देहरादून: उत्तराखंड में 19 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के लिए मतदान होना है. उससे पहले राजनैतिक दल मतदाताओं को रिझाने में लगे हुए हैं. पोस्टल बैलट के लिए भी अलग से रणनीति बनाई जा रही है. उत्तराखंड में पिछले रिकॉर्ड बताते हैं कि पोस्टल बैलेट भारतीय जनता पार्टी के लिए हमेशा बेहतर रहे हैं, जबकि इस बार 85 साल से अधिक उम्र के बुजुर्ग और दिव्यांगों के मत पर भी विशेष रणनीति बनाई गयी है.
उत्तराखंड में दिव्यांग और 85 साल से अधिक उम्र के मतदाताओं की संख्या भले ही बहुत ज्यादा ना हो लेकिन इसके बावजूद राजनीतिक दलों का ऐसे मतदाताओं पर भी पूरा ध्यान है. निर्वाचन आयोग ने 85 साल से अधिक उम्र वाले मतदाता और दिव्यांग मतदाताओं के लिए पोस्टल बैलेट की सुविधा की है. ऐसे में राजनीतिक दल भी घर-घर पहुंचकर ऐसे मतदाताओं को अपने पक्ष में मतदान करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं. भारतीय जनता पार्टी ने इसके लिए हर बूथ पर मौजूद दिव्यांग की जानकारी जुटाई. यही नहीं 85 साल से अधिक उम्र वाले मतदाताओं के घर तक पहुंचने का लक्ष्य रखा गया. इतना ही नहीं लोगों को मतदान के लिए भी प्रेरित करने के लिए कहा गया. इसलिए आज से भारतीय जनता पार्टी इस बार मतदान प्रतिशत भी बेहतर होने की उम्मीद जता रही है.
उत्तराखंड में 80385 दिव्यांग और 85 साल से अधिक उम्र के 65150 बुजुर्गों का चिन्हीकरण किया गया. लोकसभा चुनाव में यह पहला मौका है जब इस तरह की सुविधा दिव्यांग और 85 साल से अधिक उम्र के लोगों को दी जा रही है. इसमें 12000 से ज्यादा मतदाताओं ने अपने घर से ही अपने मताधिकार का प्रयोग भी किया गया. हालांकि, मतदान दिवस के दिन भी इनके द्वारा मतदान किया जा सकता है. इसके लिए 1344 व्हीलचेयर और 1623 डोलियों की भी व्यवस्था की गई है. राज्य में 51000 से ज्यादा दिव्यांग जनों ने निर्वाचन आयोग का सक्षम एप अपने मोबाइल पर डाउनलोड भी किया है.