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सिरसा में ड्रैगन फ्रूट की खेती से किसानों को फायदा, रिटायरमेंट के बाद केसर चंद ने कई लोगों को दिया रोजगार

Sirsa Dragon Fruit Farming: हरियाणा के जिला सिरसा में किसान बागवानी खेती कर लाखों का मुनाफा कमा रहे हैं. इसी कड़ी में सिरसा के केसर चंद ने भी सरकारी नौकरी से रिटायरमेंट के बाद ड्रैगन फ्रूट की खेती करना शुरू किया है. आइए जानते हैं उन्होंने कैसे इस खेती की शुरुआत की और उनको खेती करने के बाद कितना मुनाफा हो रहा है.

Sirsa Dragon Fruit Farming
Sirsa Dragon Fruit Farming

By ETV Bharat Haryana Team

Published : Feb 3, 2024, 7:01 PM IST

Updated : Feb 3, 2024, 9:06 PM IST

सिरसा में ड्रैगन फ्रूट की खेती से किसानों को फायदा

सिरसा: हरियाणा में किसान परंपरागत खेती को छोड़कर जैविक खेती की ओर बढ़ रहे हैं. किसान अब नए तरीके से खेती कर रहे हैं. किसान आधुनिक तकनीक की मदद से खेती में काफी मुनाफा कमा रहे हैं. ऐसे ही एक किसान सिरसा के गांव रसूलपुर के केसरचंद है. केसर चंद सिंचाई विभाग से सब डिविज़नल क्लर्क रिटायर हुए है. रिटायर के बाद उन्होंने ड्रैगन फ्रूट खेती करनी शुरू की है.

ऑर्गेनिक खेती से मुनाफा: इसके अलावा, केसर चंद ऑर्गेनिक खेती को भी बढ़ावा दे रहे हैं. प्याज, लहसुन, आलू व सब्जियों की काश्त के जरिए आज धान, कपास, गेहूं की फसलों के मुकाबले कई गुणा मुनाफा कमा रहे हैं. खास बात यह है कि इस साल उनके परिवार के सदस्यों ने एक एकड़ में बेबी कॉर्न फसल बोई और 12 क्विंटल फसल का उत्पादन हुआ. उन्होंने दिल्ली में प्राइवेट ट्रेडर्स को 12,800 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से फसल बेची. वे पूरी तरह से जैविक खेती करते हैं. उनका पूरा परिवार खेती करता है. उनकी इस पहल से कई लोगों को रोजगार भी मिला है.

उद्यान विभाग भी देता है अनुदान: दरअसल, हरियाणा में गेहूं, धान, नरमा, सरसों, बाजरा फसल के मोहपाश में किसान बंधे हुए हैं. हालांकि हरियाणा के उद्यान विभाग की ओर से किन्नू, अमरूद अंगूर के अलावा फूलों, मशरूम, मसालों व सब्जियों की खेती के लिए 20 से 30 फीसदी अनुदान दिया जाता है. विभाग की ओर से कोल्ड स्टोरेज के अलावा सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली पर भी अनुदान दिया जाता है.

विभिन्न प्रकार के फ्रूट से भी फायदा: इन सबके बीच कुछ किसान आज फसल विविधीकरण अपनाकर ओपन मार्केट में अपनी फसल बेचकर मुनाफा कमा रहे हैं. रसूलपुर के किसान केसर चंद ने अपने परिवारिक सदस्यों के साथ मिलकर पहले सब्जियों की काश्त की. लहसुन, प्याज की खेती में मुनाफा हुआ तो इस साल ड्रेगन फ्रुट की शुरुआत की. इस समय वे 6 एकड़ में लहसुन, 3 एकड़ में प्याज 4, कनाल में आलू 1 एकड़ में बेबी कॉर्न और ड्रैगन फ्रूट की खेती भी कर रहे हैं. साथ ही अमरूद का बाग भी लगाया है. वहीं, कई तरह की सब्जियों की काश्त की है.

केसर चंद को लाखों का मुनाफा: केसर चंद ने बताया कि इस बार उन्होंने प्रयोग के तौर पर एक कनाल में ड्रैगन फ्रूट भी लगाया है. यह बेहद महंगा फ्रूट है. एक किलोग्राम की कीमत 250 रुपये है. केसर चंद ने बताया कि तीसरे साल तक एक एकड़ में 50 क्विंटल का उत्पादन हो जाता है. यानी करीब 10 लाख रुपए का सीधा मुनाफा होता है. यह ड्रैगन फ्रूट प्लेट लेट्स एवं ब्लड बढ़ाने में सहायक होता है.

सरकारी योजनाओं का लाभ उठा रहे किसान: फसलीकरण में प्रयोग का नतीजा है कि आज किसान केसर चंद की दो बड़ी कोठियां दो ट्रैक्टर सहित जीपें कार दोपहिया वाहन कम्बाइन व अन्य कृषि यंत्र उनकी समृद्धि की गवाही देती हैं. दूसरे किसान भी इस तरह के प्रयोग कर और सरकारी योजनाओं का लाभ उठाकर खेती को नई सोच के साथ घाटे की बजाय मुनाफे की पटरी पर ला सकते हैं. केसर चंद न सिर्फ प्रगतिशील किसान है बल्कि दूसरे किसानों को भी ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए प्रेरित कर रहे हैं.

यह है प्रदेश में खेती का गणित: हरियाणा में करीब 36 लाख हैक्टेयर कृषि योग्य भूमि है. रबी सीजन में यहां पर करीब साढ़े 25 लाख हेक्टेयर में गेहूं साढ़े 6 लाख हेक्टेयर में सरसों के अलावा कुछ रकबे पर चने व जौ की खेती की जाती है. खरीफ सीजन में करीब साढ़े 12 लाख हेक्टेयर में धान 7 लाख हेक्टेयर में कॉटन साढ़े 5 लाख हेक्टेयर में बाजरा व 70 हजार हेक्टेयर में ज्वार की खेती की जाती है. करीब 64 हजार हेक्टेयर में बागवानी व 4 लाख हेक्टेयर में सब्जियों की काश्त की जाती है.

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Last Updated : Feb 3, 2024, 9:06 PM IST

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