पश्चिम चंपारण (बगहा) : आप कई बार ऐसे जीव-जंतु से रू-ब-रू होते हैं कि हैरत में पड़ जाते हैं. बिहार के बगहा में इन दिनों कुछ ऐसा ही हो रहा है. अजीबो-गरीब जीव-जंतु से लोगों का सामना हो रहा है. कभी 30 किलो की कछुआ मिलता है तो कभी हवा में उड़ने वाला सांप.
लाल मूंगा कुकरी सांप दिखा : इसी कड़ी में बुधवार को इंडो नेपाल सीमा पर अवस्थित वाल्मीकीनगर के बिसहां गांव से बेहद दुर्लभ और नायाब लाल रंग के सांप का रेस्क्यू किया गया है. मूंगा कलर के होने की वजह से इसे "लाल मूंगा कुकरी" या "रेड कोरल कुकरी" सांप के नाम से जाना जाता है. भारत में पहली बार इस सांप को 1936 में उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी क्षेत्र में देखा गया था. बिहार में पहली बार यह दुर्लभ सांप आज से छह माह पूर्व वीटीआर जंगल में ही मिला था.
'इसका दांत काफी नुकीला होता है' : नेचर एनवायरनमेंट वाइल्ड लाइफ सोसायटी के फील्ड मैनेजर अभिषेक ने बताया कि इस सांप का वैज्ञानिक नाम ओलिगोडोन खेरिएन्सिस से है. इसका दांत काफी नुकीला होता है, जो कि नेपाल में गोरखाओं के कुकरी या घुमावदार चाकू जैसा होता है. इसका शरीर लाल, नारंगी और दांत ब्लेड की तरह घुमावदार होने के कारण इसको लाल मूंगा कुकरी कहा जाता है.
''यह जहरीला नहीं होता है और बिल बनाकर रहता है. ज्यादातर रात के समय एक्टिव होता है. छोटे छोटे जीव और कीट समेत दीमक और चींटियों के अंडे और लार्वा खाता है.''- अभिषेक, फील्ड मैनेजर, नेचर एनवायरनमेंट वाइल्ड लाइफ सोसायटी
'VTR सांपों का पसंदीदा बसेरा' :वन्य जीव जंतुओं के जानकार वी डी संजू बताते हैं कि हिमालय पर्वतमाला का तापमान और मिट्टी इस सांप के आवास के लिए काफी उपयुक्त है. इसलिए यह नेपाल और उससे सटे भारतीय क्षेत्र में पाए जाते हैं, लेकिन विरले ही देखने को मिलते हैं. फिलहाल वाल्मिकी टाइगर रिजर्व केवल टाइगर ही नहीं, बल्कि सांपों का भी पसंदीदा बसेरा बनकर उभरा है. यहां सांपों की कई प्रजातियां पाई जाती हैं.
''यह रेड कोरल कुकरी काफी दुर्लभ है. यह सांप बेहद शर्मीले होते हैं और इतना दुर्लभ कि इसे भारत में बेहद कम ही देखा गया है. ऐसे में लगातार वाल्मीकि टाइगर रिजर्व क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन की वजह से बहुत नये प्रजाति के सांप दिख रहे हैं. भविष्य में और भी सरीसृप देखने को मिल सकते हैं.''-वी डी संजू, वन्य जीव जंतुओं के जानकार