जयपुर: राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा है कि मोटर वाहन अधिनियम और एआईएस नियमों की अवहेलना कर बॉडी में बदलाव करने वाली बसों को आमजन की सुरक्षा को देखते हुए सड़क पर चलने की अनुमति नहीं दी जा सकती. यदि इन बसों के चलने की छूट दी गई तो इससे ना केवल कानूनी नियमों की अवहेलना होगी, बल्कि यह आमजन की सुरक्षा के लिए भी खतरा होगा.
अदालत ने याचिकाकर्ता बस संचालकों को छूट दी कि वे संबंधित परिवहन अधिकारी के यहां से अपनी बसों की बॉडी में बदलाव करने के लिए उन्हें प्राप्त कर सकते हैं, लेकिन नियमों की अवहेलना कर वे बसों का संचालन नहीं कर सकते. जस्टिस अनूप कुमार ढंड ने यह आदेश हरेन्द्र सिंह व अन्य की याचिकाओं पर दिया. अदालत ने स्पष्ट किया कि यदि याचिकाकर्ता बस संचालक तय अवधि में अपनी बसों की बॉडी में बदलाव नहीं कर पाए तो ऐसी स्थिति में विभाग उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र है.
पढ़ें :कांस्टेबल भर्ती परीक्षा-2023 को लेकर बहस पूरी, फैसला सुरक्षित
याचिकाओं में कहा कि बसों की बॉडी में बदलाव करने पर संबंधित परिवहन अधिकारी ने 24 मई 2024 को उनकी बस को सीज कर लिया. विभाग की सीज करने की कार्रवाई मनमानी है, क्योंकि उनकी बसों का रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट दूसरे राज्यों का है. जवाब में राज्य के एएजी सुरेन्द्र सिंह ने कहा कि बसों की बॉडी बनाने के नियम बने हुए हैं. याचिकाकर्ताओं ने नियमों की अवहेलना कर ज्यादा लगेज ले जाने के लिए बसों के चेसिस को काटा है व आपातकालीन गेट भी बंद किया है. इन वाहनों के सडक पर चलने से उनका संतुलन बिगड़ सकता है और यह आमजन के लिए भी खतरा उत्पन्न हो सकता है.
ऐसे में बिना बॉडी में बदलाव किए इन बसों को सड़क पर नहीं चलने दिया जा सकता. इस पर याचिकाकर्ताओं ने अदालत को आश्वस्त किया कि वे अपनी बसों की बॉडी में बदलाव करने के लिए तैयार हैं. इस पर अदालत ने बॉडी में बदलाव करने के लिए बसों को रिलीज करने को कहा है.