उदयपुर:राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस का राज्य स्तरीय समारोह इस बार उदयपुर में होगा. इसमें एक तरफ राजस्थान के सांस्कृतिक गौरव की झलक दिखेगी. वहीं, दूसरी ओर विकसित भारत के संकल्प के साथ कदमताल करते 'आपणो अग्रणी राजस्थान' प्रदर्शनी का भी दिग्दर्शन होगा. मुख्य समारोह में 6 विभागों और 11 जिलों की झांकियां शामिल की जा रही है. इन झांकियों के माध्यम से विभिन्न योजनाओं से प्रदेश में आई बदलाव की बयार और हर घर खुशहाली को प्रदर्शित किया जाएगा.
राज्य स्तरीय मुख्य समारोह के लिए 17 झांकियों को सूचीबद्ध किया है. इसमें 6 विभाग तथा उदयपुर संभाग के सभी जिलों सहित कुल 11 जिले शामिल हैं. पर्यटन विभाग की ओर से पर्यटन की अपार संभावनाओं को प्रदर्शित करती झांकी तैयार की जा रही है. वहीं चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से 'टीबी हारेगा, देश जीतेगा' तथा 'म्हारे गांव, टीबी ना पसारे पांव' थीम पर झांकी सजाई जा रही है. कृषि विभाग एवं कृषि विपणन विभाग समन्वित कृषि प्रणाली एवं जैविक खेती मॉडल पर आधारित झांकी तैयार कर रहे हैं. इसमें वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन इकाई, नमो दीदी-ड्रोन (सजीव प्रदर्शनी), फूलों की खेती, सब्जी की उन्नत खेती, मुर्गीपालन, खरगोश पालन, जापानी बटेर पालन एवं बकरी पालन आदि को प्रदर्शित किया जाएगा.
गवरी लोक नृत्य भी होगा झांकी में :राज्य स्तरीय समारोह में झांकी के साथ गवरी लोक नृत्य का भी प्रदर्शन होगा. उद्योग, वाणिज्य एवं बीआईपी विभाग की ओर से राइजिंग राजस्थान थीम का प्रदर्शन किया जाएगा. इसमें राज्य में हुए निवेश प्रस्तावों का चित्रण करते हुए आने वाले समय में प्रदेश में निवेश और रोजगार के बढ़ते अवसरों को दिखाया जाएगा. पंचायतीराज विभाग मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान 2.0 के तहत हो रहे कार्यों तथा उसके प्रभावों को मॉडल के माध्यम से प्रस्तुत करेगा. इन झांकी के साथ लोक कलाकार कठपुतली, नुक्कड़ नाटक आदि भी प्रदर्शित करेंगे.
शौर्य और बलिदान की गाथाएं होंगी जीवंत: राज्य स्तरीय समारोह में उदयपुर सहित 11 जिलों की झांकियां भी शामिल की जा रही हैं. इसमें चित्तौड़गढ़ जिले से संत मीराबाई की 525वीं जयंती के उपलक्ष्य में भक्ति, शक्ति और त्याग की त्रिवेणी चित्तौड़गढ थीम पर झांकी सजाई जा रही है. वहीं, सांवरिया सेठ मंदिर की प्रतिकृति भी शामिल रहेगी. बांसवाड़ा जिले से आदिवासी धार्मिक एवं ऐतिहासिक स्थल मानगढ़ धाम की झांकी तैयार की जा रही है. इसमें गोविन्द गुरू की प्रतिमा तथा राजस्थान के जलियावाला बाग मानगढ़ धाम के बलिदान का दिग्दर्शन होगा. डूंगरपुर जिले से सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक विरासतों को सहेजते हुए झांकी तैयार की जा रही है. इसमें एक थम्बिया महल, बादल महल, देवसोमनाथ मंदिर और बेणेश्वर धाम को प्रदर्शित किया जा रहा है. प्रतापगढ़ जिले से कांठल- आस्था और प्रकृति का संगम थीम की झांकी रहेगी. इसमें सीतामाता वन्यजीव अभ्यारण्य, गौतमेश्वर मंदिर के साथ ही गैर नृत्य, स्थानीय मांडना व थेवा कला को भी प्रदर्शित किया जाएगा. सलूम्बर जिले से हाड़ा रानी के बलिदान, महाराणा प्रताप के शौर्य, मां ईडाणा की आस्था एवं जयसमंद झील के माध्यम से मेवाड़ के महाराणाओं की जल संग्रहण के लिए दूरदर्शिता की थीम पर झांकी सजाई जा रही है.