बिहार

bihar

ETV Bharat / state

शौक बड़ी चीज है... बिहार का ये शख्‍स ₹150 के ट्रांजिस्टर के लिए बन गया मूर्तिकार, करोड़ों में कारोबार - SCULPTOR RAMCHANDRA GAUD

एक ट्रांजिस्टर के शौक ने रामचंद्र गौड़ को इंटरनेशनल मूर्तिकार बना दिया. बड़ी रोचक है कहानी. गया से रत्नेश कुमार की रिपोर्ट

Sculptor Ramchandra Gaud story
मूर्तिकार रामचंद्र गौड़ की कहानी (ETV Bharat)

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Dec 11, 2024, 2:54 PM IST

गया:बिहार के गया जिले के मूर्तिकार रामचंद्र गौड़ के हाथों में ऐसा जादू है कि वो मूर्तियों में जान डाल देते है. इनकी काष्ठ कला की मूर्तियां इन दिनों सुर्खियों में हैं. 75 साल के रामचंद्र गौड़ पिछले 60 साल से मूर्ति बनाने का काम कर रहे हैं और आज काष्ठ कला के जाने माने मूर्तिकार बन चुके हैं.

गया के रामचंद्र गौड़ की रोचक कहानी : बात पत्थर की मूर्तियों को बनाने की हो या काष्ठ कला की मूर्तियों की. सभी मूर्तियों में महारत देखते ही बनती है. यही वजह है, कि उनके हाथों की बनाई मूर्तियां देश में नहीं बल्कि विदेश तक जाती है. हालांकि, रामचंद्र गौड़ के इंटरनेशनल मूर्तिकार बनने की कहानी बड़ी रोचक है.

देखें रिपोर्ट (ETV Bharat)

ट्रांजिस्टर की डिमांड की, पिता के पास पैसे नहीं थे :रामचंद्र गौड़ की सफलता के पीछे 150 रूपए के ट्रांजिस्टर का शौक है. गया के सूरजकुंड के रहने वाले रामचंद्र गौड़ तब पढ़ाई किया करते थे और उनकी उम्र सिर्फ 15 साल की थी. उन्होंने एक शख्स को ट्रांजिस्टर बजाते और गाना सुनते देखा. संगीत के प्रति उनका भी लगाव बढ़ गया. उन्होंने ट्रांजिस्टर को पाने की जिद ठान ली. अपने पिता से ट्रांजिस्टर की डिमांड की. पिता के पास इतने पैसे नहीं थे, कि वे ट्रांजिस्टर लाकर देते, उन्होंने मना कर दिया.

ट्रांजिस्टर खरीदने की जिद, ऐसे हुई पूरी : फिर क्या था, उस दिन 150 रूपये के ट्रांजिस्टर को पाने की ऐसी जिद्द ठानी कि उन्होंने इसकी कोशिश शुरू कर दी. एक दिन पास में उन्होंने एक मूर्तिकार को मूर्ति बनाने देखा.उन्होंने भी मूर्ती बनानी शुरू कर दी. महज 15 साल की उम्र में ही मूर्तियां बनाकर अपने चाचा के साथ बाहर जाकर बेचने लगे और फिर ट्रांजिस्टर के अपने शौक को पूरा किया.

75 साल के मूर्तिकार रामचंद्र गौड़ (ETV Bharat)

ट्रांजिस्टर के शौक ने बना दिया मूर्तिकार :पिता के मना करने के बाद रामचंद्र गौड़ ने मन में कुछ ठानी और फिर मूर्ति बनाना सीखने लगे. मूर्तियां बनाकर उसे बाहर जाकर बेचने भी लगे. हाथ में पैसे आए और उन्होंने ट्रांजिस्टर खरीदकर ही दम लिया. ट्रांजिस्टर खरीदने के बाद मूर्ति निर्माण की इनकी लालसा और बढ़ गई. कुछ इस तरह उनके सफलता की कहानी शुरू हो गई.

15 की उम्र से शुरुआत, 20 में महारत हासिल कर ली : 15 साल की उम्र से मूर्तियां बनानी शुरू की. सबसे पहले शिवलिंग बनाया. शिवलिंग की बिक्री कर ट्रांजिस्टर खरीदा. मूर्ति बेचने के लिए बनारस पहुंचे. वहां मूर्ति की अच्छी कीमत मिली और फिर ट्रांजिस्टर खरीदा. रामचंद्र का शौक तो पूरा हो गया, लेकिन उन्होंने जिस काम को शुरू किया अब उसे आगे बढ़ाने का वक्त था.

काष्ठ कला के जाने माने मूर्तिकार रामचंद्र गौड़ (ETV Bharat)

''ट्रांजिस्टर के शौक ने हमें इस करियर के मुकाम तक पहुंचाया. यदि ट्रांजिस्टर का शौक नहीं होता, तो मैं मेहनत नहीं करता और मेहनत नहीं करता तो मूर्ति कला में शायद इतना निपुण नहीं बन पाता. ट्रांजिस्टर के शौक ने ही मुझे इस मुकाम तक पहुंचाया है.''- रामचंद्र गौड़, मूर्तिकार

मूर्तियों को आकार देते.. ट्रांजिस्टर पर गाने सुनते :एक तरफ संगीत सुनते और दूसरी तरफ मूर्तियों को आकार देते. उनके हाथों की बनी पत्थर और काष्ठ (लकड़ी) की मूर्तियों की ख्याति देश भर में होने लगी. इनकी भगवान बुद्ध की मूर्तियां दूसरे राज्यों और विदेशी सैलानियों को खूब भाते थे. उन दिनों गया शहर या बोधगया में पत्थर और कास्ठ कला की मूर्तियां बनाने वालों की संख्या बेहद कम हुआ करती थी. ऐसे में रामचंद्र गौड़ की प्रसिद्धी होने लगी.

