शिमला: हिमाचल में विधानसभा चुनाव से पूर्व कांग्रेस ने दस गारंटियां दी थी. उन गारंटियों में से संपूर्ण तौर पर केवल ओपीएस बहाली ही पूरी हो पाई है. अन्य गारंटियां अधूरी हैं. चुनाव प्रचार के दौरान सोलन की रैली में प्रियंका वाड्रा ने कहा था कि पहली ही कैबिनेट में एक लाख सरकारी नौकरियां दी जाएंगी. इसी तरह तीन सौ यूनिट फ्री बिजली की गारंटी भी दी गई थी. न तो एक लाख सरकारी नौकरियां मिली और न ही 300 यूनिट फ्री बिजली. उल्टा सत्ता में आते ही पूर्व सरकार के कार्यकाल में खोले गए कई संस्थान बंद किए गए. तर्क ये दिया गया कि पूर्व सरकार ने बिना बजट के ही संस्थान खोले थे.
गारंटियों की चर्चा इसलिए हो रही है, क्योंकि हाल ही में सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार ने कुछ कड़े फैसले लिए हैं. ये फैसले गारंटी से विपरीत हैं. सरकार ने 300 यूनिट फ्री बिजली की गारंटी से मुंह मोड़ लिया है. इसके अलावा हिमकेयर योजना निजी अस्पतालों में बंद कर दी है. पुलिस कर्मियों के लिए सरकारी बसों में यात्रा का जो प्रावधान था, उसे नया रूप दे दिया है. साथ ही महिलाओं को सरकारी बसों में किराए में मिलने वाली पचास फीसदी छूट भी बंद करने के दिशा में सुखविंदर सिंह सरकार आगे बढ़ी है.
ग्रामीण इलाकों में जनता को पानी निशुल्क दिया जा रहा था. अब इस सुविधा को भी बंद किया गया है. महिलाओं को किराए में पचास फीसदी छूट, 125 यूनिट फ्री बिजली, ग्रामीण इलाकों में निशुल्क पेयजल व हिमकेयर योजनाएं जयराम ठाकुर के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने आरंभ की थी. अब इन योजनाएं को बंद करने से विपक्ष भी सुखविंदर सिंह सरकार पर हमलावर हुआ है.
जयराम सरकार पर फोड़ा कर्ज की ठीकरा, बंद किए संस्थान:सत्ता में आते ही सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार ने भाजपा पर आरोप मढ़ा कि उसने खजाना खाली कर दिया था और विरासत में सरकार को कर्ज ही छोड़ा. सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार ने सत्ता में आते ही पूर्व सरकार के समय में आखिरी छह माह में खोले गए संस्थान बंद करने का फैसला लिया था. इनमें कॉलेज, विभिन्न विभागों के कार्यालय, स्कूल एवं स्वास्थ्य संस्थान सहित अन्य संस्थान शामिल थे. तर्क दिया गया कि इनके लिए बजट का प्रावधान नहीं किया गया है. सुक्खू सरकार ने सैंकड़ों संस्थान डी-नोटिफाई कर दिए. कांग्रेस सरकार ने पूर्व में एक अप्रैल 2022 के बाद खोले अथवा अपग्रेड किए गए स्वास्थ्य संस्थान भी डी-नोटिफाई कर दिए थे. इसकी अधिसूचना 20 दिसंबर 2022 को की गई थी.
बिजली बोर्ड में कांग्रेस सरकार ने 32 ऑफिस डी-नोटिफाई किए थे. उनमें बिजली बोर्ड के तीन ऑपरेशन सर्किल, बारह विद्युत डिवीजन और 17 विद्युत सब-डिवीजन शामिल थे. जयराम ठाकुर के गृह क्षेत्र थुनाग में बिजली बोर्ड का दफ्तर डी-नोटिफाई होने पर स्थानीय जनता ने कड़ा विरोध किया था. खैर, जयराम सरकार के कार्यकाल के आखिरी छह माह में करीब नौ सौ संस्थान खोले गए थे. उनमें से पांच सौ से अधिक डी-नोटिफाई किए गए थे. हालांकि, सुक्खू सरकार ने इनकी समीक्षा के बाद जरूरत के आधार पर संस्थानों को फिर से नोटिफाई करने की बात कही थी और कुछ संस्थान बहाल भी किए गए थे. तब भाजपा ने सुक्खू सरकार को डी-नोटिफिकेशन वाली सरकार बताया था.
एक साल पहले बहाल हुई थी ओपीएस:वास्तविक रूप से देखा जाए तो सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार ने दस में से केवल एक ही गारंटी पूरी तरह से लागू की है. वो गारंटी ओपीएस के रूप में है. वर्ष 2023 को जनवरी महीने के पहले पखवाड़े में हिमाचल में ओपीएस बहाल करने का ऐलान किया गया. इस फैसले का कर्मचारी वर्ग ने जोरदार स्वागत किया था. ओपीएस बहाली के बाद कर्मचारी वर्ग पूरी तरह से सुखविंदर सरकार के पक्ष में आ गया था. लेकिन कर्मचारी अब संशोधित वेतनमान के एरियर व डीए न मिलने से हताश हैं. सुक्खू सरकार का कहना है कि राज्य की आर्थिक स्थिति सही नहीं है, ऐसे में एरियर के लिए इंतजार करना होगा. एरियर की बकाया रकम 9000 करोड़ रुपए के करीब है.
दूध खरीद मूल्य बढ़ाया, लेकिन गारंटी अधूरी:सुखविंदर सरकार ने दूध खरीद मूल्य जरूर बढ़ाया है, लेकिन भैंस का दूध सौ रुपए लीटर और गाय का दूध अस्सी रुपए लीटर खरीदने से जुड़ी गारंटी अधूरी है. इसी तरह दो रुपए प्रति किलो गोबर खरीद की गारंटी भी अधूरी है. बागवान सेब का मूल्य खुद तय करेंगे, ये गारंटी भी अधूरी है. चुनाव पूर्व ये गारंटी दी गई थी कि 18 से 60 साल की महिलाओं को 1500 रुपए प्रति माह दिए जाएंगे. ये गारंटी भी वादे के अनुसार पूरी नहीं हुई है. गारंटी थी कि यदि परिवार में 18 से 60 साल की महिलाओं की संख्या चार भी होगी तो उन सभी को 1500 रुपए प्रति सदस्य मिलेगा. इसे लेकर सदन में नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कांग्रेस विधायक सुंदर सिंह ठाकुर के कुल्लवी बोली में किए गए वादे की याद दिलाई थी. खैर, इंदिरा गांधी सुख-सम्मान निधि के रूप में कुछ महिलाओं को ये लाभ मिल रहा है, लेकिन जिस तरह की गारंटी दी थी, वो अधूरी है.