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एसीएस गृह बताएं SC-ST के मामलों के लिए पुलिस शिकायत प्राधिकारी का गठन क्यों नहीं किया ? - Rajasthan High Court - RAJASTHAN HIGH COURT

HC on ACS Home, हाईकोर्ट ने एसीएस गृह से पूछा है कि एससी-एसटी के मामलों के लिए पुलिस शिकायत प्राधिकारी का गठन क्यों नहीं किया गया. यहां जानिए पूरा मामला...

Rajasthan High Court
राजस्थान हाईकोर्ट (ETV Bharat Jaipur)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jun 6, 2024, 8:58 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने अतिरिक्त मुख्य गृह सचिव से पूछा है कि एससी, एसटी से जुड़े मामलों में सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिए आदेश के 18 साल बाद भी अब तक पुलिस कंप्लेंट अथॉरिटी का गठन क्यों नहीं किया गया है. इसके अलावा एसीएस को यह भी बताने को कहा है कि अवैध बजरी खनन को लेकर पीपलू थाना इलाके में गत वर्ष हुई युवक की हत्या के मामले में वर्तमान में क्या जांच चल रही है. जस्टिस समीर जैन ने यह आदेश अभिषेक व अन्य की अपील पर दिए.

अदालत ने आगामी सुनवाई पर संबंधित मेडिकल ऑफिसर को पेश होकर बताने को कहा है कि उनकी ओर से दी गई राय और मेडिकल रिपोर्ट में विरोधाभास क्यों है. वहीं, अदालत ने संबंधित पुलिस अधिकारी को रोजनामचा रिकॉर्ड पर लाने के निर्देश देते हुए यह बताने को कहा है कि अब तक पूरक आरोप पत्र पेश क्यों नहीं किया गया और आरोपी पक्ष की ओर से दर्ज एफआईआर को जांच के लिए सीआईडी सीबी में क्यों नहीं भेजा गया. अदालत ने पीड़ित पक्ष की सहायता के लिए प्रकरण को नेशनल एसटी आयोग और राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को भी भेजा है.

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याचिका में कहा गया कि हत्या के तीन दिन बाद 29 जून, 2023 को पीपलू थाने में मामला दर्ज हुआ था. याचिकाकर्ता लीजधारक के कर्मचारी है और उन्हें मामले में झूठा फंसाया गया है. मामले में उनके पक्ष की ओर से भी रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी. याचिका में कहा गया कि मरने वाला बजरी चोरी करने वाला आदतन अपराधी था. इसके अलावा चिकित्सक ने अपने बयान में माना है कि मौत चोट लगने से नहीं हुई थी. मृतक शराब का आदि था. ऐसे में उल्टी गले में फंसने के कारण उसकी मौत हुई थी. वहीं, एफएसएल रिपोर्ट भी उनके खिलाफ नहीं है. इसके विरोध में पीडित पक्ष ने कहा कि उन्होंने समय पर रिपोर्ट दी थी और स्थानीय जनप्रतिनिधियों के दबाव के कारण ही रिपोर्ट दर्ज की गई.

वहीं, मृतक के गले पर गंभीर चोट सहित कुल 14 चोट आई थी, जिसके कारण उसकी मौत हुई थी. इसके अलावा पीडित पक्ष की रिपोर्ट को जांच के लिए सीआईडी सीबी में नहीं भेजा गया. सुप्रीम कोर्ट की ओर से वर्ष 2006 में प्रकाश सिंह के मामले में दिए निर्देश के तहत पीडित पक्ष एससी, एसटी वर्ग का होने के बावजूद उसे कानूनी कार्रवाई के लिए उचित संसाधन मुहैया नहीं कराए गए और ना ही पुलिस कंप्लेंट अथॉरिटी का गठन किया गया. गौरतलब है कि शंकर अपने साथियों के साथ अवैध रूप से बजरी भरकर ला रहा था. रास्ते में लीजधारक के लोगों ने उसके ट्रैक्टर को टक्कर मारी थी और बाद में उसकी हत्या हो गई थी.

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