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महाकुंभ 2025; शाही स्नान के लिए अखाड़ों में रातभर चली तैयारी, 7 स्तरीय सुरक्षा घेरे में मेला क्षेत्र - MAHA KUMBH MELA 2025

हर गंगे के गगनभेदी उद्घोष के बीच नागा साधुओं ने मां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती में अमृत की डुबकी लगाई.

महाकुंभ 2025
महाकुंभ 2025 (Photo Credit; ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 14, 2025, 10:43 AM IST

प्रयागराज :अभेद्य सुरक्षा- व्यवस्था के बीच महाकुंभ 2025 का पहला अमृत स्नान शुरू है. आस्था, उमंग, उल्लास और आह्लाद के बीच श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी और श्री शंभू पंचायती अटल अखाड़ा ने सुबह 06:15 बजे पहला अमृत स्नान किया. हर-हर गंगे के गगनभेदी उद्घोष के बीच नागा साधुओं ने मां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती में अमृत की डुबकी लगाई. इससे पहले अखाड़ों में अमृत स्नान के लिए देर रात तक तैयारी चलती रही. बग्घियां, चांदी के हौद, महामण्डलेश्वरों के रथ देर रात तक फूलों से सजाये जाते रहे.

दिनभर चलेगा 13 अखाड़ों का अमृत स्नान:महाकुंभ मेला 2025 में अखाड़ों की परंपरा के अनुसार प्रशाशन ने अखाड़ों के अमृत स्नान का क्रम तय कर दिया है. अब आइए जानते हैं कौन सा अखाड़ा कब करेगा अमृत स्नान?

संन्यासी

  • श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी और श्री शंभू पंचायती अटल अखाड़ा – 06:15
  • श्री तपोनिधि पंचायती श्री निरंजनी अखाड़ा, श्री पंचायती अखाड़ा आनन्द – 07:05
  • श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा , श्रीपंचदशनाम आवाहन अखाड़ा तथा श्री पंचाग्नि अखाड़ा – 08:00

बैरागी

  • अखिल भारतीय श्री पंच निर्मोही अनी अखाड़ा – 10:40
  • अखिल भारतीय श्री पंच दिगम्बर अनी अखाड़ा – 11:20
  • अखिल भारतीय श्री पंच निर्वाणी अनी अखाड़ा – 12:20

उदासीन

  • श्री पंचायती नया उदासीन अखाड़ा – 13:15
  • श्री पंचायती अखाड़ा, बड़ा उदासीन, निर्वाण – 14:20
  • श्री पंचायती निर्मल अखाड़ा – 15:40

अखाड़ों में देर रात तक चलती रही पहले अमृत स्नान की तैयारी:श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव महंत यमुनापुरी महराज ने बताया कि अमृत स्नान से पहले भोर में 3 बजे पर्व ध्वजा स्थापित की गई. पर्व ध्वजा के स्थापित होने के बाद नागा साधु अमृत स्नान के लिए तैयार हुए. बताया कि यह पर्व ध्वजा पूर्व में स्थापित धर्म ध्वजा के ठीक बगल में स्थापित की गई. अपने इष्ट देवता की पूजा अर्चना के बाद मां गंगा में स्नान के लिए अखाड़े के नागा और संत, महात्मा निकले.

7 स्तरीय सुरक्षा घेरे में लिया गया कुंभ क्षेत्र :महाकुंभ 2025 में पहले अमृत स्नान को देखते हुए कुंभ क्षेत्र को 7 स्तरीय सुरक्षा घेरे में ले लिया गया है. ATS, NSG, CRPF, ARF, बम निरोधक दस्ता तैनात किया गया है. इसके अलावा 57 हजार पुलिसकर्मी महाकुंभ क्षेत्र में सुरक्षा- व्यवस्था चाक- चौबंद रखने के लिए तैनात किए गए हैं. AI बेस्ड कैमरों से हर पल और हर गतिविधि की निगरानी की जा रही है. खोया पाया केंद्र से अपने परिजनों से बिछड़ने वालों को मिलाने के लिए अनाउंसमेंट किया जा रहा है.

आज से दो दिन और नौ व्हीकल जोन रहेगा मेला क्षेत्र:मेला विकास प्राधिकरण ने महाकुंभ क्षेत्र को नो व्हीकल जोन घोषित कर रखा है. कुंभ क्षेत्र में किसी भी तरह के वाहन प्रवेश नहीं कर पा रहे हैं. लिहाजा विभिन्न मार्गो से आ रहे श्रद्धालुओं को निर्धारित पार्किंग में ही उतारा जा रहा है. वहां से पैदल ही संगम की ओर श्रद्धालुओं को संगम स्नान के लिए भेजा जा रहा है.देश के कोने कोने से आए श्रद्धालुओं को 5 से 10 किलोमीटर पैदल चलकर ही संगम स्नान का पुण्य लाभ मिल पा रहा है. महाकुंभ मेले के पहले स्नान पर्व पौष पूर्णिमा के दिन 2 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के स्नान करने से प्रशासनिक अधिकारी अनुमान लग रहे हैं कि पहले अमृत स्नान मकर संक्रांति के दिन यानी 14 जनवरी को यह संख्या 5 से 7 करोड़ हो सकती है.लिहाजा श्रद्धालुओं से निर्धारित मार्गों से ही अपने गंतव्य की ओर वापस लौटने की अपील की जा रही है.

कल्पवास की परंपरा में मिटी असमानता:प्रयागराज महाकुंभ में वैसे 144 वर्ष बाद विशिष्ट खगोलीय संयोग बन रहा है, जिसके चलते ग्रहों और नक्षत्रों के जानकार इसे अपने दृष्टिकोण से देखते हैं. सिद्ध महामृत्युंजय संस्थान के पीठाधीश्वर स्वामी सहजानंद सरस्वती जी बताते हैं कि महाकुंभ एक खगोलीय घटना मात्र नहीं है. वसुधैव कुटुंबकम् का विचार लेकर सबको अपने में समाहित कर लेने वाले सनातन के इस महापर्व में जातीय भेदभाव, छुआछूत, ऊंच-नीच सब अप्रासंगिक हो जाते हैं. सभी जाति से जुड़े अमीर गरीब एक साथ मिलकर यहां पुण्य की डुबकी लगाते हैं. पौष पूर्णिमा से शुरू हुए प्रयागराज महाकुंभ के साथ यहां कल्पवास की भी शुरुआत हुई है. सब साथ में गंगा स्नान कर सामूहिक कीर्तन भजन में शामिल होते हैं. जातीय , वर्गीय एकता और समन्वय का यह विचार ही महाकुंभ को एकता के महाकुंभ के रूप में स्थापित करता है. तंबुओं में एक महीने तक रहकर संयम और त्याग के साथ जप, तप और साधना करने वाले कल्पवासियों की संख्या 7 लाख से अधिक है.

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