बेगूसराय: जन सुराज के संयोजक प्रशांत किशोर ने बुधवार को बेगूसराय के मटिहानी प्रखंड के सफापुर गांव में लालू यादव और नीतीश कुमार पर तीखा हमला किया. उन्होंने ने कहा कि मजबूरी में लालू और भाजपा के डर से वोट करने वालों को विकल्प के रूप में दल का निर्माण होना निश्चित है. लालू को वोट ना देना पड़े इसलिए भाजपा को वोट देना और भाजपा को वोट ना देना पड़े, इसके लिए लालू को वोट देने की लाचारी है. ऐसे में बिहार में एक नया विकल्प बनाना पड़ेगा. जन स्वराज का मकसद भी यही है.
"नीतीश कुमार की फितरत यही है जिधर हवा होती है उधर जाने का प्रयास करते हैं. वो भाजपा में जायेंगे ही. नीतीश कुमार को लालू यादव या बीजेपी से प्रेम नहीं है, बल्कि उन्हें कुर्सी से प्रेम है. इंडिया गठबंधन में कुछ होने वाला नहीं है. उसमें जितने भी बड़े नेता हैं वो अपना अपना क्षेत्र बचाने में लगे हुए हैं."- प्रशांत किशोर, संयोजक, जन सुराज
नीतीश का इसलिए विरोध कर रहे हैं पीकेः प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार पर हमला बोलते हुए कहा था कि जिस नीतीश कुमार का उन्होंने समर्थन किया था और जिस नीतीश कुमार का वह विरोध कर रहे हैं दोनों में जमीन आसमान का फर्क है. 2014 में नीतीश कुमार की छवि सुशासन वाली छवि थी. जिसमें विरोधी भी यह कहा करते थे कि नीतीश कुमार की छवि भ्रष्टाचारियों की छवि नहीं है. बिहार के विकास की छवि है. बिहार की छवि को बदलने का काम किया है. वही आज नीतीश कुमार के संबंध में गांव-गांव लोग यह कहते है की नीतीश कुमार कुर्सी के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं. इसलिए वह नीतीश कुमार का विरोध कर रहे हैं. आज नीतीश कुमार के पास सिर्फ 42 विधायक हैं. जनता ने उन्हें नाकर दिया है.
बिहार की बेहतरी की बात कर रहे हैंः प्रशांत किशोर ने कहा कि 2015 में हम महागठबंधन के साथ पूरा बिहार जीते थे. हमने सात निश्चय योजना भी लाई, बिहार विकास मिशन की योजना भी लाई पर उसे कोई आमूल चूल परिवर्तन नहीं हुई. उन सब चीजों से सीखने के बाद ही वह यह प्रयास कर रहे हैं. चाहे मोदी की सरकार हो या नीतीश लालू की या अन्य राज्यों की सरकार हो जिसे बनाने में हमने मदद की पर वहां परिवर्तन नहीं हुआ. इसलिए हमने अपना पुराना काम छोड़ दिया. क्यूंकि मेरे उस काम से नेता और दल जीत रहा है जनता का काम नहीं हो रहा है. इस पूरे अभियान में वह नीतीश लालू या मोदी का विरोध नहीं कर रहे हैं. हम बिहार की बेहतरी की बात कर रहे हैं.
नीतीश कुमार की संवेदना नहीं जागीः प्रशांत किशोर ने कहा कि जिस गोसोल रेल कांड में नीतीश कुमार ने संवेदना का परिचय देते हुए रेल मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था, उसी नीतीश कुमार के राज्य में कोरोना और शराबबंदी के मामले में कई लोगों की मौत हो गई पर नीतीश कुमार के चेहरे पर सिकन तक नहीं आयी. प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार के द्वारा कोरोना कल में किए गए कामों की आलोचना करते हुए कहा कि बिहार के सैकड़ों बच्चे और लोग पैदल बिहार पहुंचे पर नीतीश कुमार की संवेदना नहीं जगी. लौट के आने के बाद उनके लिए रोजगार की व्यवस्था भी नहीं की गयी. उन्होंने कहा कि कोरोना काल में सबसे ज्यादा परेशानी बिहार के लोगों को हुई.
बिहार की बदहाली के लिए जिम्मेवारः प्रशांत किशोर ने कहा कि पिछले 10 वर्षों से उन्होंने चुनाव रणनीतिकार के तौर पर काम किया है. इस दौरान उन्होंने बिहार का झंडा बुलंद किया है. उन्होंने नरेंद्र मोदी और तेजस्वी यादव की डिग्री के संबंध में कहा कि नरेंद्र मोदी की डिग्री नौवीं पास की नहीं है उन्होंने सही या गलत देश के सामने अपनी MA की डिग्री प्रस्तुत की है. प्रशांत किशोर ने लालू और नीतीश कुमार पर हमला बोलते हुए कहा कि पिछले 32 वर्षों में बिहार की सत्ता पर नीतीश और लालू काबिज हैं तो यह मानना पड़ेगा की बिहार की बदहाली के लिए ये लोग ही जिम्मेवार हैं.