चंडीगढ़: पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने एक मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि अगर हरियाणा के किसी सैनिक की ड्यूटी के दौरान मौत होती है, तो उसके परिवार को राज्य की नीति के अनुसार अनुग्रह राशि देने से इनकार नहीं किया जा सकता. हाई कोर्ट ने ये आदेश राज्य सैनिक कल्याण बोर्ड को एक सैनिक परिवार को अनुग्रह राशि देने पर फैसला सुनाते हुए दिया है. कोर्ट ने हरियाणा सरकार को तीन महीने के भीतर विधवा को सभी लाभ जारी करने का आदेश भी दिया है.
हरियाणा के अधिकारियों ने स्पष्टीकरण का दिया हवाला: हाई कोर्ट ने कहा कि सैनिक की मृत्यु अक्टूबर 2000 में गोरीचेन शिखर से अरुणाचल प्रदेश के शिविर में लौटते समय हुई थी. राज्य के 30 सितंबर 1999 के निर्देशों के अनुसार परिवार को 10 लाख रुपये की अनुग्रह राशि मिलनी चाहिए थी, क्योंकि सैनिक की ड्यूटी के दौरान मौत हुई थी. जबकि हरियाणा के अधिकारियों ने 7 नवंबर 2001 के बाद के स्पष्टीकरण का हवाला देते हुए इसे अस्वीकार कर दिया था. अब हाई कोर्ट ने कहा है कि स्पष्टीकरण की आड़ में ऐसे लाभों को पूर्वव्यापी रूप से अस्वीकार नहीं किया जा सकता.
गुरुग्राम का है सैनिक परिवार: जस्टिस विनोद एस भारद्वाज ने हरियाणा के जिला गुरुग्राम निवासी जगरोशिनी देवी की याचिका स्वीकार करते हुए ये आदेश पारित किए हैं. याचिकाकर्ता जगरोशिनी देवी ने 24 मार्च 2017 को हरियाणा राज्य सैनिक बोर्ड के सचिव द्वारा पारित आदेश को चुनौती दी थी. इसमें अनुग्रह राशि (वित्तीय सहायता) देने के उनके दावे को खारिज कर दिया गया था. याचिकाकर्ता के पति 8 मराठा लाइट इन्फेंट्री में सेवारत नायक भागीरथ की मृत्यु 23 अक्टूबर 2000 को गोरीचेन शिखर से शिविर में लौटते समय हुई थी. उनकी मृत्यु को आपरेशन फाल्कन में युद्ध हताहत के रूप में मानने का आदेश दिया गया था.
मृत्यु का कारण युद्ध में शहादत: सेना द्वारा मृत्यु के कारण बारे जारी एक प्रमाण पत्र में प्रमाणित किया गया था कि भागीरथ युद्ध में मारे गए थे. सेना ने उन्हें युद्ध हताहतों को दिए जाने वाले सभी प्रकार के लाभ जारी किए थे. लेकिन हरियाणा सरकार ने अपनी नीति के अनुसार उन्हें 10 लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने से इनकार कर दिया था. इस नीति के अनुसार ड्यूटी के दौरान शहीद होने वाले सैनिकों को ये राशि दी जाती है. हरियाणा सरकार ने 30 सितंबर 1999 के निर्देशों और 7 नवंबर 2001 के स्पष्टीकरण के अनुसार युद्ध नायकों के बलिदान के लिए लाभ प्रदान करने का तर्क दिया था.