जयपुर:सर्दियों में अस्थमा अटैक के मामले काफी बढ़ जाते हैं. इसके दो प्रमुख कारण हैं, एक श्वास नलिकाओं का सिकुड़ जाना और दूसरा वातावरण में धुंध के कारण प्रदूषण के निचली सतह पर रहना. ऐसे में लंबे समय तक स्मोग के संपर्क में रहना छाती के संक्रमण व अस्थमा रोगियों में दमा के अटैक का खतरा बढ़ा देता है जिससे कि दमा व सांस की अन्य समस्याओं से जूझ रहे लोगों की तकलीफ बढ़ने लगती है. इण्डियन चेस्ट सोसायटी के मेंबर डॉ सुमीत गर्ग का कहना है कि यह एक गैर-संचारी रोग (एनसीडी) है जो कि एक व्यक्ति से दूसरे को नहीं होता हैं. छोटे बच्चों में यह आम फेफड़ों की समस्या है, जिससे बच्चे का वायुमार्ग सूज जाता है और अतिरिक्त बलगम बनने लगता है. इससे सांस लेना मुश्किल हो जाता है. मौसम व वातावरण के अलावा रात में व्यायाम या अत्यधिक शारीरिक श्रम करने पर भी दमा के लक्षण गंभीर हो जाते हैं. शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन न मिलने से भी अस्थमा अटैक ट्रिगर हो सकता है.
शरीर में दमा होने पर होने वाले प्रमुख लक्षण:
- सीने में दर्द, सामान्य से तेज सांस चलना या सांस लेने में कठिनाई.
- घरघराहट के साथ या सीटी की आवाज के साथ सांस का चलना.
- खांसी, जो रात में या भोर में और गम्भीर हो जाती है.
- छाती में कसाव एवं धड़कन तेज होना.
- गले में खुजली, खुरचन या दर्द होना.
- थकान होना.
- होंठ या नाखून सफेद या नीले पड़ना.
एलर्जी बदल सकती है अस्थमा में:डॉक्टर गर्ग का कहना है कि आमतौर पर लोगों में सांस से जुड़ी एलर्जी देखने को मिलती है. कई बार इस सामान्य एलर्जी को नजरअंदाज कर दिया जाता है, लेकिन अधिकतर मामलों में यह सामान्य एनर्जी अस्थमा या फिर दमा में परिवर्तित हो जाती है. ऐसे में किसी भी व्यक्ति में यदि सांस से जुड़ी सामान्य एलर्जी दिखाई देती है, तो इसका इलाज लेना अत्यंत आवश्यक है.
ऐसे बचें अस्थमा अटैक से:
- तापमान गिरने पर घर पर रहने की कोशिश करें. खासतौर पर सुबह जल्दी और रात में देर तक बाहर न रहें.
- गर्म कपड़े व मास्क पहनें. इससे आप ठंडी और खुश्क हवाओं से बचेंगे, जो वायुमार्ग के सीधे संपर्क में आ सकती है.
- गर्म ड्रिंक्स का सेवन करें ताकि बलगम न जमे. गर्म ड्रिंक्स वायुमार्ग को साफ करने का काम करते हैं. इसके साथ अधिक तरल पदार्थ का सेवन करें जो बलगम पतला रखने में मदद करता है.
- घर को धूल से बचाकर रखें, रोजाना वैक्युम या साफ सफाई जरूर करें.
- डाइट का खास ख्याल रखें ताकि अस्थमा अटैक से बच सकें.
- खाने में विटामिन-डी और सी से भरपूर खाना खाएं, ताकि ठंडे मौसम में अस्थमा के लक्षणों को मैनेज किया जा सके.
- अस्थमा के मरीजों को सर्दी में अदरक और लहसुन जरूर खानी चाहिए. इन दोनों में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते है.
- जिन लोगों को जुकाम या फ्लू हो उनसे संपर्क टालें. साथ ही सर्दी में जुकाम और खांसी जैसे संक्रमण से बचने के लिए दिन में कई बार हाथों को पानी और साबुन से धोएं.
- सालाना फ्लू वैक्सीन लगवाएं. साथ ही श्वसन पथ के संक्रमण से बचने के लिए निमोनिया की वैक्सीन भी लगवाएं.
- आपके डॉक्टर द्वारा बताए गए इन्हेलर को हमेशा साथ में रखें. साथ ही किसी भी नए लक्षण के दिखने पर डॉक्टर से सलाह जरूर करें.
- आमतौर पर दमा मैनेजमेंट में एमरजेंसी की दवाइयां शामिल होती है. जल्दी आराम पाने की दवाई और फिर उसके बाद स्थिति को कंट्रोल में रखने की दवाइयां.
- जिन खाद्य पदार्थो, दवाइयों या चीजों से आपको दमें के लक्षण होते हैं, उनसे दूर रहें इन्हें प्रेरक (ट्रिगर्स) कहते है . अपने डॉक्टर के साथ इसे मैनेज करने का प्लान बनाएं.