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स्कूल से रहते हैं गुल, फिर भी वेतन लेते हैं फुल, जानिए प्रधान पाठक की लीला - Principal of Pusbaka

Principal of Pusbaka in Bijapur छत्तीसगढ़ में कई बेरोजगार नौकरी के लिए आंदोलन कर रहे हैं.भर्तियों पर सवाल उठा रहे हैं.वहीं दूसरी तरफ कुछ ऐसे भी उदाहरण हैं जहां बिना काम के लिए वेतन लेकर मौज काटी जा रही है.आप सोच रहे होंगे ऐसा होता है क्या.लेकिन हां ऐसा होता है.छत्तीसगढ़ के बीजापुर में जो तस्वीर सामने आई है,उसे देखकर आपको भी अंदाजा लग जाएगा कि हां ऐसा होता है.Get salary without going to school

Principal of Pusbaka in Bijapur
जानिए प्रधान पाठक की लीला (ETV Bharat Chhattisgarh)

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jul 29, 2024, 1:42 PM IST

बीजापुर :शिक्षा विभाग के खंड शिक्षा अधिकारी उसूर के अभयदान की वजह से पुसबाका प्रधान पाठक की खूब मौज है.नक्सल आतंक को ढाल बनाकर शिक्षक अपने मूल स्कूलों में सेवाएं नहीं दे रहे हैं.आरोप ये हैं कि प्रधानपाठक पिछले छह महीने से बिना स्कूल गए वेतन उठा रहे हैं.इस मामले में एक बात तो साफ कर दी है कि शिक्षकों ना तो नियमों की कद्र है और ना ही एक्शन का डर.तभी तो बिना बच्चों को पढ़ाए हर महीने सरकारी पैसा उड़ाना उनकी आदत बन गई है. आईए आपको बताते हैं आखिर वो महान शिक्षक कौन हैं.

स्कूल से रहते हैं गुल, फिर भी वेतन लेते हैं फुल (ETV Bharat Chhattisgarh)

स्कूल से गुल, वेतन लेते हैं फुल :बीजापुर जिले के उसूर ब्लॉक में एक मामला प्रकाश में आया है.प्राथमिक शाला पुसबाका के प्रधान पाठक रामकृष्ण पेदमपल्ली ने 6 माह से स्कूल में ज्वाइनिंग नहीं दिया है.इसके बाद भी वो वेतन लेकर मौज कर रहे हैं.वेतन के पैसों से बिरयानी खाई जा रही है,खूब पार्टी की जा रही है.लेकिन जिस काम के लिए पैसा लिया जा रहा है वो काम नहीं हो रहा है.पूरा स्कूल बिना प्रधानपाठक के ही संचालित हो रहा है.

हाजिरी रजिस्टर से नाम है गायब (ETV Bharat Chhattisgarh)

कैसे ले रहे हैं बिना स्कूल गए वेतन ?:कांग्रेस सरकार में रामकृष्ण पेदमपल्ली को मंडल संयोजक बनाया गया था. सरकार बदलते ही रामकृष्ण पेदमपल्ली को 18 जनवरी 2024 को मूल पद पर वापस भेज दिया गया. 18 जुलाई 2024 को छह माह हो गए.लेकिन पेदमपल्ली ने स्कूल में ज्वाइनिंग नहीं दी.फिर भी पेदमपल्ली को वेतन सामान रूप से मिल रहा है.ठीक ऐसा ही एक मामला भोपालपटनाम ब्लॉक में भी देखा गया है.जहां के एक शिक्षक बिना स्कूल गए वेतन लेकर अपना वजन बढ़ा रहे हैं.लेकिन ना ही अफसरों को इसकी भनक है, और ना ही किसी जिम्मेदार को चिंता.हर महीने करारे-करारे नोट इनके अकाउंट में गिर रहे हैं,तो फिर टेंशन कैसी.दबी जुबान में अब लोग यही कह रहे हैं कि कहीं ना कहीं इन शिक्षकों को अफसरों और नेताओं का संरक्षण मिला हुआ है.

प्रधान पाठक की लीला :आपको बता दें कि बीजेपी शासनकाल में पुसबाका स्कूल को बंद किया गया था. शिक्षकों को दूसरे जगह मर्ज किया गया.लेकिन जब कांग्रेस सरकार आई तो स्कूल दोबारा खुला. पुसबाका स्कूल में एक प्रधान पाठक, सहायक शिक्षक और शिक्षा दूत की पदस्थापना की गई. जिसके तहत प्रधान पाठक की जिम्मेदारी रामकृष्ण पेदमपल्ली को दी गई. लेकिन पदस्थापना के बाद भी प्रधान पाठक रामकृष्ण पेदमपल्ली ने ज्वाइनिंग नहीं दी.जिसका जीता जागता उदाहरण ये हाजिरी रजिस्टर है जिसमें रामकृष्म पेदमपल्ली का नाम नहीं है.फिर भी पेदमपल्ली को पैसा मिल रहा है.

जिम्मेदार बोले नियम के तहत दिया जा रहा वेतन :खंड शिक्षा अधिकारी संतोष गुप्ता को प्रधान पाठक रामकृष्ण पेदमपल्ली के छह माह तक गैरहाजिर रहने के बावजूद वेतन दिए जाने के संदर्भ में अवगत कराया गया तो संतोष गुप्ता ने कहा कि रामकृष्ण पेदमपल्ली ने ज्वाइनिंग दे दिया है. इसलिए उनका वेतन दिया जा रहा है.

वेतन आहरण की जांच जरूरी :खंड जिला शिक्षाधिकारी चाहे जो भी कहे लेकिन हाजिरी रजिस्टर झूठ नहीं बोलती.अब ऐसा सवाल है कि दैनंदिनी में हस्ताक्षर नहीं है ना ही सीएससी का वेतन प्रमाणीकरण नहीं है तो वेतन कैसे मिले?. स्कूलों के निरीक्षण में शिक्षा विभाग संकुल शिक्षकों की पदस्थापना करती है. संकुल शिक्षक स्कूलों का भ्रमण करते हैं फिर उपस्थित -अनुपस्थित की जानकारी समेत वेतन प्रमाण पत्र (पे-डाटा) देते हैं. इसके बाद ही शिक्षकों का वेतन क्लियर होता है. लेकिन प्रधान पाठक रामकृष्ण पेदमपल्ली के वेतन आहरण पंजी पर हस्ताक्षर ही नहीं है.तो फिर वेतन कैसे जा रहा है ये एक बड़ा सवाल है.

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