता चुनाव लड़ने से पीछे हट रहे हैं.
दरअसल, सलीम शेरवानी बदायूं से 5 बार सांसद रहे हैं और इस चुनाव में उनकी चाहत के बावजूद अखिलेश यादव ने उन्हें टिकट नहीं दिया. जिससे नाराज होकर सलीम शेरवानी ने पार्टी तो नहीं छोड़ी, लेकिन पार्टी में अपने पद से इस्तीफा दे दिया और पार्टी के प्रत्याशी का चुनाव प्रचार करने को भी अभी तैयार नहीं हैं.
सलीम का आरोप
बता दें कि बदायूं लोकसभा सीट से समाजवादी पार्टी के नेता शिवपाल सिंह यादव खुद चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं, बल्कि वो अपने बेटे आदित्य यादव को यहां से चुनाव लड़वाना चाह रहे हैं. वहीं, सलीम शेरवानी का कहना है कि बदायूं में सपा की हालत उनके पद से इस्तीफा देने के बाद ही खराब होने लगे थे. इसी कारण पहले धर्मेंद्र यादव और अब शिवपाल सिंह यादव भी चुनाव लड़ने का खतरा मोल नहीं लेना चाह रहे हैं. सलीम शेरवानी ने यह भी आरोप लगाया है कि बदायूं में सपा के इस हाल के पार्टी के नेतृत्व कर्ता ही जिम्मेदार हैं.
'शिवपाल सिंह यादव ने की थी बात'
सलीम इकबाल शेरवानी ने कहा कि ईद के बाद वह बदायूं जाएंगे और वहां के कार्यकर्ताओं के साथ बैठकर आगे की रणनीति बनाएंगे. वहीं, बदायूं में सपा का प्रचार करने के सवाल पर उन्होंने कहा कि इस बारे में वो अपने समर्थकों से बात करके फैसला लेंगे. उन्होंने यह भी दावा किया कि शिवपाल सिंह यादव ने चुनाव नहीं लड़ने का फैसला लेते वक्त भी उनसे बात की थी. लेकिन अखिलेश यादव ने उनसे कोई संपर्क नहीं किया है. साथ ही उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बदायूं में समाजवादी पार्टी के मुस्लिम-यादव के अलावा अन्य समाज के जो मतदाता हैं, वो इस बार पार्टी से दूरी बना चुके हैं और यहीं, कारण है कि वहां से धर्मेंद्र यादव और शिवपाल यादव जैसे नेता भी चुनाव लड़ने का खतरा मोल नहीं लेना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि बदायूं के हालात को समझकर अखिलेश यादव को फैसला लेना चाहिए.
आपको बता दें कि एक बार कांग्रेस और चार बार समाजवादी पार्टी से बदायूं से सांसद चुने गए सलीम इकबाल शेरवानी को इस बार अखिलेश यादव ने टिकट नहीं दिया है. जिसके बाद अखिलेश यादव के फैसले से नाराज सलीम शेरवानी ने समाजवादी पार्टी के महासचिव पद से इस्तीफा भी दे दिया था, लेकिन अखिलेश यादव ने सलीम शेरवानी की नाराजगी दूर करने का प्रयास नहीं किया. उसके बावजूद भी सलीम शेरवानी ने अखिलेश यादव से बातचीत होने का इंतजार कर रहे हैं. इसके साथ ही सलीम शेरवानी ने सपा के लोकसभा चुनाव प्रचार करने के लिए भी तैयार नहीं है.
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