मूर्तियों को आकार देते ट्रांजिस्टर पर गाने सुनते (ETV Bharat)

मूर्ति निर्माण.. 60 साल से सफर जारी :आज रामचंद्र गौड़ की दिनचर्या में मूर्ति निर्माण का कार्य नियमित रूप से शामिल है. सुबह होते ही अपने लिए बने मूर्ति निर्माण के लिए एक अलग कमरे में पहुंच जाते हैं और मूर्तियों को मूर्त रूप देने में जुट जाते हैं. 15 वर्ष की उम्र से मूर्तियों बनाने ती शुरुआत और आज 75 की उम्र पार कर चुके हैं, लेकिन इस उम्र में भी उनकी कारीगरी बेमिसाल है. आज इनका कारोबार करोड़ों में पहुंच चुका है.

भगवान बुद्ध की विभिन्न मुद्राओं की मूर्तियां बनाते हैं :भगवान बुद्ध की विभिन्न मुद्राओं की मूर्तियां बनाने में रामचंद्र गौड़ को महारत हासिल हैं. इनमें 4 इंच से लेकर 15 फीट तक की मूर्ति शामिल हैं. इसके अलावे महाबोधि मंदिर की कास्ठ कला की बनाई तस्वीर देखते ही बनती है. इन मूर्तियों की खूबसूरती ऐसी रहती है, कि देखने वाला हैरान रह जाता है.

काष्ठ कला की मूर्तियां बनाते है रामचंद्र गौड़ (ETV Bharat)

''देश के कई राज्यों में हमारी बनाई मूर्तियां जाती हैं. सैंकड़ों रूपए से लेकर हजारों और लाखों तक की बनाई मूर्तियों की बिक्री होती है. मेरे करियर की शुरुआत शिवलिंग बनाने से हुई. वर्तमान में भगवान बुद्ध की विभिन्न मुद्राओं की प्रतिमाओं को बनाया है. पत्थर और काष्ठ दोनों कला के क्षेत्र में मूर्तियां बनाता हूं.''- रामचंद्र गौड़, मूर्तिकार

200 से लेकर.. लाखों तक की मूर्तियां : रामचंद्र गौड़ बताते हैं कि, 200 रूपए की मूर्तियों से लेकर लाख रुपए से भी अधिक की मूर्तियों का वे निर्माण करते हैं. उनकी काष्ठ की मूर्तियों (लकड़ी) की डिमांड देश के विभिन्न राज्यों में है. उनकी बनाई मूर्तियां दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, बनारस समेत देश के अन्य हिस्सों में जाती है. वहीं, उनकी मूर्तियां श्रीलंका, साउथ कोरिया, थाईलैंड समेत अन्य देशों तक पहुंच रही है.

''रेलवे पार्सल से देश और कई बार जहाज के माध्यम से मूर्तियों की सप्लाई विदेश में की. आर्डर मिलते ही मूर्ति की प्रतिमूर्ति तैयार कर उदाहरण के तौर पर दिखा दी जाती है और फिर वैसी ही मूर्ति बनाकर भेजी जाती है.''- रामचंद्र गौड़, मूर्तिकार

कई अवार्ड से सम्मानित हो चुके हैं रामचंद्र गौड़ : रामचंद्र गौड़ को मूर्ति कला के क्षेत्र में कई बार स्टेट अवार्ड और नेशनल अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है. वर्ष 1975, 1977 और 1982 में इन्हें स्टेट अवार्ड मिला. 1997 में नेशनल अवार्ड भी मिल चुका है.

किताबों में भी रामचंद्र गौड़ : हरियाणा में लगने वाले सूरजकुंड मेला में इन्हें सबसे श्रेष्ठ मूर्ति कलाकार चुना गया. शिल्प कला में भी इन्हें अवार्ड मिल चुके हैं. इतना ही नहीं, सरकारी कार्यक्रमों के किताबों में रामचंद्र गौड़ के संबंध में उनकी कला के संबंध में बातें लिखी गई है.

पटना के बुद्धा पार्क में 15 फीट की मूर्ति : राजधानी पटना के बुद्धा पार्क में 15 फीट की मूर्ति लगाई गई है. यह मूर्ति रामचंद्र गौड़ ने ही बनाई है. भगवान बुद्ध की इस मूर्ति की लागत करीब 22 लाख है. इस तरह रामचंद्र गौड़ की छोटी सी टूल्स कीट और इनकी हाथ की अद्भूत कारीगरी ने इन्हें देश ही नहीं, बल्कि विदेश तक पहचान देती है.

ट्राजिस्टर का शौक न होता तो.. न बनते मूर्तिकार :मुफलिसी के बीच रामचंद्र गौड़ की मूर्ति निर्माण कला आज करोड़ों में पहुंच चुकी है. लेकिन, कहीं न कहीं इसके पीछे ट्रांजिस्टर पाने की कहानी बड़ी रोचक है. यदि ट्रांजिस्टर पाने की जिद नहीं होती, तो रामचंद्र गौड़ शायद ही इतने बड़े मूर्तिकार होते.

ये भी पढ़ें : मधुबनी ने रचा इतिहास, 1900 फीट मिथिला पेंटिंग बनाकर विश्व रिकॉर्ड बनाया, देखें तस्वीर

ये भी पढ़ें : इस कलाकार की सुरीली आवाज के आगे महिला सिंगर भी फेल..यकीन नहीं तो सुन लें चार लाइनें

ये भी पढ़ें : पटना के कलाकार रमन चंदवंशी ने किया कमाल, धागे से कर डाली रामलला की मूर्ति तैयार

ABOUT THE AUTHOR

...view details