रायपुर : छ्त्तीसगढ़ और एमपी में भले ही बीजेपी ने बड़ा मार्जिन लेते हुए जीत दर्ज की हो. लेकिन जिस जगह से बीजेपी को सबसे ज्यादा उम्मीद थी,वहीं से बीजेपी को सबसे ज्यादा झटका लगा. ये प्रदेश है उत्तर प्रदेश,जहां की जनता के प्रश्नों का उत्तर देने में शायद बीजेपी के दिग्गज भी नाकाम हो गए. उत्तर प्रदेश में अगर लोकसभा सीटों की बात की जाए तो 2019 में भारतीय जनता पार्टी सबसे बड़ा दल बनकर उभरी थी. 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले इंडिया गठबंधन में जब विरोधी एक हुए तो हर तरफ यही नारा था कि इंडिया गठबंधन एनडीए के आगे कहीं भी नहीं टिकेगा.लेकिन जब नतीजे आएं तो दिग्गजों के मुंह खुले के खुले रह गए.
यूपी से इंडिया को मिली संजीवनी बूटी :भले ही पूरे देश में भारतीय जनता पार्टी ने अकेले अपने दम पर 240 से ज्यादा सीटें लाई हो. लेकिन बात अगर उत्तर प्रदेश ही करें तो बीजेपी को यहां पर कड़ी टक्कर मिली. बीजेपी के बड़े नेता यूपी के समीकरण में ऐसा उलझे से आखिरी वोटों की गिनती तक नेता उलझे रहे.बीजेपी को उम्मीद थी कि भगवान राम के सहारे यूपी के दंगल को वो जीत जाएगी.लेकिन यूपी की जनता ने बीजेपी के राम को किनारे कर दिया.यहां जो राम ने कमाल दिखाया वो इंडिया अलायंस के लिए संजीवनी बूटी का काम कर गया.
कौन हैं इंडिया अलायंस के RAM :आईए आपको बताते हैं कि आखिर कौन है इंडिया अलायंस के राम.तो जनाब ये RAM है. R- राहुल गांधी A- अखिलेश यादव M- ममता बनर्जी. राहुल, अखिलेश और ममता की रणनीति के आगे एनडीए गठबंधन की एक न चली. चाहे टिकट का बंटवारा हो या फिर जातिगत समीकरण को साधना. राहुल, अखिलेश और ममता ने यह साबित कर दिया हवाएं कितनी भी विपरीत क्यों ना बह रही हो यदि हम अडिग हैं तो कैसे भी तूफान का सामना किया जा सकता है. यूपी में राहुल और अखिलेश की जोड़ी को जहां जनता ने सिर आंखों पर बिठाया.वहीं पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी ने अपने दम पर बीजेपी के तूफान को रोकने को काम किया.