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राजस्थान में आखिरी दौर में क्या है सियासी समीकरण, जानिए राजनीतिक विश्लेषक अविनाश कल्ला की जुबानी - Lok Sabha Election 2024 - LOK SABHA ELECTION 2024

लोकसभा चुनाव 2024 के परिणाम इस दफा राजस्थान में काफी रोचक रहने वाले हैं. दो बार के बीजेपी के क्लीन स्वीप के बाद कांग्रेस खाता खोलने का इंतजार कर रही है. इस बार के परिणाम राजस्थान में कैसी तस्वीर पेश करेंगे, इस बारे में वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक अविनाश कल्ला ने अपना विश्लेषण ईटीवी भारत के साथ साझा किया.

Lok Sabha Election 2024
राजस्थान में चुनाव की स्थिति (ETV Bharat GFX)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jun 3, 2024, 7:41 PM IST

अविनाश कल्ला, राजनीतिक विश्लेषक (ETV Bharat Jaipur)

जयपुर. राजनीतिक विश्लेषक अविनाश कल्ला के मुताबिक मंगलवार को जाहिर होने वाले चुनावी नतीजे इस बार प्रदेश में कांग्रेस के खाते खोलने की ओर इशारा कर रहे हैं. उनके मुताबिक कांग्रेस भले ही कुछ भी दावा करे, लेकिन परिणाम 22 के मुकाबले तीन का रहेगा. यानी इस बार भाजपा को 3 सीटों का नुकसान होने जा रहा है.

इन सीटों पर बीजेपी को होगा नुकसान : अविनाश कल्ला कहते हैं कि बीजेपी को झुंझुनू, दौसा और बाड़मेर में शिकस्त का सामना करना पड़ सकता है. उनके मुताबिक झुंझुनू में बृजेन्द्र ओला, दौसा में मुरारी लाल मीणा बीजेपी से नाराजगी और स्थानीय जातिगत समीकरण के आधार पर चुनाव जीत रहे हैं. जबकि बाड़मेर में कांग्रेस में आरएलपी से आए नेता के अलावा निर्दलीय रविन्द्र सिंह भाटी ने भाजपा के समीकरण बिगाड़ दिए हैं. कल्ला बताते हैं कि बीजेपी के लिए चूरू, बांसवाड़ा, करौली-धौलपुर, भरतपुर, सीकर और टोंक-सवाई माधोपुर में जीत-हार का अंतर कम होगा. इन सीटों पर विपक्ष के प्रत्याशियों ने कड़ी चुनौती पेश की है, जिसके कारण बीजेपी के लिए मुश्किल नजर आ रही है.

जाति रही सब पर हावी : राजस्थान में साल 2024 के आम चुनाव को लेकर अविनाश कल्ला मानते हैं कि इस बार कास्ट डिविजन के आधार पर चुनाव लड़ा गया, जो बीजेपी की हर रणनीति को कमजोर साबित कर चुका है. हालात यह रहे कि पार्टी का ट्रंप कार्ड पीएम मोदी का चेहरा भी इसके आगे फेल हो गया. उनके मुताबिक प्रदेश में चुनाव लोकल मुद्दों पर लड़ा गया, जो राष्ट्रीय नेताओं और चेहरों के आगे हाशिए पर चला गया. मसलन, ईआरसीपी के आगे पूर्वी राजस्थान में जातिगत समीकरण और चेहरे हावी रहे, तो शेखावाटी में किसान आंदोलन के आगे चेहरे बदलने की रणनीति का मैसेज उलटा पड़ता दिखा.

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बड़े नेताओं के आगे चर्चा में युवा : अविनाश कल्ला के अनुसार प्रदेश में चुनावी माहौल का असर चूरू से दिखने लगा था, जहां राहुल कस्वां का चेहरा नजर आया. उनकी घोषणा के बाद ही राज्य में चुनावी राजनीति के रंग दिखने लगे थे. इसी तरह बाड़मेर में रविन्द्र सिंह भाटी की घोषणा ने पूरे चुनाव का ध्यान पश्चिमी राजस्थान की ओर खींच लिया, जबकि वागड़ में युवा चेहरे के रूप में राजकुमार रोत ने दिग्गज आदिवासी नेता महेन्द्रजीत मालवीय को चुनौती पेश कर दी.

इन सबके अलावा भरतपुर में संजना जाटव की मौजूदगी ने भी पूर्वी राजस्थान में इलेक्शन को दिलचस्प बना दिया. वहीं, केन्द्र के चार बड़े चेहरे प्रदेश के चुनावी मैदान में रहे. इनमें जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह को पहले दो बार के मुकाबले इस बार मेहनत ज्यादा करनी पड़ी. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को भी ऐसी ही चुनौती हाड़ौती में मिली. वहीं, कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी फिलहाल बाड़मेर में तीसरे नंबर पर नजर आ रहे हैं, जबकि अकेले कानून मंत्री अर्जुन मेघवाल जीत की ओर बढ़ते दिख रहे हैं.

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बाहरी नेताओं के भरोसे कांग्रेस : अविनाश कल्ला कहते हैं कि इस चुनाव में कांग्रेस जिन सीटों पर अपना स्ट्रांग होल्ड मान रही है, उनमें चूरू में बीजेपी का दामन छोड़कर कांग्रेस में आए राहुल कस्वां, बाड़मेर में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी से आए उम्मेदाराम शामिल हैं. इसी तरह नागौर में आरएलपी से गठबंधन में एनडीए के पुराने साथी हनुमान बेनीवाल और सीकर में इंडिया गठबंधन से अमराराम ने चुनाव को रोचक बनाया है.

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