चंडीगढ़: किसान आज भी रिवायती खेती करते हुए अपना घर चला रहे हैं, ऐसे में लगातार केमिकल के इस्तेमाल और महंगी मशीनों की खरीदारी करने के चलते किसानों की आर्थिक स्थिति बीते सालों के मुकाबले और कमजोर हो गई है. ऐसे में पंजाब यूनिवर्सिटी के डिपार्टमेंट ऑफ सोशियोलॉजी के अध्यक्ष प्रोफेसर विनोद कुमार चौधरी ने किसानों की आय को बढ़ाने और आर्थिक संकट को दूर करने के लिए पिकनिक मॉडल यानी पीक्यूएनके मॉडल के पर काम करते हुए उन्हें प्राकृतिक खेती के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं.
यह तकनीक सबसे पहले पाकिस्तान में बनाई गई थी, जिसका नाम पदार कुदरत निजामी कशतकारी (पी क्यू एन के ) मॉडल रखा गया. पाकिस्तान में पिछले 40 सालों से इस तकनीक के जरिए किसानों को प्राकृतिक खेती करना सिखाया जा रहा है. वहीं पंजाब यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर विनोद कुमार चौधरी पिछले नौ सालों से इस तकनीक के लिए बनाई गई मशीन पर काम कर रहे हैं. आज उनके दिखाए नक्शे कदम पर हजारों की संख्यां में किसान उनके साथ जुड़ कर पौष्टिक फसल ऊगा रहे हैं.
मॉडल कैसे करता है काम :यह जैविक खेती करने का तरीका है, जिसमें सब सोलर मिशन के जरिए जमीन को 3 फीट गहरा गड्ढा करते हुए नाली बनाई जाती है, ताकि मिट्टी की सख्त परत को नरम बनाया जा सके और पानी अंदर तक रिस जाए. इसके बाद ट्रैक्टर पर सीलर मशीन के जरिए बीच में मिट्टी का बेड बनाया जाता है. जिस पर खेती की जाती है. वहीं साथ में बनाई गई क्यारी में पानी छोड़ने की सुविधा रखी जाती है, ताकि फसल को नमी मिलती रहे. इस नाली के जरिए बारिश का पानी भी फसलों के लिए इकट्ठा किया जा सकता है.
प्राकृतिक खेती के लिए पिकनिक मॉडल (ETV BHARAT) इसे भी पढ़ें:गुजरात के राज्यपाल ने करनाल में लगाई किसानों की पाठशाला, आचार्य देवव्रत ने खेती के लिए प्राकृतिक मॉडल का दिया मंत्र - Haryana Natural Farming Model
इस तकनीक मेंखेतों को दो हिस्सों में बांटा जाता है. एक हिस्से में नाली बनाई जाती है और दूसरे हिस्से को बेड की तरह एक सतह के तौर पर बनाया जाता है. बेड वाला हिस्सा नरम होता है, जिसमें कंपोज करने वाले केंचूएं व अन्य किट को मिट्टी को उपजाऊ बनाने के लिए संतुलित तापमान मिलता है.
पराली का इस तरह करें इस्तेमाल :खेती पी क्यू एन के मॉडल में पराली को जलाने की जगह उस जमीन को कवर करने में मदद मिलती है. जमीन को पराली से ढक देने से खेतों में नमी बनी रहती है. तापमान संतुलित रहता है जमीन गर्म नहीं होती है.
प्राकृतिक खेती के लिए पिकनिक मॉडल (ETV BHARAT) इस मॉडल से प्राकृतिक खेती की जा सकती है. जहां जैविक खेती 3 साल में तैयार होती है, वहां प्राकृतिक खेती 90 दिनों के अंदर तैयार हो जाती है. इसके साथ ही यह मॉडल फसल संयोजन विकसित करने का भी काम करता है, जिसके जरिए बांस की फसल के साथ हल्दी, जैतून के साथ हल्दी और अदरक उगाया जा सकता है. इसके साथ ही फलों की खेती भी की जा सकती है, जैसे कीन्नू, मौसमी और टमाटर आदि.
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पंजाब-हरियाणा के किसान पिकनिक मॉडल पर कर रहे काम : प्रोफेसर विनोद का कहना है कि पीक्यूएनके मॉडल को अपनाने के लिए किसानों को इसकी ट्रेनिंग दी गई है. आज पंजाब के अबोहर, फाजिल्का, लुधियाना, हरियाणा के करनाल और फतेहाबाद इस तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं. इसके साथ ही राजस्थान, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और हिमाचल के किसानों के लिए भी यह तकनीक मददगार साबित हो रही है.