रायपुर : गर्मी के मौसम में ज्यादा पसीना निकलता है.कई लोगों को इस दौरान ज्यादा चिड़चिड़ापन और गुस्सा की शिकायत आती है.बढ़ते तापमान के साथ स्ट्रेस लेवल के बढ़ने को लेकर पोलैंड की टीम ने स्टडी की. जिसमें यह बात सामने आयी कि कॉर्टिसोल स्ट्रेस हार्मोन इसका कारक है. कॉर्टिसोल एक ऐसा हार्मोन है जिसका स्तर सर्दियों में कम होता है.लेकिन गर्मी के मौसम में ये तेजी से बढ़ता है. कॉर्टिसोल स्ट्रेस हार्मोन इंसान के शरीर में नमक, चीनी और दूसरे तरल पदार्थों को नियंत्रित करता .इस वजह से इंसान के स्वास्थ्य पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है.
न्यूरोट्रांसमीटर और हार्मोन्स में बदलाव :इस समस्या को लेकर डॉक्टर भीमराव अंबेडकर हॉस्पिटल की मनोरोग विशेषज्ञ डॉक्टर सुरभि दुबे ने सुझाव दिया है.डॉ सुरभि का कहना है कि " गर्मी में हमारा वॉटर इनटेक कम हो जाता है. गर्मी के मौसम में हमारी बॉडी को एडजस्ट करने के लिए काफी सारे न्यूरोट्रांसमीटर और हार्मोन्स चेंज का सामना करना पड़ता है. इस कारण से हमारे अंदर स्ट्रेस टेकिंग कैपेसिटी कम होने लगती है. गर्मी के मौसम में हम देखते हैं कि शरीर भी काफी थकता है. इस कारण से लोग चिड़चिड़े होने लगते हैं. इस मौसम में मादक पदार्थों का भी सेवन बढ़ने लगता है,जो दिमाग में विपरित असर करते हैं.''
टेस्टोस्टेरोन और मेटाबॉलिक रिएक्शन में वृद्धि :डॉक्टर सुरभि के मुताबिक गर्मी के मौसम में शरीर में टेस्टोस्टेरोन और मेटाबॉलिक रिएक्शन की भी बढ़ोतरी होती है. जिससे नर्वस सिस्टम की प्रक्रिया तेज होने लगती है. कई रिसर्च में यह भी सामने आया है कि इस मौसम में तापमान गर्म होने पर हमारे दिल की धड़कन भी बढ़ने लगती है.