जोधपुर:राजस्थान सरकार ने फरवरी में अपने अपूर्ण बजट में प्रदेश के वाहनों की दोबारा बिक्री करने पर लगने वाला शुल्क 12.5 प्रतिशत से 25 प्रतिशत किया था. वहीं, 10 जुलाई को पूर्ण बजट में नए वाहनों का रजिस्ट्रेशन दो फीसदी बढ़ाया. इसके अलावा अन्य राज्यों से खरीदे वाहन को राजस्थान में अपने नाम करवाने पर लगने वाले शुल्क में बदलाव किया और छूट हटाई. जिसके कारण आलम यह है कि प्रदेश में सेकंड हैंड कारों का काम करने वाले हजारों व्यवसायियों की सांसें अटक गई हैं, क्योंकि सरकार ने अचानक दरें बढ़ाई. जिसके चलते उनके पास हजारों की संख्या में खडे वाहनों की कीमतें बढ़ गईं. इन गाड़ियों को बेचना भारी पड़ेगा. यही कारण है कि पूरे प्रदेश में लगातार सरकार के निर्णय के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं.
जोधपुर कार बाजार एसेासिएशन के अध्यक्ष नारायण प्रजापत ने बताया कि पहले दिल्ली से खरीदी 2014 मॉडल की कार का राजस्थान में रजिस्ट्रेशन करवाने पर 23 से 25 हजार रुपये खर्च आता था, लेकिन अब यह खर्च बढ़ कर 80 से 85 हजार हो गया है. जबकि व्यापारी एक गाड़ी पर 10 से 20 हजार का ही धंधा करता था, लेकिन यह राशि भरना मुश्किल हो गया हैं. सरकार ने यह निर्णय वापस नहीं लिया तो बाजार का बर्बाद होना तय है. यही कारण है कि प्रदेश स्तर पर आंदोलन चल रहा है.
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सरकार ने ऐसे बढ़या शुल्क : दरअसल, राजस्थान में सेकंड हैंड अन्य राज्यों की लाने पर रजिस्ट्रेशन उसके 15 साल पूरे होने में बचे वर्ष के अनुरूप हर साल के लिए 10 प्रतिशत शुल्क छूट मिलती थी, जो अधिकतम 80 प्रतिशत तक होती थी. जिसके चलते ज्यादातर लोग दिल्ली-एनसीआर से 2014 से 1016 मॉडल की गाड़ी खरीदते थे, जिसका रजिस्ट्रेशन शुल्क 25 से 30 हजार आता था. लेकिन अब सरकार ने इसमें बदलाव कर दिया. यह छूट पांच फीसदी कर दी है. वह भी अधिकतम पांच साल के लिए. यानी कि रजिस्ट्रेशन शुल्क दोगुना से ज्यादा देना पड़ेगा, जबकि दिल्ली व हरियाणा में एक हजार से पांच हजार रुपये ही शुल्क है.