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कार्तिक स्वामी मंदिर में 108 बालमपुरी शंख पूजा को लेकर तैयारियां तेज, डीएम ने परखी व्यवस्था - Kartik Swami Temple in Rudraprayag

Rudraprayag Kartik Swami Temple रुद्रप्रयाग स्थित कार्तिक स्वामी मंदिर में 108 बालमपुरी शंख पूजा की तैयारियां जोरों पर चल रही है. साथ ही कार्यक्रम के लिए प्रशासन ने भी कमर कस ली है. वहीं जिलाधिकारी सौरभ गहरवार ने स्थलीय निरीक्षण करते हुए अधिकारियों को निर्देशित किया.

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Apr 27, 2024, 6:23 PM IST

रुद्रप्रयाग: जनपद के क्रौंच पर्वत पर स्थित देव सेनापति कार्तिक स्वामी मंदिर में 15 मई को भव्य 108 बालमपुरी शंख पूजा व हवन कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा. इस कार्यक्रम को दिव्य व भव्य बनाने के लिए जिलाधिकारी सौरभ गहरवार ने खड़पतिया हेलीपैड से लेकर क्रौंच पर्वत में स्थित कार्तिक स्वामी मंदिर तैयारियों एवं व्यवस्थाओं का जायजा लिया. साथ ही जिलाधिकारी ने अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए.

जिलाधिकारी ने अधिशासी अभियंता लोनिवि एवं जिला पर्यटन अधिकारी को निर्देश दिए हैं कि 15 मई को भगवान कार्तिकेय स्वामी में आयोजित होने वाले भव्य 108 बालमपुरी शंख पूजा व हवन कार्यक्रम के लिए सभी व्यवस्थाएं समय से कर लें. उन्होंने कहा कि मंदिर एवं मंदिर परिसर को फूलों एवं लाइटिंग के माध्यम से दिव्य एवं भव्यता के साथ सजाया जाए. श्रद्धालुओं एवं मुख्य अतिथियों के लिए सभी आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित कर ली जाए. उन्होंने लोनिवि को निर्देश दिए हैं कि खड़पतिया से लेकर कार्तिक स्वामी मंदिर तक आने वाले श्रद्धालुओं के लिए चेक प्वाइंट तैयार करते हुए उनमें पेयजल एवं शीतल पदार्थ भी उपलब्ध कराने के निर्देश दिए.
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उन्होंने मंदिर परिसर में विद्युत आपूर्ति के लिये 5 किलोवाट के जनरेटर एवं इनवर्टर की व्यवस्था करने के भी निर्देश दिए तथा रास्ते में पोलों पर विद्युत लाइट लगाने के भी निर्देश दिए. उन्होंने मुख्य विकास अधिकारी को उरेड़ा के माध्यम से सोलर लाइट की व्यवस्था कराने के भी निर्देश दिए.उन्होंने लोनिवि को यह भी निर्देश दिए हैं कि मंदिर समिति के जो भी धर्मशालाएं बनी हैं, उनमें जो भी मरम्मत कार्य किए जाने हैं उस कार्य को तत्परता से किया जाए. उन्होंने खड़पतिया मंदिर के मुख्य द्वार पर बेहतर साफ-सफाई के निर्देश दिए.उन्होंने जिला पर्यटन विकास अधिकारी को निर्देश दिए हैं कि पूजा में शामिल होने वाले श्रद्धालुओं एवं मुख्य अतिथियों के लिए मंदिर तक आने-जाने के लिये घोड़े-खच्चरों एवं कंडी डंडी की उचित व्यवस्था की जाए.

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