देहरादून: राजाजी टाइगर रिजर्व में इलेक्ट्रिक व्हीकल के ट्रायल के दौरान मारे गए वन कर्मियों को वन विभाग शहीद नहीं मानता, इस हादसे में चार वन कर्मी मारे गए थे, हैरानी की बात यह है कि वन मुख्यालय के पास प्रदेश में अब तक शहीद हुए वनकर्मियों का पूरा रिकॉर्ड भी नहीं है. राष्ट्रीय वन शहीद दिवस पर ईटीवी भारत की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट.
शहीद नामावाली पट्टिका से नाम नदारद:राष्ट्रीय वन शहीद दिवस पर आज वन विभाग के अधिकारियों ने शहीदों को शहीद स्मारक पर श्रद्धांजलि दी. इस दौरान महकमें के गिने-चुने अधिकारी और कर्मचारी यहां मौजूद रहे. खास बात यह थी कि शहीदों के नामावाली पट्टिका पर राजाजी टाइगर रिजर्व में इलेक्ट्रिकल व्हीकल के ट्रायल के दौरान मारे गए वनकर्मियों का नाम दर्ज नहीं था.
9 महीनों से चल रहा जांच, नहीं मिला शहीद का दर्जा:दरअसल, टाइगर रिजर्व में हुए इस हादसे के कारण मारे गए वनकर्मियों को विभाग शहीद नहीं मानता.ऐसा उस जांच के कारण हुआ है जो पिछले करीब 9 महीनों से चल रही है. एक तरफ हादसे में मारे गए वन कर्मियों को लेकर हर कोई गमगीन था तो सरकारी सिस्टम की धीमी गति के कारण मारे गए लोगों के परिजनों को अबतक शहीद का दर्जा मिलने का इंतजार है. उत्तराखंड वन विभाग में प्रमुख वन संरक्षक हॉफ धनंजय मोहन बताते हैं कि टाइगर रिजर्व में हुए हादसे की जांच के कारण अभी तक इन वन कर्मियों को शहीद का दर्जा नहीं मिला है, लेकिन मारे गए सभी वनकर्मी विभाग के हर शख्स के दिल में जगह बनाये हुए हैं.
इलेक्ट्रिक व्हीकल हादसे इन वनकर्मियों का हुआ निधन:राजाजी टाइगर रिजर्व में इलेक्ट्रिकल व्हीकल के ट्रायल के दौरान वार्डन अलोकी, रेंजर शैलेश घिल्डियाल, डिप्टी रेंजर प्रमोद ध्यानी, वन कर्मी शेफ अली ने अपनी जान गंवाई थी. जनवरी में हुए इस हादसे के बाद अब तक इस पर जांच को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई है. शायद यही वजह है कि इन कर्मियों को अब तक शहीद का दर्जा नहीं मिल पाया है. राष्ट्रीय वन शहीद दिवस पर एक बार फिर यह बात हर किसी के जुबान पर सुनाई देने लगी है.