रांची: इसे विडंबना नहीं तो और क्या कहा जाए कि जिस धरा को आजाद कराने के लिए भगत सिंह हंसते-हंसते फांसी के फंदे पर झूल गए, दुनिया जिन्हें शहीदे आजम कहती है रांची में उनकी एक प्रतिमा लगाने के लिए जमीन सरकार और प्रशासन उपलब्ध नहीं करा रहा है. ऐसे में राष्ट्रीय युवा शक्ति नामक संस्था ने रांचीवासियों की मदद से भगत सिंह की प्रतिमा को पूरे सम्मान के साथ राजधानी में स्थापित करने की मांग को लेकर 12 मार्च को रांची बंद का आह्वान किया है.
नौ दिनों से राष्ट्रीय युवा शक्ति संस्था के सदस्य कर रहे हैं धरना-प्रदर्शन
सैनिकों, अमर शहीदों को सम्मान दिलाने और राष्ट्रवाद की अलख जगाने के लिए बनाई गई संस्था राष्ट्रीय युवा शक्ति से जुड़े युवा पिछले नौ दिनों से रांची में राजभवन के समक्ष धरना देकर सरकार और प्रशासन का ध्यान पुलिस लाइन में कबाड़ गाड़ियों के बीच रखी गई भगत सिंह की प्रतिमा की ओर दिला रहे हैं, लेकिन अभी तक किसी ने इनकी सुधि नहीं ली है. लिहाजा अब 12 मार्च को रांची बंद का आह्वान किया गया है. इस संबंध में राष्ट्रीय युवा शक्ति के अध्यक्ष उत्तम यादव ने कहा कि इससे पहले 11 मार्च को मशाल जुलूस निकाला जाएगा और अलग-अलग संगठनों से मिलकर रांची बंद को सफल बनाने के लिए सहयोग मांगा जाएगा.
मोरहाबादी मैदान से प्रशासन ने रातों रात हटा दी थी शहीदे आजम की प्रतिमा
राष्ट्रीय युवा शक्ति के अध्यक्ष उत्तम यादव और उनके युवा साथी राजभवन के समक्ष धरना पर बैठे हैं. उत्तम यादव ने ईटीवी भारत को बताया कि रांची नगर निगम ने दो बैठकों में प्रस्ताव पारित कर मोरहाबादी मैदान में बापू वाटिका के उत्तर दिशा में शहीदे आजम भगत सिंह की प्रतिमा के लिए जगह उपलब्ध कराई थी. उस निर्धारित जगह पर 16 अप्रैल 2023 को राष्ट्रीय युवा शक्ति की ओर से शहीदे आजम भगत सिंह की प्रतिमा स्थापित भी कर दी गई थी, लेकिन स्थानीय प्रशासन ने भगत सिंह की प्रतिमा की ऊंचाई का हवाला देकर उसे रात के अंधेरे में मोरहाबादी मैदान से हटा दिया. तब यह बताया गया राष्ट्रपिता की प्रतिमा से अधिक ऊंचाई भगत सिंह की प्रतिमा का है. इसके बाद भगत सिंह की प्रतिमा को प्रशासन ने पुलिस लाइन परिसर में ले जाकर रख दिया. तभी से शहीदे आजम की प्रतिमा वहीं पड़ी हुई है.