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'राइट टू रिकॉल' को लेकर पशो पेश में बिहार के राजनीतिक दल, जेपी के अनुयायियों ने भी किया किनारा - Prashant Kishor - PRASHANT KISHOR

Right To Recall in Bihar : विधानसभा चुनाव से ठीक पहले चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने सिक्का उछला है. राइट टू रिकॉल को लेकर चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने एक दाव खेला है. बिहार के तमाम राजनीतिक दलों ने राइट टू रिकॉल को खारिज तो नहीं किया लेकिन किशोर को आईना जरूर दिखाया. जेपी ने राइट टू रिकॉल की वकालत की थी.

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प्रशांत किशोर, नीतीश कुमार, तेजस्वी (Etv Bharat)

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Sep 19, 2024, 9:09 PM IST

राइट टू रिकॉल पर राजनीतिक पशो-पेश (ETV Bharat)

पटना: चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने राइट टू रिकॉल का समर्थन किया. बिहार में जब संपूर्ण क्रांति के नायक जयप्रकाश नारायण ने आंदोलन का आह्वान किया था, तब राइट टू रिकॉल' की बात कही गई थी. लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार ने उसे दौर में 'राइट टू रिकॉल' का भरपूर समर्थन किया था. अपने दूसरे कार्यकाल में नीतीश कुमार ने भी 'राइट टू रिकॉल' को लागू करने की बात कही थी. लेकिन मामला अधर में लटका रहा.

अमेरिका में 'राइट टू रिकॉल' व्यवस्था : आपको बता दें कि 'राइट टू रिकॉल' के मुद्दे पर लंबे समय से बहस होती रही है. प्राचीन काल में एंथेनियन लोकतंत्र में 'राइट टू रिकॉल' की व्यवस्था लागू थी. सबसे पहले 1908 में अमेरिका में मिशीगन और ओरेगॉन में पहली बार 'राइट टू रिकॉल' राज्य के अधिकारियों के लिए लागू किया गया था. भारत के परिपेक्ष में अगर बात करें तो 1974 के संपूर्ण क्रांति आंदोलन के दौरान जयप्रकाश नारायण ने 'राइट टू रिकॉल' का नारा दिया था. तब से आज तक 'राइट टू रिकॉल' नारा बन कर रह गया है. इस पर किसी भी राजनीतिक दल ने सहमति की मुहर नहीं लगाई है.

चुनाव से पहले पीके का नया दांव : चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने 'राइट टू रिकॉल' को विधानसभा चुनाव से ठीक पहले हवा दे दी है. प्रशांत किशोर ने कहा है कि जन सुराज पार्टी का गठन होने के दौरान हम पार्टी के संविधान में 'राइट टू रिकॉल' को समाहित करने जा रहे हैं. प्रशांत किशोर ने कहा कि हम यह व्यवस्था देने जा रहे हैं कि अगर किसी जनप्रतिनिधि से जनता संतुष्ट हुई तो वह उन्हें वापस बुला सकती है.

पीके को नहीं मिला किसी दल का समर्थन: प्रशांत किशोर के बयान पर राजनीतिक दलों के बीच सहमति बनती नहीं दिखती. तमाम दलों ने प्रशांत किशोर पर हमला बोल दिया. 'राइट टू रिकॉल' के मामले पर प्रशांत किशोर बिहार में अलग-अलग पड़ते दिख रहे हैं. किसी भी दल का समर्थन प्रशांत किशोर को नहीं मिल रहा है.

जेपी बनने चले पीके ?: जेपी आंदोलन के दौरान सक्रिय रहे भाजपा नेता और विधायक अरुण कुमार ने कहा है कि 'राइट टू रिकॉल' की जरूरत फिलहाल हमें नहीं दिखती है. हर 5 साल पर चुनाव होते हैं और अगर जनता नहीं चाहती है तो उम्मीदवार को वापस बुला लेती है. अरुण कुमार ने कहा कि आज जो लोग 'राइट टू रिकॉल' की बात कह रहे हैं, वह कभी चुनाव नहीं लड़ने की बात करते थे. आज भले ही चुनाव जीतने के लिए नारा दे रहे हैं, सवाल यह उठता है कि 'राइट टू रिकॉल' का स्वरूप क्या होगा?

क्या है राइट टू रिकॉल? : क्या कुछ लोगों के विरोध करने पर विधायक या सांसद को वापस बुलाया जा सकेगा यह काफी कंपलेक्स मामला है. जेपी आंदोलन के सिपाही और जदयू नेता विक्रम कुंवर ने कहा है कि जेपी ने जो सोच कर आंदोलन किया था वह उद्देश्य पूरा नहीं हो सका. आज के तमाम राजनीतिक दल दलदल है. किसी भी दल की मंशा 'राइट टू रिकॉल' को लेकर स्पष्ट नहीं है. अगर स्पष्ट हुई होती तो आज आपको नतीजे सामने दिखते.

आरजेडी की प्रतिक्रिया: राष्ट्रीय जनता दल विधायक अख्तरुल इमान शाहीन ने कहा है कि इस मामले को हमने ठीक से अभी समझा नहीं है. अध्ययन करने के बाद ही कुछ कहने की स्थिति में रहेंगे. जहां तक सवाल जनप्रतिनिधियों को वापस बुलाने का है तो हर 5 साल पर जनप्रतिनिधियों की अग्नि परीक्षा होती है. कुछ लोगों को सत्ता में आने की जल्दी है, इसलिए वह ऐसी बात कह रहे हैं. अपने मंसूबे में वह कामयाब होने वाले नहीं हैं.

''व्यावहारिक रूप से 'राइट टू रिकॉल' संभव नहीं है. कई तरह की तकनीकी परेशानी है कोई भी राजनीतिक दल 'राइट टू रिकॉल' को लाने का जोखिम नहीं लगा. जहां तक सवाल प्रशांत किशोर का है, तो उन्होंने एक सियासी दाव खेला है. कितने कामयाब होंगे वह तो भविष्य के गर्भ में है.''- अरुण कुमार, राजनीतिक विश्लेषक

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