रतलाम।एमपी में भारतीय आदिवासी पार्टी के एकमात्र विधायक कमलेश्वर डोडियार की अपनी ही पार्टी हाई कमान से नहीं बन रही है. पार्टी हाईकमान से दोबारा मिले नोटिस के बाद अब कमलेश्वर डोडियार ने बागी तेवर अपना लिए है. ईटीवी भारत से खास बातचीत में सैलाना विधायक कमलेश्वर डोडियार ने बताया की उन्हें पार्टी से नोटिस मिला है. जिसमें अनुशासनहीनता और भील प्रदेश को लेकर जवाब पूछा गया है, लेकिन कमलेश्वर डोडियार का कहना है कि 'जब अनुशासनहीनता हुई ही ही नहीं है, तो जवाब किस बात का दें. मैं नोटिस को समझने की कोशिश कर रहा हूं, आवश्यक होने पर जवाब दूंगा.' गौरतलब है की कमलेश्वर डोडियार को लोकसभा चुनाव में भी रतलाम से लोकसभा उम्मीदवार के पक्ष में चुनाव प्रचार नहीं करने को लेकर पार्टी हाई कमान ने नोटिस जारी किया था.
विधायक कमलेश्वर डोडियार को फिर मिला नोटिस
दरअसल, झोपड़ी वाले विधायक के नाम से मशहूर कमलेश्वर डोडियार मध्य प्रदेश में भारतीय आदिवासी पार्टी के इकलौते विधायक हैं. लोकसभा चुनाव में पार्टी के प्रचार से नदारद रहने पर उन्हें पार्टी ने पहली बार नोटिस जारी किया था. वहीं, एक बार फिर भारतीय आदिवासी पार्टी के अध्यक्ष ने कमलेश्वर को नोटिस जारी कर अनुशासनहीनता और पार्टी के समानांतर अलग संगठन खड़ा करने के लिए मीटिंग करने का नोटिस जारी किया है. भारतीय आदिवासी पार्टी के विधायक ने पार्टी को इस पर अब तक कोई जवाब नहीं दिया है, लेकिन ईटीवी भारत से चर्चा में उन्होंने पार्टी आलाकमान से खटपट होने से इनकार किया है.
कमलेश्वर डोडियार ने कहा कि 'एक जनप्रतिनिधि के तौर पर में क्षेत्र में मीटिंग कर रहा हूं और भील प्रदेश बनाने के संबंध में विधानसभा में मांग पत्र भी रख चुका हूं. नोटिस के जवाब के संबंध में कमलेश्वर डोडियार ने कहा कि मुझे नोटिस में क्या पूछा गया है यह समझ ही नहीं आया है. आवश्यक होगा तो नोटिस का जवाब दूंगा.'
कौन है कमलेश्वर डोडियार
सैलाना विधानसभा क्षेत्र से सबको चौंका कर भारतीय आदिवासी पार्टी के टिकट पर चुनाव जीतने वाले कमलेश्वर डोडियार तब मशहूर हो गए थे, जब विधायक बनने के बाद वह रतलाम से भोपाल मोटरसाइकिल से ही विधानसभा में शामिल होने पहुंच गए. बेहद गरीब परिवार से आने वाले कमलेश्वर डोडियार को मीडिया ने नया नाम दिया झोपड़ी वाले विधायक. इस नाम से वह मध्य प्रदेश और राजस्थान में मशहूर हो गए. पढ़े लिखे, युवा आदिवासी विधायक बनने पर वह आदिवासी समाज में लोकप्रियता के शिखर पर पहुंचा, लेकिन यह लोकप्रियता धीरे-धीरे कम होने लगी और झोपड़ी वाले विधायक पर व्यापारियों एवं बंगाली डॉक्टरों से अवैध वसूली करने के गंभीर आरोप लगाए और थाने में शिकायत भी दर्ज कराई.