राजस्थान

rajasthan

ETV Bharat / state

Rajasthan: दीपक बनाने के लिए तेज हुई चाक की रफ्तार, ज्यादा दीपक बिकने की उम्मीद - CLAY LAMPS IN DIWALI

दीपावली पर बाड़मेर में दीपक बनाने वाले कुंभकारों ने भी अपनी तैयारियां तेज कर दी है. इस बार ज्यादा दीपक बिकने की उम्मीद है.

Clay Lamps in Diwali
दीपक बनाने के लिए तेज हुई चाक की रफ्तार,ज्यादा दीपक बिकने की उम्मीद (Photo ETV Bharat Barmer)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Oct 26, 2024, 8:05 PM IST

बाड़मेर:रोशनी के पर्व दीपावली के नजदीक आने के साथ ही दीपक बनाने वाले चाक की रफ्तार भी तेज हो गई है. कुंभकार दिन रात परिवार के साथ दीपक बनाने में जुटे हुए हैं. दीपावली के मौके पर मिट्टी के दीयों की रोशनी का एक अलग ही महत्व है, हालांकि आधुनिकता के इस दौर में इनका चलन फीका जरूर पड़ गया है. कुंभकार अपने पुस्तैनी कार्य को बड़ी मेहनत और लगन से करने में जुटे हुए हैं, ताकि दीपावली पर्व तक बाजार में पर्याप्त मात्रा में दीपों की उपलब्धता सुनिश्चित हो सके. उन्हें इस बार बाजार में ज्यादा दीपक बिकने की उम्मीद है.

बाड़मेर शहर निवासी कुंभकार बाबूराम प्रजापत बताते हैं कि वह पिछले कई सालों से मिट्टी के बर्तन और दीपक बनाने का काम करते आ रहे हैं. उन्होंने बताया कि मिट्टी के दीपक बनाने में मेहनत बहुत ज्यादा लगती है. वे परिवार सहित पिछले दो महीने से मिट्टी के दीये बनाने का काम कर रहे हैं, ताकि दीपावली के पर्व तक अच्छी खासी संख्या में मिट्टी के दीये तैयार किया जा सकें.

दीपक बनाने के लिए तेज हुई चाक की रफ्तार (Video ETV Bharat Barmer)

पढ़ें: उम्मीदों का चाक : चाइनीज आइटम और महंगी मिट्टी ने तोड़ी कुम्हारों के व्यवसाय की कमर, घर खर्च चलाना भी मुश्किल

नई पीढ़ी की इस काम में रुचि कम: उन्होंने बताया कि पहले मिट्टी के दीये की डिमांड बहुत ज्यादा होती थी, लेकिन चाइनीज और रंग बिरंगी लाइटों के चलते मार्केट में इसकी डिमांड कम हो गई है. उन्होंने बताया कि अब आने वाली पीढ़ी भी इस काम में रुचि नहीं दिखा रही, क्योंकि इसमें मुनाफा बेहद कम और मेहनत ज्यादा है. उन्होंने बताया कि मिट्टी के दीपक जलाना शुभ रहता है. ये पवित्र माने जाते हैं. उन्होंने उम्मीद जताई कि इस बार दीपावली पर्व पर अच्छी खासी संख्या में मिट्टी के दीयों की बिक्री होगी. इसी आस में अब पिछले दो महीना से मिट्टी के दीये बनाने में जुटे हुए हैं.

मेहनत ज्यादा मुनाफा कम: इसी तरह कुंभकार पीराराम और उनके परिवार भी मिट्टी के दीये बनाने में जुटे हुए हैं. पीराराम के मुताबिक परिवार में दादा, पिता के बाद वह तीसरी पीढ़ी है जो मिट्टी के बर्तन और दिए बनाने का काम कर रहे है, लेकिन आने वाली पीढ़ी इस काम से दूरी बना रही है, क्योंकि इस काम में मेहनत बहुत ज्यादा लगती है और इतनी मजदूरी नहीं मिलती है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details