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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का राजस्थान दौरा, 4 अक्टूबर को आबूरोड में ग्लोबल समिट का करेंगी उद्घाटन - President Draupadi Murmu - PRESIDENT DRAUPADI MURMU

राजस्थान के आबूरोड स्थित ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान के मुख्यालय शांतिवन में आयोजित चार दिवसीय ग्लोबल समिट का 4 अक्टूबर को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु उद्गाटन करेंगी.

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Sep 28, 2024, 1:22 PM IST

सिरोही. जिले के आबूरोड स्थित ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान के मुख्यालय शांतिवन में आयोजित चार दिवसीय ग्लोबल समिट का 4 अक्टूबर को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु उद्गाटन करेंगी. राष्ट्रपति विशेष विमान से 3 अक्टूबर को शाम को शांतिवन पहुंचेंगी, जहां रात्रि विश्राम के बाद 4 अक्टूबर को सुबह 9.30 बजे ग्लोबल समिट का विधिवत शुभारंभ करेंगी. स्वच्छ एवं स्वस्थ समाज के लिए आध्यात्मिकता विषय पर आयोजित इस समिट में देश-विदेश से अपने-अपने क्षेत्रों की जानी-मानी हस्तियां भाग लेंगी.

समिट के संयोजक व संस्थान के कार्यकारी सचिव डॉ. बीके मृत्युंजय भाई ने बताया कि हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी मुख्यालय में ग्लोबल समिट आयोजित की जा रही है. इसमें देशभर से धर्म, अध्यात्म, शिक्षा, राजनीति, व्यापार और मीडिया जगत की दिग्गज हस्तियां भाग लेंगी. 4 अक्टूबर को सुबह 10 बजे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु द्वारा समिट का शुभारंभ किया जाएगा. दो सत्रों में समिट में कुल आठ सत्र आयोजित किए जाएंगे. वहीं रात में देशभर से आए कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी जाएंगी. समिट को लेकर जल्द ही तैयारियां शुरू की जाएंगी.

पढ़ें: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 3 अक्टूबर को आएंगी उदयपुर, सुविवि के दीक्षांत समारोह में लेंगी भाग

राष्ट्रपति बनने के बाद दूसरा दौरा :कार्यकारी सचिव डॉ. बीके मृत्युंजय भाई ने बताया कि राष्ट्रपति बनने के बाद मुर्मु पहली बार 3 जनवरी 2023 को शांतिवन पहुंचीं थीं. जहां उन्होंने आजादी के अमृत महोत्सव के तहत आयोजित आध्यात्मिकता से स्वर्णिम भारत का उदय कार्यक्रम में भाग लिया था. ब्रह्माकुमारीज़ के माउंट आबू स्थित ज्ञान सरोवर परिसर में रात्रि विश्राम के बाद सुबह मुरली क्लास में भाग लिया और पांडव भवन में ब्रह्मा बाबा के समाधि स्थल पर पुष्पांजली अर्पित की थी. राष्ट्रपति लंबे समय से ब्रह्माकुमारीज संस्थान से जुड़ी हैं. यहां सिखाए जाने वाले राजयोग मेडिटेशन के कारण उनके जीवन में बहुत बदलाव आया है. उन्होंने जीवन के कठिन दौर में राजयोग की बदौलत नई दिशा दी. आज भी वह सुबह 3.30 बजे से राजयोग ध्यान करती हैं.

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