सागर: सनातन संस्कृति में गुरु पूर्णिमा का विशेष महत्व है. गुरु पूर्णिमा के अवसर पर सनातनी अपने गुरु के सम्मान में विशेष पूजा अर्चना करते हैं और गुरु का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. इस प्राचीन परंपरा को लोग आज भी श्रद्धा और भक्ति के साथ मानते हैं. ऐसे ही संत पंडित देव प्रभाकर शास्त्री दद्दा जी के शिष्य गण अपने गुरु का गुरु पूर्णिमा के अवसर पर विशेष रूप से स्मरण करते हैं. दद्दा जी ने करीब 125 महायज्ञ के माध्यम से अरबों- खबरों पार्थिव शिवलिंग का निर्माण कराया. उनके अनुयायियों में फिल्म अभिनेता और नेताओं की लंबी सूची है. सागर में उनके शिष्य मंडल द्वारा दद्दाजी और गुरु माता का मंदिर भी बनाया गया है. मंदिर में गुरु पूर्णिमा के अवसर पर विशेष आयोजन किया जाता है. दद्दा जी की विशेष पूजा अर्चना की जाती है और आटे के हलवा का भोग लगाया जाता है. जिसे शिष्य मंडल प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं.
कौन है कूड़ा वाले दद्दा जी
प्रसिद्ध गृहस्थ संत ब्रह्मलीन पंडित देव प्रभाकर शास्त्री का जन्म मध्य प्रदेश के कटनी जिले के बहोरीबंद तहसील का कूड़ा मर्दानगढ़ गांव में हुआ था. इसलिए उनको कूड़ा वाले दद्दा जी के नाम से उनके भक्तगण पुकारते थे. गृहस्थ संत दद्दा जी आध्यात्मिक प्रवचन के अलावा शिवलिंग निर्माण के महायज्ञ के आयोजन के लिए पूरे भारत में प्रसिद्ध थे. उन्होंने पार्थिव शिवलिंग निर्माण के 125 से ज्यादा महायज्ञ सम्पन्न कराए. इसके अलावा 50 से ज्यादा अन्य यज्ञ और श्रीमद्भागवत का आयोजन देश के अलग-अलग शहरों में किया है. दद्दाजी जी से दीक्षित शिष्यों की संख्या 18 लाख से ज्यादा है. देश भर में बड़ी संख्या में उनके अनुयायी हैं. फिल्म अभिनेता आशुतोष राणा, राजपाल यादव के अलावा कई टीवी और फिल्म कलाकार उनके शिष्यों में शामिल हैं. इनके अलावा राजनेता, उद्योगपति, समाजसेवी और सभी वर्गों के लोग उनके अनुयायी हैं.
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