सागर. मध्यप्रदेश का सातवां और देश का सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व लगातार सुर्खियों में है. नौरादेही वन्यजीव अभ्यारण्य के तौर पर पहचान रखने वाला ये वन्य क्षेत्र जबसे नए टाइगर रिजर्व के रूप में अस्तित्व में आया, तभी से यहां वाइल्ड लाइफ को लेकर नए-नए कार्य किए जा रहे हैं. वहीं अब नौरादेही के साथ मध्यप्रदेश में एक ऐसा वाइल्डलाइफ कॉरिडोर तैयार हुआ है, जो वन्यजीव और वनसंपदा के विकास के लिए काफी अहम माना जा रहा है. ये वाइल्ड लाइफ कॉरिडोर पूरे देश में एस मिसाल के तौर पर भी पेश किया जा रहा है.
क्याें अहम है वाइल्ड लाइफ कॉरिडोर?
दरअसल, नौरादेही टाइगर रिजर्व के एक ओर पन्ना और और बांधवगढ टाइगर रिजर्व हैं, तो दूसरी ओर रातापानी और पेंच टाइगर रिजर्व की सीमा काफी नजदीक है. आमतौर पर ऐसा कॉरिडोर वन्यजीवों के घूमने और बसावट का दायरा बढ़ाने में मदद करेगा. इसके साथ ही वन्यजीव और वनसंपदा में एक दूसरे इलाके के जीन प्रवाह के साथ खाद्य संपदा को भी बढ़ावा मिलेगा. सबसे खास बात यह है कि कॉरिडोर बनने से वन्य जीवों के सड़क पर आने की संभावनाओं में कमी आएगी और सुरक्षित आवाजाही के लिए रास्ता बनेगा. इससे टाइगर्स के ग्रामीण इलाकों में मवेशियों के शिकार की घटनाएं भी कम होंगी.
आखिर क्या है वाइल्डलाइफ कॉरिडोर?
वाइल्डलाइफ कॉरिडोर नाम से ही साफ है कि इसे हम वन्यजीव गलियारे के रूप में भी संबोधित कर सकते हैं. जिस तरह से शहरों और कस्बों में गलियां एक दूसरे को बड़े सड़क मार्ग से जोड़कर कॉरिडोर बनाती है, उसी तरह अलग-अलग जंगल जब आपस में जुड़ते हैं तो वाइल्डलाइफ कॉरिडोर तैयार होता है. वाइल्डलाइफ कॉरिडोर को इस तरह भी परिभाषित किया जाता है कि वन्यजीवों के लिए खतरनाक वातावरण को छोड़कर दूसरे जंगलों में आवाजाही के लिए सुरक्षित मार्ग प्रदान करना. इसमें आमतौर पर एक या एक से ज्यादा संरक्षित वन क्षेत्र शामिल किए जाते हैं और एक दूसरे इलाके के वन्यजीव और वनसंपदा के लिए काफी कारगर होते हैं. वन्यजीव गलियारों (Wildlife Corridor) को हरित गलियारा यानी ग्रीन कॉरिडोर के नाम से भी जाना जाता है. वाइल्ड लाइफ कॉरिडोर को इकोडक्ट और इकोपैसेज के नाम से भी जाना जाता है.
वाइल्डलाइफ कॉरिडोर के प्रकार
आमतौर पर वाइल्डलाइफ कॉरिडोर एक प्राकृतिक संरचना होती है, लेकिन बढ़ती तकनीक के चलते अब मानव निर्मित वाइल्डलाइफ कॉरिडोर भी तैयार किए जाने लगे हैं.
प्राकृतिक वाइल्डलाइफकॉरिडोर
प्राकृतिक तौर पर वाइल्डलाइफ कॉरिडोर दो या उससे अधिक अलग-अलग प्रकृति के जंगलों से मिलकर तैयार होते हैं. जो जानवरों की आवाजाही के लिए अहम होते हैं. आमतौर पर इन्हें वन्यजीव अपनी सुविधा और सुरक्षा के लिहाज से खुद तैयार करते हैं. प्राकृतिक तरीके से तैयार हुए वाइल्डलाइफ कॉरिडोर में जानवर सबसे पहले दूसरे जंगल में जाने के लिए सुरक्षित रास्ता तलाशते हैं. इसके पीछे उन्हें शिकारी जानवरों और शिकार इंसानों से सुरक्षा की भावना पहली प्राथमिकता होती है. प्राकृितक वाइल्डलाइफ कॉरिडोर में आमतौर पर जंगल के अंदर के जलमार्ग, जिनमें नदी और नाले शामिल रहते हैं. ये जानवरों के लिए काफी मददगार होते हैं. इनके जरिए जानवर और यहां तक की वनस्पति भी एक दूसरे जंगल में आसानी से पहुंच जाती हैं.