समस्तीपुर : सूबे के सरकारी स्कूलों में बड़े बदलाव के दावों व वादों से अलग आज बात जिले के एक ऐसे स्कूल की, जो बीते बारह वर्षों से दर-दर भटक रहा है. वैसे वर्तमान में इस स्कूल को फिर नया ठिकाना जरुर मिला, लेकिन वह भी एक झोपड़ी. ऐसे में बड़ा सवाल ये कि क्या शिक्षा व शिक्षा के केन्द्रों को लेकर सरकार और शिक्षा विभाग धरातल पर गंभीर नहीं है?
12 साल बाद भी स्कूल का 'वनवास' : ये स्कूल है समस्तीपुर का जहां, शिवाजीनगर प्रखंड के पुरन्दाही में बीते बारह वर्षों से एक सरकारी प्राथमिक विद्यालय को अपनी जगह नहीं मिल पा रही है. वर्तमान में यह स्कूल एक झोपड़े में चल रहा. यहां पठन-पाठन के साथ ही मिड-डे मिल बनाने का भी इंतजाम किया जा रहा.
समस्तीपुर में झोपड़ी में चलता है स्कूल : शिवाजीनगर प्रखंड का भटौरा पंचायत का प्राथमिक विद्यालय पुरन्दाही के वर्तमान हालात को समझने से पहले स्थापना के बाद से ही दर-दर भटकते इस स्कूल के सफर को समझना जरूरी होगा. साल 2012 में इस स्कूल का स्थापना भटौरा मठ के शिवमंदिर में हुआ. करीब एक वर्ष बाद ग्रामीणों के प्रयास से यह विद्यालय मठ की जगह से पुरन्दाही गांव में आया.
बच्चों की कम नहीं हुई परेशानी : साल 2014 से इस स्कूल के हेडमास्टर रहे नरेश कुमार सिंह ने बदहाल स्कूल के हालात पर कहा कि वह लगातार इस स्कूल के हालात की जानकारी वरीय अधिकारी को दे रहे हैं. सीमित संसाधन के वाबजूद हम घर-घर जाकर बच्चों को स्कूल तक लेकर आये, लेकिन 2016 में जमींन और भवनहीन स्कूल को मेरे लाख प्रयास के बावजूद विभाग ने प्राथमिक विद्यालय धोबियाही रहटौली पंचायत से अटैच कर दिया.