विदिशा। राम नवमी पर पूरे देश में भगवान राम का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है. ऐसे में विदिशा में कई प्राचीन राम मंदिर हैं जहां राम नवमी पर भव्य आयोजन किए जा रहे हैं और पूजा पाठ हो रही है. घर घर में बन्दनवार लगाकर, शंख झालर की मंगल ध्वनि से भगवान की आरती की गई. मंगल गीत एवं बधाई गीतों से भगवान रामलला का जन्मोत्सव मनाया गया. श्री राम चरित मानस के अखण्ड पाठ, श्री राम रक्षा स्त्रोत्र के पाठ के साथ जय श्री राम के जयघोष गूंजे. विदिशा के कण कण में श्री रामचंद्र जी विराजमान हैं.
चरण तीर्थ में हैं रामचंद्रजी के चरण
चरण तीर्थ पर भगवान श्री रामचंद्र जी के चरण स्थित हैं. वैत्रवती तट स्थित त्रिवेणी तीर्थ पर श्री राम लक्ष्मण मंदिर और पुरानी कलेक्ट्रेट के श्री राम मंदिर में रामचंद्र जी की झांकी का पदार्पण चरण तीर्थ पर होता है. जहां श्रद्धालुओं ने भगवान के चरणों का पूजन किया. शनि मंदिर के सामने श्रीराम जी एवं सीता जी की झांकी विराजमान है.
किले के अंदर है रामजी का प्रतिष्ठित मंदिर
वहरा बाबा घाट पर श्री राम जी का मंदिर है. किले के अन्दर श्री रामजी का अति प्राचीन मंदिर है. किरी मोहल्ला में श्री रघुनाथ जी का मंदिर है. श्री रामलीला प्रांगण विदिशा में श्री राम जी का मंदिर स्थापित है. शनि मंदिर में पास प्राचीन श्री राम चन्द्र जी का मंदिर है. वाटर-वक्स के पास वैत्रवती के प्राचीन घाट का नाम श्री राम घाट प्रसिद्द है. नाना के बाग में वनवासी वेश में श्री राम चन्द्र जी श्री सीता जी एवं श्री लक्ष्मण जी की प्रतिमायें प्रतिष्ठित हैं. डंडापुरा स्थित श्री चिंतामणि श्री गणेश मंदिर में प्राचीन श्री रामचंद्र जी का मंदिर है.
क्या है पौराणिक मान्यता
उदयगिरी के सामने शताब्दियों से प्राचीन श्रीजटा शंकर भगवान के मंदिर में भगवान श्रीराम जी लक्ष्मण जी की वनवासी वेश में सुन्दर प्रतिमाएं प्रतिष्ठित हैं. पौराणिक मान्यता के अनुसार महर्षि बाल्मीकि जी विदिशा क्षेत्र के वनों में तपस्वियों के साथ तपस्या करते थे. आज भी करीला गांव में जगत जननी माता जानकी जी के दर्शन हेतु लाखों श्रद्धालु सपरिवार आकर मनोकामना पूर्ण होने पर प्रसाद समर्पित करते हैं, मंदिर पर ध्वजा लगाते हैं.