सिरसा: हरियाणा में किसान परंपरागत खेती को छोड़कर जैविक खेती की ओर बढ़ रहे हैं. किसान अब नए तरीके से खेती कर रहे हैं. किसान आधुनिक तकनीक की मदद से खेती में काफी मुनाफा कमा रहे हैं. ऐसे ही एक किसान सिरसा के गांव रसूलपुर के केसरचंद है. केसर चंद सिंचाई विभाग से सब डिविज़नल क्लर्क रिटायर हुए है. रिटायर के बाद उन्होंने ड्रैगन फ्रूट खेती करनी शुरू की है.
ऑर्गेनिक खेती से मुनाफा: इसके अलावा, केसर चंद ऑर्गेनिक खेती को भी बढ़ावा दे रहे हैं. प्याज, लहसुन, आलू व सब्जियों की काश्त के जरिए आज धान, कपास, गेहूं की फसलों के मुकाबले कई गुणा मुनाफा कमा रहे हैं. खास बात यह है कि इस साल उनके परिवार के सदस्यों ने एक एकड़ में बेबी कॉर्न फसल बोई और 12 क्विंटल फसल का उत्पादन हुआ. उन्होंने दिल्ली में प्राइवेट ट्रेडर्स को 12,800 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से फसल बेची. वे पूरी तरह से जैविक खेती करते हैं. उनका पूरा परिवार खेती करता है. उनकी इस पहल से कई लोगों को रोजगार भी मिला है.
उद्यान विभाग भी देता है अनुदान: दरअसल, हरियाणा में गेहूं, धान, नरमा, सरसों, बाजरा फसल के मोहपाश में किसान बंधे हुए हैं. हालांकि हरियाणा के उद्यान विभाग की ओर से किन्नू, अमरूद अंगूर के अलावा फूलों, मशरूम, मसालों व सब्जियों की खेती के लिए 20 से 30 फीसदी अनुदान दिया जाता है. विभाग की ओर से कोल्ड स्टोरेज के अलावा सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली पर भी अनुदान दिया जाता है.
विभिन्न प्रकार के फ्रूट से भी फायदा: इन सबके बीच कुछ किसान आज फसल विविधीकरण अपनाकर ओपन मार्केट में अपनी फसल बेचकर मुनाफा कमा रहे हैं. रसूलपुर के किसान केसर चंद ने अपने परिवारिक सदस्यों के साथ मिलकर पहले सब्जियों की काश्त की. लहसुन, प्याज की खेती में मुनाफा हुआ तो इस साल ड्रेगन फ्रुट की शुरुआत की. इस समय वे 6 एकड़ में लहसुन, 3 एकड़ में प्याज 4, कनाल में आलू 1 एकड़ में बेबी कॉर्न और ड्रैगन फ्रूट की खेती भी कर रहे हैं. साथ ही अमरूद का बाग भी लगाया है. वहीं, कई तरह की सब्जियों की काश्त की है.