जयपुर:प्रदेश में एक ऐसी परीक्षा हुई जिसमें 7 लाख से ज्यादा कैंडिडेट एब्सेंट रहे. राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड की ओर से 1 से 3 दिसंबर के बीच 6 पारियों में पशु परिचर भर्ती परीक्षा का आयोजन किया गया. जिसमें 17 लाख 63 हजार 897 अभ्यर्थी पंजीकृत हुए थे. इनमें से 10 लाख 52 हजार 566 अभ्यर्थियों ने ही परीक्षा में भाग लिया. यानी कि इस परीक्षा में महज 59.67 फीसदी उपस्थिति रही. जिसे बोर्ड के अध्यक्ष मेजर जनरल आलोक राज ने गंभीर बताते हुए युवाओं को इस पर सोचने और मनन करने की बात कही.
प्रदेश में 5934 पदों पर पशु परिचर भर्ती परीक्षा का आयोजन किया गया. तीन दिन छह पारियों में हुई इस भर्ती परीक्षा को लेकर प्रदेश के 33 जिलों में 942 परीक्षा केंद्र बनाए गए. परीक्षा में किसी तरह की धांधली न हो, इसलिए परीक्षा केंद्रों पर त्रिस्तरीय जांच के बाद अभ्यर्थियों को परीक्षा कक्ष में बैठने की अनुमति दी गई. ड्रेस कोड की भी सख्ती से पालना करवाई गई. बोर्ड इन परीक्षाओं का सफल आयोजन कराने में तो जीत गया, लेकिन अभ्यर्थियों से हार गया. यही वजह है कि कर्मचारी चयन बोर्ड के अध्यक्ष मेजर जनरल आलोक राज को खुद एक्स पर इस परीक्षा में अभ्यार्थियों की अनुपस्थिति को लेकर सवाल उठाना पड़ा.
60 फीसदी ही रही उपस्थिति:आलोक राज ने लिखा कि एक परीक्षा में 7 लाख कैंडीडेट्स एब्सेंट रहे, बहुत ही दुखद है. ये आरोप-प्रत्यारोप का विषय नहीं बल्कि सोचने और मनन करने का विषय है. बोर्ड ने पहले रीट में 25 जिलों में परीक्षा कराई थी और ज्यादातर परीक्षाएं सात जिलों में ही होती रही हैं. पशु परिचर परीक्षा 33 जिलों में कराई, फिर भी उपस्थित 60 फीसदी ही रही. उन्होंने कहा कि बोर्ड सुझावों पर काम कर रहा है और उसमें इंप्रूवमेंट भी किया जाएगा. लेकिन इस परीक्षा में जितने अभ्यर्थी आए यदि उतने ही परीक्षा फॉर्म भरे होते तो बेहतर हो सकता था. क्योंकि कम संख्या होने से बोर्ड और ज्यादा कैंडिडेट्स को उनके गृह जिलों में एडजस्ट कर पाता. कम केंद्र यानी कम स्कूलों को परीक्षा के लिए बंद करना यानी स्कूली छात्रों की पढ़ाई में कम हर्जाना होता. कम टीचर्स की आवश्यकता पड़ती, संसाधनों और लागत की बचत होती है.