हल्द्वानी: आपने दोस्त तो बहुत देखे होंगे और दोस्ती की कहानी भी बहुत सुनी होगी. लेकिन हल्द्वानी में कुछ ऐसे दोस्त हैं जो दुनिया से अलविदा कह चुके अपने दोस्त के नाम को जिंदा रखने के लिए उसके नाम पर रोटी बैंक खोल दिया. जहां आज रवि रोटी बैंक के माध्यम से गरीबों की सेवा देकर अपने दोस्त को सच्ची श्रद्धांजलि दे रहे हैं.
हल्द्वानी का रवि रोटी बैंक पिछले सात सालों से गरीब और सहाय और मजबूर लोगों की सेवा कर रहा है. यही नहीं रवि रोटी बैंक भूखों का खाना दे रहा है तो वहीं बीमार लोगों को इलाज उपलब्ध करा रहा है. तरुण सक्सेना, रवि यादव (पूर्व छात्रसंघ उपसचिव), संजय और तुषार ने सात साल पहले रोटी बैंक की स्थापना की थी. अक्टूबर 2018 में संस्था का पंजीकरण भी करा लिया.शुरुआत में शादी या किसी अन्य समारोह में बचे साफ खाने को लेकर ये युवा बस स्टेशन या शहर की अन्य व्यस्त जगहों पर लेकर पहुंचते थे और जरूरतमंदों को खाना देते थे. रवि रोटी बैंक के संचालक तरुण सक्सेना ने बताया एक बार एक बेसहारा बुजुर्ग ने उनसे कहा कि आज वो उनका खाना नहीं लेगा.
वजह पूछने पर बुजुर्ग ने कहा कि एक दिन तो बढ़ियां खाना खिला देते हो, लेकिन फिर दो-तीन दिन आते नहीं.इसके बाद उसी समय तीनों दोस्तों ने तय कर लिया कि खुद का किचन तैयार करेंगे. क्योंकि रोज-रोज तो किसी समारोह से खाना नहीं मिल पाता, इसके बाद किराए की जगह लेकर खाना तैयार कर जगह-जगह जरूरतमंद लोगों तक खाना पहुंचाने लगे. मगर 26 अगस्त 2020 को एक दुखद हादसे ने युवाओं की इस टोली को सदमे में डाल दिया. कोरोना के उस दौर में गरीबों को खाना बांटकर लौट रहे टीम लीडर रवि यादव की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई. इस घटना के बाद ही तरुण और साथियों ने संस्था का नाम बदलकर रवि रोटी बैंक कर दिया, ताकि जरूरत के वक्त हर व्यक्ति की जुबां पर उनके साथी का नाम आए और अपने दोस्त रवि को सच्ची श्रद्धांजलि दे सके.