लखनऊ : रोडवेज के डिपो प्राइवेट हाथों में सौंपे जाने पर अब रोडवेज कर्मचारियों ने विरोध करना शुरू कर दिया है. गुरुवार को अवध डिपो रोडवेज कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के नेतृत्व में अलग-अलग यूनियन के पदाधिकारियों ने अवध डिपो में विरोध प्रदर्शन किया. यूपीएसआरटीसी के एमडी से निजी कंपनियों को सौंपे गए डिपो को फिर से रोडवेज के हवाले करने की मांग की गई.
रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद के शाखा अध्यक्ष हबीबुर्रहमान और मंत्री कांतेश शर्मा, रोडवेज कर्मचारी संघ के शाखा अध्यक्ष दानिश उमर और मंत्री पुष्पेंद्र सिंह, सेंट्रल रीजनल वर्कशॉप कर्मचारी संघ के शाखा अध्यक्ष मीसम जैदी और मंत्री आरिफ हुसैन, श्रमिक समाज कल्याण संघ के शाखा अध्यक्ष श्याम तिवारी और मंत्री महेश कुमार, संविदा चालक-परिचालक कर्मचारी संघर्ष यूनियन के शाखा अध्यक्ष रामपाल और मंत्री शिवकुमार सिंह ने प्रदर्शन में हिस्सा लेते हुए उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के इस कदम पर आक्रोश व्यक्त किया है. अवध डिपो रोडवेज कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के पदाधिकारियों ने कहा कि 'अवध डिपो कार्यशाला को ठेकेदारों को सौंपकर और अन्य 18 डिपो का निजीकरण किया जा रहा है, जो बिल्कुल भी सही नहीं है.'
पदाधिकारियों ने कहा कि 'निगम के पास योग्य, अनुभवी फोरमैन और आईटीआई प्रशिक्षित टेक्नीशियन और मैकेनिक मौजूद हैं, वह अच्छी सेवाएं दे रहे हैं. उनकी कार्य दक्षता और संचालन व्यवस्था भी शत-प्रतिशत है. बावजूद इसके निगम प्रबंधन कार्यशाला को प्राइवेट हाथों में सौंप रहा है, जो सही नहीं है. कार्यशाला का निजीकरण किए जाने से ऐसा लगता है कि आईटीआई प्रशिक्षित, कुशल युवाओं की शिक्षा की अनदेखी की जा रही है. निगम में पिछले कई वर्षों से कार्यरत अनुभवी कुशल कर्मचारियों की कार्यशैली की अनदेखी कर उनके भविष्य को गर्त में डाला जा रहा है. संयुक्त मोर्चा कर्मचारी हित और निगम हित में इन गलत नीतियों का हमेशा विरोध करेगा.'
प्राइवेट हाथों में सौंपे गए 19 डिपो :परिवहन निगम की तरफ से 19 डिपो प्राइवेट हाथों में सौंपे गए हैं. इनमें नजीराबाद डिपो, हरदोई डिपो, अवध डिपो, जीरो रोड डिपो, ताज डिपो, साहिबाबाद डिपो, बदायूं डिपो, इटावा डिपो, झांसी डिपो, कैंट डिपो, बांदा डिपो, बलरामपुर, विकासनगर डिपो, साहिबाबाद डिपो, छुटमुलपुर डिपो और सोहराब गेट डिपो शामिल हैं.
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