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राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा पर भावुक हुईं दो साध्वियां, उमा भारती से गले लगकर रोईं साध्वी ऋतम्भरा - भावुक हुईं उमा भारती

Sadhvi Ritambhara Became Emotional: अयोध्या में एक तरफ राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा का भव्य आयोजन चल रहा था, तो वहीं दूसरी तरफ वहां मौजूद दो साध्वी या कहें नेत्रियां गले लगकर भावुक नजर आईं. साध्वी ऋतम्भरा उमा भारती के गले लगकर रोती दिखाईं. राम मंदिर के निर्माण में इन दोनों साध्वियों का अहम योगदान रहा है.

Sadhvi Ritambhara became emotional
उमा भारती के गले लगकर रोईं साध्वी ऋतम्भरा

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 22, 2024, 4:14 PM IST

भोपाल। अयोध्या में भगवान राम के विराजने का पल कितनी आंखों को नम कर गया. खास वो आंखे जो इस पल की साक्षी बनने के साथ आंदोलन की भी गवाह रहीं. वो आंखे जिन्होंने भगवान राम को इस मंदिर तक पहुंचने के आंदोलन में भी भागीदारी की थी. अयोध्या में जिस समय भगवान राम विराजे, ठीक उस समय की वो तस्वीर जिसमें साध्वी ऋतम्भरा उमा भारती के गले लिपटकर रोती दिखाई देती हैं. दूसरी तस्वीर उनकी जयभान सिंह पवैया के साथ है. इसमें भी वो अपने आंसू नहीं रोक पाई.

जयभान पवैया से मिलकर भी भावुक हुईं साध्वी ऋतम्भरा

राम को देखा तो झर झर बहे नैना

पूर्व सीएम उमा भारती और साध्वी ऋतम्भरा की अयोध्या से आई तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं. इन तस्वीरों में दोनों एक दूसरे को गले लगाती हैं और दोनो की आंखे झर-झर बह जाती हैं. ऐसी ही एक तस्वीर साध्वी ऋतम्भरा और जयभान सिंह पवैया की भी है. इस तस्वीर में भी साध्वी ऋतम्भरा भावुक दिखाई दे रही हैं. पवन देवलिया कहते हैं अगर पीछे जाकर इनके संघर्ष को याद करके इन तस्वीरों को देखा जाएगा, तो अहसास होगा कि ये स्वाभाविक ही है. राम मंदिर आंदोलन की अगुवाई करने वाली इन नेत्रियों का यूं भावुक हो जाना एकदम सहज लगेगा. पवन देवलिया बताते हैं देवास में साध्वी ऋतम्भरा की गिरफातारी हुई थी. प्रदेश में उस समय दिग्विजय सिंह की सरकार थी. तब उनकी गिरफ्तारी को लेकर प्रदेश भर में आंदोलन हुए थे. तो ये वो लोग हैं, जिन्होंने इस दिन को देखने से पहले बहुत संघर्ष किया है.

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क्यों भावुक हुईं राम मदिंर आंदोलन की ये साध्वियां

राम मंदिर आंदोलन में प्रमुखता से मोर्चा संभाले रहीं दो नेत्रियां या कहें साध्वियां. उमा भारती और साध्वी ऋतम्भरा. 6 दिसम्बर को अयोध्या पहुंचने वाली नेत्रियां. जो आंदोलन के वक्त अयोध्या में मौजूद थीं. कार सेवकों का हुजूम और जय श्री राम के उद्घोष, जिन आंखो ने इतनी लंबी प्रतीक्षा की हो, 1992 से 2024 तक 32 साल लंबा अंतराल कि जब लंबे संघर्ष कानूनी लड़ाई में ये तय भी नहीं था कि मंदिर कब बनकर पूर्ण हो पाएगा. वरिष्ठ पत्रकार पवन देवलिया बताते हैं उस समय माहौल बना पाना राम मंदिर के लिए इतना आसन नहीं था. सोशल मीडिया नहीं था. कोई तंत्र नहीं. तब साध्वी ऋतम्भरा और उमा भारती के भाषण ही थे जो लोगों में भक्ति के साथ ऊर्जा का संचार करते थे. बाद में इनके भाषणों के ऑडियो कैसेट भी तैयार किए गए. जो घर-घर बजने लगे. इन कैसेटों ने भी गांव-गांव तक राम मंदिर आंदोलन को पहुंचाने में भूमिका निभाई. ये काम सामूहिक था, लेकिन इन दो नेत्रियों को दरकिनार करके राम मंदिर आंदोलन को देखा भी नहीं जा सकता.

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