राजगढ़: आज के इस डिजिटल युग में हर एक व्यक्ति अपना काम मोबाइल फोन और लैपटॉप के माध्यम से करने का आदी हो गया है, चाहे वह बैंकिंग का काम हो या अन्य कोई काम हो. हर एक व्यक्ति चाहता है कि उसके सारे काम घर बैठे ही हो जाएं, लेकिन जागरूकता के आभाव में कभी-कभी आमजन को इसका नुकसान भी उठाना पड़ता है. क्योंकि जहां से आम इंसान की सोच खत्म होती है, साइबर ठग उसके आगे से सोचना शुरू करते हैं और लोगों की सबसे कमजोर कड़ी उनका निशाना होती है. लोग अनजान नंबर से आए हुए फोन या वीडियो कॉल्स रिसीव करते हैं. उसके बाद शुरू होता है साइबर फ्रॉड के क्राइम का असली खेल. इसी खेल में डिजिटल अरेस्ट जैसे स्कैम भी शामिल हैं. इसी स्कैम को लेकर हमने बात की राजगढ़ के साइबर लॉ एक्सपर्ट शकील अंजुम से जिन्होंने हमें बताया कि डिजिटल अरेस्ट स्कैम क्या है और इससे कैसे बचा जा सकता है और ऐसा होने पर क्या करना चाहिए.
यूं शुरू होता है इस फ्रॉड का खेल
शकील अंजुम ने बताया कि ''डिजिटल अरेस्ट स्कैम के बारे में शकील बताते हैं कि सामने वाला व्यक्ति अपने व्हाट्सएप की डीपी पर सीबीआई या पुलिस अधिकारी की डीपी लगाकर आपको कॉल करता है और आपको किसी भी तरह की अनैतिक या अवैध गतिविधि में शामिल होने के आरोप में कार्रवाई और गिरफ्तारी का डर बताकर आपको घर में ही कैद कर लेता है. यानि आप गिरफ्तारी के डर की वजह से घर से बाहर नहीं निकलते हैं. साइबर फ्रॉड करने वाले व्यक्ति के द्वारा किए गए वीडियो कॉल में लोगों को ऐसा प्रतीत होता है, जैसे किसी पुलिस थाने का माहौल है और आपको ऑनलाइन स्काइप के थ्रू मॉनिटरिंग किया जाता है.''
अनजान नंबरों से रहें सावधान
शकील ने आगे बताया कि ''इसके बाद सीबीआई के नाम से फर्जी खाता नंबर देकर आपसे उसमें रुपए डलवाए जाते हैं या आपको कोई ऐप डाउनलोड कराकर आपका फोन भी हैक कर लिया जाता है. इस तरह के डिजिटल अरेस्ट के फ्रॉड से सावधान रहें और अगर इस तरह के फ्रॉड होते हैं तो 1930 पर काल करके रिपोर्ट करें. कोई भी वीडियो कॉल किसी अनजान नंबर से या +92 नंबर से आ रहा है या इंटरनेट से जेनरेट किसी भी नंबर से आ रहा है तो उसे अटेंड न करें. ऐसे मामले में किसी साइबर एक्सपर्ट की मदद लें और उसे पूरा घटनाक्रम बताएं व अपने नजदीकी पुलिस स्टेशन में संपर्क करें.''